फतेहपुर: जिले में बारिश के पानी से लबालब हुईं सड़कों ने नगर पालिका के बड़े-बड़े दावों की पोल खोल दी है. लोग नालियों के गंदे पानी से होकर निकलने के लिए मजबूर हैं. ऐसे में महामारियों के फैलने का खतरा अपने चरम पर है. बावजूद इसके जिम्मेदारों की अनदेखी व लापरवाही का प्रमाण शहर के रिहायशी इलाकों की नहर में तब्दील सड़कें दे रही हैं. बता दें कि शहर में संचारी रोगों से बचाव हेतु विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है.
एक नई परेशानी को न्योता
जलभराव की समस्या से जूझ रहे लोगों ने बताया कि पहले प्रशासन ने नाला निर्माण करते समय खुदाई की, उसके बाद जिले में अतिक्रमण हटवाया. लेकिन उसका मलबा एक बार भी नहीं हटाया गया, जो अब एक नई परेशानी को न्योता दे रहा है. जलभराव के कारण सिर्फ आमजन को ही जद्दोजहद नहीं करनी पड़ रही है. दुकानदारों पर भी इसकी गाज गिरी है. कोरोना के कारण हो रहे साप्ताहिक लॉकडाउन और जलभराव की मार झेल रहे दुकानदारों को ग्राहकों की किल्लत से गुजरना पड़ रहा है.
दुकानदार ने बयां किया दर्द
एक स्थानीय दुकानदार ने अपनी पीड़ा साझा करते हुए कहा कि थोड़ी सी बारिश से हर जगह पानी भर जाता है. एक तरफ कोरोना की वजह से शनिवार, रविवार दुकान बंद रहती है. दूसरा जरा सी बारिश में पानी भर जाता है, तो ग्राहक आते ही नहीं हैं. विधायक, नगर पालिका चेयरमैन कोई इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा है. शहर के सारे नाले जाम हैं. उनकी सफाई नहीं होती है. कोरोना के साथ-साथ बारिश के जलभराव से दोहरी मार पड़ रही है.
नगर पालिका ईओ ने कहा
जलभराव के समय को लेकर जब नगर पालिका ईओ मीरा सिंह से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि जलभराव न हो इसके लिए बारिश से पहले ही नालों की साफ-सफाई का कार्य हो जाता है. इस बार भी किया गया है, जहां कहीं नाला निर्माण आदि का कार्य चल रहा है, वहां का मलबा पूरी तरह नहीं हटाया जाता, क्योंकि नाला निर्माण के बाद साइड के गड्ढों को भरने के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है. डबल खर्च न हो इसलिए पूरी मिट्टी नहीं हटाई जाती. यदि कहीं जलभराव की समस्या है, तो उसकी निकासी के इंतजाम किए जाएंगे.