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उज्ज्वला योजना: सिलेंडर मिले पर गैस भराने को नहीं हैं पैसे, कैसे बनाए खाना

बीजेपी प्रचार के दौरान कई कार्यों को गिना रही है. उसी में से उज्ज्वला योजना भी है. योजना के तहत करीब एक करोड़ घरों में सिलेंडर का कनेक्शन हुआ, ताकि घरेलू ईंधनों के इस्तेमाल में कमी आए. वहीं इसकी हकीकत कुछ और है. लोगों के पास गैस कनेक्शन तो है पर पैसे की कमी से दोबारा रिफिल नहीं करवाया है.

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Published : Apr 13, 2019, 10:33 AM IST

पैसे की कमी से दोबारा रिफिल नहीं करवाया गैस

फतेहपुर: लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रचार के दौरान कई कार्यों को गिना रही है. उसी में से एक उज्ज्वला योजना भी है. केंद्र सरकार का दावा है कि ग्रामीण इलाकों के करीब एक करोड़ घरों में घरेलू सिलेंडर पहुंचाने वाली यह योजना बेहद कामयाब है. इसके चलते प्रदूषण फैलाने वाले घरेलू ईंधनों के इस्तेमाल में काफी कमी हुई है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

पैसे की कमी से दोबारा रिफिल नहीं करवाया गैस


बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास गैस कनेक्शन होने के बाद भी पैसे की कमी से दोबारा रिफिल नहीं करवाया. फतेहपुर जिले से पांच किलोमीटर दूर आबूपुर गांव में रहने वाली कुसुम आज भी चूल्हे पर खाना बना रही हैं. कुसुम जहां चूल्हे पर खाना बना रही थी, वहीं पीछे गैस चूल्हा और सिलेंडर रखा था. कुसुम ने बताया कि सिलेंडर खत्म हुए एक साल हो गया है, पैसा नहीं है की भरवाएं. मजदूरी करके कैसे-कैसे घर चला रहे हैं, अब इतना मंहगा गैस कहां से भरवाएं.


इसी गांव की रहने वाली फूलमती तिरपाल से ढक कर बने घर में रह रही हैं. घर के हालात पूछने पर रो पड़ी और बताया कि तीन साल पहले उनके पति की बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई. घर कहां से बनवाए. उनका कहना है कि प्रधान तो केवल वोट मांगने आते हैं, इसके बाद उनका कुछ अता-पता नहीं चलता.


घर और उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिलने पर कहा कि जिसके पास पैसा रहता है, उसी को मिलता है. उन्होंने बताया कि उन्हें विधवा पेंशन भी नहीं मिलता है.

फतेहपुर: लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रचार के दौरान कई कार्यों को गिना रही है. उसी में से एक उज्ज्वला योजना भी है. केंद्र सरकार का दावा है कि ग्रामीण इलाकों के करीब एक करोड़ घरों में घरेलू सिलेंडर पहुंचाने वाली यह योजना बेहद कामयाब है. इसके चलते प्रदूषण फैलाने वाले घरेलू ईंधनों के इस्तेमाल में काफी कमी हुई है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

पैसे की कमी से दोबारा रिफिल नहीं करवाया गैस


बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास गैस कनेक्शन होने के बाद भी पैसे की कमी से दोबारा रिफिल नहीं करवाया. फतेहपुर जिले से पांच किलोमीटर दूर आबूपुर गांव में रहने वाली कुसुम आज भी चूल्हे पर खाना बना रही हैं. कुसुम जहां चूल्हे पर खाना बना रही थी, वहीं पीछे गैस चूल्हा और सिलेंडर रखा था. कुसुम ने बताया कि सिलेंडर खत्म हुए एक साल हो गया है, पैसा नहीं है की भरवाएं. मजदूरी करके कैसे-कैसे घर चला रहे हैं, अब इतना मंहगा गैस कहां से भरवाएं.


इसी गांव की रहने वाली फूलमती तिरपाल से ढक कर बने घर में रह रही हैं. घर के हालात पूछने पर रो पड़ी और बताया कि तीन साल पहले उनके पति की बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई. घर कहां से बनवाए. उनका कहना है कि प्रधान तो केवल वोट मांगने आते हैं, इसके बाद उनका कुछ अता-पता नहीं चलता.


घर और उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिलने पर कहा कि जिसके पास पैसा रहता है, उसी को मिलता है. उन्होंने बताया कि उन्हें विधवा पेंशन भी नहीं मिलता है.

Intro:फतेहपुर:
लोकसभा के आम चुनाव में बीजेपी प्रचार के दौरान कई कार्यो को गिना रही है उसी में उज्ज्वला योजना भी है। केंद्र सरकार का दावा है कि ग्रामीण इलाकों के करीब एक करोड़ घरो में घरेलू सिलेंडर पहुंचाने वाली योजना बेहद कामयाब है और इसके चलते प्रदूषण फैलाने वाले घरेलू ईंधनों के इस्तेमाल में काफी कमी हुई है।

उज्ज्वला योजना की हकीकत जानने जब ईटीवी भारत की टीम गांव में पहुची तो हकीकत कुछ और ही था।
बहुत से लोग ऐसे मिले जिनके पास गैस कनेक्शन होने का बाद भी पैसे के कमी से दोबारा रिफिल नही भरवाया।
फतेहपुर जिले से 5 किलोमीटर दूर आबूपुर गांव में रहने वाली कुसुम चूल्हे पर खाना बना रही है। आग न जलने से धुंए में फूंकते फूंकते चेहरा रुहाशा हो गया था। कुसुम जहां चूल्हे पर खाना बना रही थी वहीं पीछे गैस चूल्हा और सिलेंडर रखा था। गैस चूल्हे को समाजवादी पार्टी के झंडे से बकायदा ढका गया था। वहीं सिलेंडर पर धूल जमा हुआ था ।
वहीं रेगुलेटर को बकायदा प्लाटिक के थैले से बांध कर रखा गया है। कुसुम ने बताया कि सिलेंडर खत्म हुए एक साल हो गए हैं पैसा नहीं है कि भरवाए । मेरे आदमी मजदूरी करके कैसे कैसे घर चला रहे हैं अब इतना मंहगा गैस कहाँ से भरवाएं।


Body:इसी गांव की रहने वाली फूलमती तिरपाल से ढक कर बने घर मे दाल दर रहीं थी। बगल में एक बड़ा से म्यूजिक सिस्टम रखा पड़ा था जो इनके पति खरीदे थे। घर के हालात पूछने पर रो पड़ती हैं क्या करे तीन साल पहले मलिकार बीमारी से मर गए, दवा के लिए पैसे नही थे। घर कहाँ से बनवाई। प्रधान त केवल वोट मांगे आवत हैं ओकरे बाद पता ना चलत।
गांव के गरीब लोगों को घर और उज्ज्वला योजना का लाभ इन्हें नहीं मिला। क्यों नही मिला पूछने पर बोल पड़ी जिसके पास पैसा रहता है उसी को मिलता है हम कहाँ से लाई। मुझे कुछ नही मिला विधवा पेंशन नहीं मिलता, गैस और घर कहाँ मिले।

फूलमती तीन बच्चों के साथ झोपडी में जीवन गुजार रहीं हैं बारिश में पानी घर मे ही गिरता है लेकिन क्या करे। सिस्टम से निराशा इनसे बात करने पर साफ झलकता है। इस चुनाव में वोट देने जाएंगी न बोलती है क्या जाएं सब त एक्केई जईसा हैं।


Conclusion:सरकार के दावों और जमीनी हकीकत में बहुत ही फर्क है। जिनको उज्ज्वला से गैस मिला तो उनमें से अधिकांश 900 रुपए के सिलेंडर भरवाने में सक्षम नही तो वहीं जिन्हें घर की जरूरत है वो प्रधान को घुस का पैसा नही दे पाए। जिससे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नही मिला।
अभिषेक सिंह फतेहपुर 7860904510

बाइट -1 कुसुम। 2 फूलमती
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