फतेहपुर: लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रचार के दौरान कई कार्यों को गिना रही है. उसी में से एक उज्ज्वला योजना भी है. केंद्र सरकार का दावा है कि ग्रामीण इलाकों के करीब एक करोड़ घरों में घरेलू सिलेंडर पहुंचाने वाली यह योजना बेहद कामयाब है. इसके चलते प्रदूषण फैलाने वाले घरेलू ईंधनों के इस्तेमाल में काफी कमी हुई है, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके पास गैस कनेक्शन होने के बाद भी पैसे की कमी से दोबारा रिफिल नहीं करवाया. फतेहपुर जिले से पांच किलोमीटर दूर आबूपुर गांव में रहने वाली कुसुम आज भी चूल्हे पर खाना बना रही हैं. कुसुम जहां चूल्हे पर खाना बना रही थी, वहीं पीछे गैस चूल्हा और सिलेंडर रखा था. कुसुम ने बताया कि सिलेंडर खत्म हुए एक साल हो गया है, पैसा नहीं है की भरवाएं. मजदूरी करके कैसे-कैसे घर चला रहे हैं, अब इतना मंहगा गैस कहां से भरवाएं.
इसी गांव की रहने वाली फूलमती तिरपाल से ढक कर बने घर में रह रही हैं. घर के हालात पूछने पर रो पड़ी और बताया कि तीन साल पहले उनके पति की बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई. घर कहां से बनवाए. उनका कहना है कि प्रधान तो केवल वोट मांगने आते हैं, इसके बाद उनका कुछ अता-पता नहीं चलता.
घर और उज्ज्वला योजना का लाभ नहीं मिलने पर कहा कि जिसके पास पैसा रहता है, उसी को मिलता है. उन्होंने बताया कि उन्हें विधवा पेंशन भी नहीं मिलता है.