फतेहपुर: पुरुष प्रधान कहे जाने वाले समाज में महिलाओं को हमेशा से कमतर आंका जाता रहा है, लेकिन वर्तमान समय में महिलाएं अपने हुनर और परिश्रम से सभी क्षेत्रों में अपना लोहा मनवा रही हैं. वे अब सिर्फ चूल्हे-चौके तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि घरों से निकलकर कड़ी मेहनत कर अपना परचम लहरा रही हैं. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की तरफ से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के माध्यम से कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. ग्रामीण अंचल की महिलाएं इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.
महिलाओं को मिल रहा योजना का लाभ
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाएं सिलाई और कढ़ाई करना सीख रही हैं. इसके अलावा वे मास्क, LED बल्ब और सौर ऊर्जा उपकरण बनाने के साथ-साथ रिपेयरिंग की भी दुकानें चला रही हैं. मां लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह के नाम से बने ग्रुप की महिलाएं LED बल्ब, बैटरी बल्ब, ट्यूबलाइट, झालर आदि बनाकर जिले में ही नहीं, बल्कि प्रदेश में अपना स्थान कायम किए हुए हैं.
समाज के लिए मिसाल बनीं महिलाएं
मां लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह से बनी वस्तुओं की बिक्री न सिर्फ लोकल बाजारों में होती है, बल्कि फ्लिपकार्ट, अमेजन सहित प्रदेश सरकार द्वारा संचालित जेम पोर्टल पर भी होती है, जिससे इनका नाम जिले में ही नहीं, बल्कि प्रदेश में भी अंकित है. एक अन्य समूह की महिलाओं ने पहले तो सौर ऊर्जा उपकरण बनाकर सप्लाई किए. वहीं अब रिपेयरिंग की दुकान चलाकर महिलाएं अच्छा लाभ कमा रही हैं और समाज के लिए मिसाल बनी हुई हैं.
सौर ऊर्जा उपकरणों की रिपेयरिंग से जुड़ीं 700 महिलाएं
जिले के 13 ब्लाकों में करीब 700 महिलाएं सौर ऊर्जा उपकरणों की रिपेयरिंग शॉप से जुड़ी हैं. अन्य कार्यों से भी हजारों महिलाएं जुड़कर काम कर रही हैं और अपने परिवार का मुख्य स्तंभ बनकर खड़ी हैं. इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में वितरित होने वाली यूनिफॉर्म सिलने के लिए 950 महिलाएं ट्रेनिंग ले रही हैं. प्रदेश की योगी सरकार ने स्कूलों की ड्रेस सिलने का टेंडर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को ही देने की घोषणा की है, जिसके लिए परीक्षण जारी है.
रोजान कमा लेती हैं 300 से 400 रुपये
सरकार की तरफ से 70 लाख सौर ऊर्जा योजना में ऑपरेटर के तौर पर कार्य करने वाली आरती पटेल ने बताया कि इस योजना के तहत सभी महिलाओं ने आरएम ट्रेनिंग ली. इसके बाद सोलर रिपेयरिंग शॉप खोली. यहां पर कार्य करके प्रतिदिन तीन सौ से चार सौ रुपये तक महिलाएं कमा लेती हैं, जिससे वे अपनी और परिवार की देखभाल आराम से कर पा रही हैं. अभी तक जिले में 700 महिलाएं अपनी सोलर शॉप खोल चुकी हैं. अभी और महिलाएं इच्छुक हैं, जिनकी शॉप धीरे-धीरे खुलवाई जाएंगी.
समूह से जुड़ी महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर
मास्क बना रही स्वयं सहायता समूह की एक लाभार्थी ने बताया कि वह मास्क बनाती हैं, एक मास्क करीब 20 रुपये का बिक जाता है, जिससे उनका खर्च निकल आता है. उन्होंने बताया कि इससे पहले वह पति पर आश्रित थीं, लेकिन जब से समूह से जुड़ीं, अपना और बच्चों का खर्च स्वयं ही उठा रही हैं.
LED बल्ब, झालर आदि इलेक्ट्रिक उपकरण बनाने के समूह में काम कर रही महिला लाभार्थी ने बताया कि उन्होंने पहले इसकी ट्रेनिंग ली. उसके बाद यह सब बना रही हैं. बने हुए उपकरणों की बिक्री वह गांव, आसपास के बाजरों, मेलों, फ्लिपकार्ट, अमेजन सहित कई अन्य ऑनलाइन माध्यमों से करती हैं. जब से वह इसमें जुड़ी हैं, तब से अपना और अपने परिवार का खर्च आराम से उठाती हैं. उनका एक बेटा बीटेक की पढ़ाई कर रहा है, जिसका खर्च भी वह इसी से कमा कर पूरा करती हैं.
सीडीओ का कहना है
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के माध्यम से आगे बढ़ रही महिलाओं के बारे में बताते हुए सीडीओ सत्य प्रकाश कहते हैं कि समय को पहचानते हुए महिलाएं मुख्य रूप से मास्क बना रही थीं, जिसमें 40 हजार मास्क जिला प्रशासन ने खरीदे हैं और करीब 20 हजार मास्क उन्होंने अन्य जिलों व फ्लिपकार्ट, अमेजन के माध्यम से बेचे हैं. इसके अतिरिक्त महिलाएं LED बल्ब, सौर ऊर्जा उपकरण बनाने का भी काम कर रही हैं.
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सीडीओ सत्य प्रकाश ने बताया कि पहले तो महिलाओं ने उपकरण बनाकर लाभ कमाया. अब रिपेयरिंग शॉप खोलकर नए के साथ-साथ पुराने उपकरणों की रिपेयरिंग करके भी कमाई कर रही हैं.