फतेहपुरः शारदीय नवरात्रि के समापन पर जगह-जगह पांडालों में सजी मां की मूर्तियां गंगा तट पर विसर्जित कर दी गई. वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां दुर्गा की मूर्तियों को उठाया गया और उन्हें विभिन्न गंगा घाटों पर विसर्जित किया गया. इस दौरान लोगों ने अबीर गुलाल लगाकर एक दूसरे को त्योहारों की शुभकाननाएं दीं और प्रसाद वितरित किए.
नहीं रहा आनंद और उत्साह
कोरोना की वजह से इस वर्ष विसर्जन का आनंद और उत्साह पूरी तरह फीका दिखा. प्रति वर्ष जहां भिटौरा, आदमपुर आदि घाटों पर लोगों का तांता लगा रहा था. वहीं इस वर्ष गिने चुने लोग ही नजर आए. लोगों ने कोरोना नियमों को ध्यान में रखकर मां का विसर्जन किया.
आपको बताते चलें कि शारदीय नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा के जगह जगह पांडाल सजते हैं. जहां नौ दिनों के लिए मां की मूर्ति स्थापित कर श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना की जाती है. विभिन्न स्थानों पर जगराता आदि के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं. नौं दिनों के उत्सव के उपरांत मां की मूर्तियों को विसर्जित कर दिया जाता है.
रंगत रही फीकी
प्लास्टर ऑफ पेरिस, जूट, बांस, रंग आदि का उपयोग कर बनाई जाने वाली मां की मूर्तियां पहले गंगा में विसर्जित की जाती थी, लेकिन पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान के बाद श्रद्धालु इन्हें गंगा तट पर रेत में गढ्ढा खोदकर विसर्जित करते हैं. वैसे तो यह त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण की वजह से इसकी रंगत फीकी रही.
लोगों ने घरों में ही कि उपासना
बता दें कि इस वर्ष नवरात्रि पर्व और दशहरा कोरोना के साए में हुए. जिसके चलते इनकी रंगत फीकी रही. बहुत कम स्थानों पर मूर्तियां स्थापित की गईं. ज्यादातर लोगों ने घरों में ही मां की पूजा-उपासना कर ली. इसी के चलते मां भगवती के विसर्जन में भी वैसी रौनक नहीं दिखी. गिने चुने लोगों ने ही मां के विसर्जन में पहुंचे. कोरोना नियमों का पालन करते हुए मां विसर्जन सम्पन्न हुआ.