फतेहपुर : सरकारी कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए चाहे जितने कड़े नियम बनाए गए हों, लेकिन उसके बावजूद सरकारी दफ्तरों में बैठे कर्मचारी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. फतेहपुर जिले में तीन साल पहले एक फार्मासिस्ट की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पति की मौत के बाद से ही पीड़ित पत्नी जीपीएफ के भुगतान के लिए सीएमओ दफ्तर के चक्कर लगा रही है, लेकिन उसे अभी तक पैसों का भुगतान नहीं किया गया, बल्कि सीएमओ दफ्तर में तैनात दो लिपिकों ने उससे एक लाख रुपये की मांग कर डाली. इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी से किए जाने के बाद पूरे मामले की जांच सीडीओ को सौंपी गई, जिसमें आरोप सही पाए जाने के बाद जिलाधिकारी संजीव सिंह ने दोनों लिपिकों के निलंबन की संस्तुति की है. जिलाधिकारी के इस एक्शन से सीएमओ दफ्तर में हड़कंप मचा हुआ है.
क्या था पूरा मामला
स्वास्थ्य विभाग में तैनात फार्मासिस्ट दिलीप पटेल की 2 जून 2017 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पोस्टमार्टम हाउस जाते समय हुई चीफ फार्मासिस्ट की हत्या के मामले में पोस्टमार्टम हाउस में ही तैनात एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी समेत तीन लोगों को नामजद किया गया था. फार्मासिस्ट दिलीप सिंह पटेल की हत्या के बाद उसके जीपीएफ के भुगतान के लिए दिलीप की पत्नी सरोज देवी ने सीएमओ दफ्तर में आवेदन कर रखा था, लेकिन जीपीएफ की फाइल आगे बढ़ाने की बजाय वहां तैनात वरिष्ठ सहायक आनन्द मिश्रा और कनिष्ठ सहायक अजय मिश्रा ने जीपीएफ की फाइल पास करने के लिए मृतक की पत्नी से एक लाख रुपये की मांग कर डाली और रुपये न मिलने पर तीन साल से फाइल को अपने पास ही दबाकर रखे रहे.
सीडीओ और सीएमओ को सौंपी गई जांच
पीड़िता ने मामले की शिकायत जिलाधिकारी संजीव सिंह से की. इस पर जिलाधिकारी ने मामले की जांच सीडीओ और सीएमओ को सौंपी. दोनों अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से की गई जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद जिलाधिकारी ने सीएमओ ऑफिस में तैनात दोनों लिपिकों के निलंबन की संस्तुति की है, जिसके बाद सीएमओ दफ्तर में हड़कंप मचा हुआ है.
भ्रष्टाचारियों पर की जाएगी कड़ी कार्रवाई
इस मामले में जिलाधिकारी संजीव सिंह ने बताया कि मामले की जांच कराए जाने के बाद आरोप सत्य पाए गए हैं, जिसके बाद दोनों कर्मचारियों के निलंबन की कार्रवाई की गई है. जिलाधिकारी ने बताया कि मृतक की पत्नी को समय पर जीपीएफ का भुगतान न करने पर लगभग पांच लाख रुपये का अतिरिक्त भार शासकीय व्यय पर आएगा. उनका कहना था कि मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.