फतेहपुर: पानी की समस्या को देखते हुए सरकार वर्षा जल संरक्षण को लेकर लाख अभियान चलाती रहती है. हमारे पूर्वज भी जल संरक्षण को लेकर बहुत गंभीर थे, इसका मुख्य उदाहरण उनके द्वारा निर्मित तालाब है. आधुनिक समय में युवा पीढ़ी जल संरक्षण को लेकर इतनी सतर्क नहीं दिख रही है. यही कारण है कि तालाबों का अस्तित्व अब लुप्त होता दिख रहा है.
जी हां मुद्दा है जल सरंक्षण का, जिसको लेकर युवा पीढ़ी कतई गंभीर नहीं है. फतेहपुर जिले में कई ऐतिहासिक तालाब हैं जो वर्षा का जल एकत्रित होकर पूरे वर्ष लोगों की दैनिक जरूरतों को पूरा करता था लेकिन अब तालाबों का अस्तित्व खोता जा रहा है. वर्तमान में हसंवा विकासखंड में स्थित रानी के तालाब का अस्तित्व लुप्त होता जा रहा है. इस तालाब में कभी महिलाएं बिना किसी भय के नहाती थीं.
महिलाओं की गम्भीरता प्रतीक हैं रानी का तालाब
हसंवा में रानी का तालाब महिलाओं की गम्भीरता का प्रतीक हैं. 1871 में इस तालाब का निर्माण यहां के जमींदार रामगुलाम की पुत्री रानी गोमती ने करवाया था. रानी गोमती प्रयागराज के फूलपुर स्टेट के राजा रायबहादुर अमरनाथ की पत्नी थीं. रानी ने दो तालाबों का निर्माण करवाया था, एक अपने मायके में और एक ससुराल में.
महेंद्र प्रताप सिंह ग्राम प्रधान प्रतिनिधि का कहना है कि तालाब का निर्माण रानी गोमती ने करवाया था. इस तरह का तालाब बहुत कम ही देखने को मिलेगा. तालाब में महिलाओं के स्नान के लिए अलग से घाट बना है.
रानी का तालाब वर्षा जल संचयन की दृष्टि से विशाल स्वरूप में बनाया गया है. इस तालाब के चारों तरफ पक्के घाट बने हैं, जहां स्नान और लोग गर्मियों में बैठ सकें. चार पक्के घाट में एक घाट महिलाओं के लिए है जो चारो तरफ से घिरा हुआ है. घाट पर जालीनुमा दीवार है, जिससे पानी अंदर आ सके. यह घाट महिलाओं के स्नान के लिए के लिए है. इस घाट पर महिलाएं पूरी स्वतंत्रता के साथ स्नान कर सकती हैं और कोई पुरूष उन्हें देख में नहीं सकता है. रानी ने इस तालाब का निर्माण महिलाओं की पूरी भावनाओं को ध्यान में रखकर करवाया था. इस तालाब से दैनिक उपयोग के लिए सरलता से पानी भी मिल जाता था.
अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है 'रानी का तालाब'
जल संरक्षण और नारी स्वंतत्रता का प्रतीक रानी का तालाब अब अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है. आधुनिक समय मे मशीनीकरण के चलते लोगों को बोरवेल के माध्यम से घरों में पानी की सुविधा उपलब्ध हो गई है. ऐसे में तालाबों की उपयोगिता खत्म हो गई है, जिससे लोगों ने इन ऐतिहासिक तालाबो को भुला दिया है. दैनिक जीवन का साथी रानी का तालाब अब खुद पानी के लिए संघर्ष कर रहा है. तालाब में वर्षा का जल आने वाले रास्तों को लोगों ने रोक दिया है, जिससे तालाब में पानी एकत्रित नहीं होता है. वहीं संरक्षण के अभाव में पक्के घाट भी टूटने लगे हैं.
महेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि रानी का तालाब अस्तित्व में बचा रहे, इसके लिए ग्राम पंचायत से तालाब के चारों तरफ कटीले तार लगा कर गेट लगा दिया गया है. प्रधानपति महेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि मनरेगा के तहत गेट और पेड़ लगवाया गया है. तालाब के सुंदरीकरण के लिए अधिक पैसे की जरूरत है. अगर प्रशासन साथ देगा तो यह तालाब पुनः अपने स्वरूप में आ जाएगा. तालाब में पानी आए इसके लिए नाली बनाई जा रही है.