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युवक ने मुस्लिम मां को किया रक्तदान, हिंदू-मुस्लिम एकता की पेश की मिसाल - up latest update

फर्रुखाबाद की बुजुर्ग मुस्लिम महिला को हिंदू युवक ने रक्तदान करके संप्रदाय सद्भाव की मिसाल कायम की है. एक तरफ महिला शाहाना का बेटा भारतीय सेना में तैनात पृष्ठभूमि की रक्षा कर रहा है. वहीं, दूसरी तरफ कानपुर के अभिमन्यु ने हिंदू-मुस्लिम एकता की अनोखी कहानी से समाज में लोगों को संदेश दिया है.

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हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
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Published : Jun 14, 2022, 3:22 PM IST

फर्रुखाबाद: कानपुर के हिंदू युवक ने जिले की एक बुजुर्ग मुस्लिम महिला को खून देकर उसके प्राणों की रक्षा की है. इसकी चर्चा पूरे जिले में हो रही है. बता दें, कि पिछले दिनों से कानपुर और प्रयागराज में हिंसा भड़क रही थी. लेकिन हिंदू युवक ने ऐसे उपद्रवियों के लिए मिसाल दी है. वहीं, ईटीवी भारत की टीम ने फर्रुखाबाद की शाहाना बेगम उनके पति अहमद खां, और कानपुर के अभिमन्यु गुप्ता से खास बातचीत की.

उत्तर प्रदेश में जहां एक तरफ नूपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ माहौल गरमाया हुआ है. वहीं, फर्रुखाबाद से संप्रदाय सौहार्द की अलग-अलग कहानियां सामने आ रही हैं. कानपुर के एक अस्पताल में भर्ती महिला शाहाना बेगम डायलिसिस से पीड़ित है. शाहाना बेगम को खून की जरूरत थी. वहीं, कानपुर के सामाजिक कार्यकर्ता अभिमन्यु गुप्ता (35 वर्ष) ने उन्हें रक्तदान कर संप्रदाय सद्भाव की मिसाल कायम की है. बता दें, कि पीड़ित महिला के परिजनों की ओर आपातकालीन सूचना दी गई थी. उसमें लिखा था कि मरीज को खून की तुरंत जरूरत है. वहीं, अभिमन्यु ने स्वेच्छा से रक्तदान किया.

मुस्लिम मां ने की हिंदू बेटे की तारीफ

शाहाना बेगम फर्रुखाबाद जनपद के मोहल्ला खैराती खां में अपने पति अहमद खां के साथ रहती हैं. इनका एक बेटा अदनान जो कि कश्मीर में तैनात सेना में जवान है. सामाजिक कार्यकर्ता अभिमन्यु ने बताया कि शाहाना के परिवार के सदस्यों का उन्हें फोन आया था और अभिमन्यु से शाहाना को खून देकर उनकी जान बचाने की मदद का अनुरोध किया गया था. परिजनों ने अभिमन्यु से कहा था कि शाहाना डायलिसिस से पीड़ित है. उन्हें दो यूनिट खून की सख्त जरुरत है. वहीं, अभिमन्यु ने भी बिना कुछ सोचे समझे शाहाना की जान बचाने का फैसला कर लिया. उसके वह तुरंत उर्सला अस्पताल पहुंचे और रक्तदान करने के लिए खून यूनिट में गए. शनिवार (11 जून) को शाहाना का सेवन फोर्स अस्पताल में डायलिसिस होना था.

यह भी पढ़ें: विश्वनाथ धाम के निर्माण के दौरान बंद पड़े दो प्राचीन मंदिरों में फिर से शुरू हुआ दर्शन पूजन

अभिमन्यु कानपुर के रहने वाले हैं. वह सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. उन्होंने कहा कि एक मां को खून की जरूरत को लेकर उन्हें एक फोन आया था. अभिमन्यु ने मुस्लिम मां की मदद को लेकर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जिसका बेटा हम भारतीयों के लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए तैयार है. सीमा पर तैनात उस मां का बेटा जो काम कर रहा है. उसके सामने यह रक्तदान छोटा सा प्रयास है. हमारा धर्म अलग हो सकता है. लेकिन हमारे खून का रंग एक ही है. पहले हम सब भारतीय हैं और फिर बाद में हिंदू-मुसलमान हैं. बता दें कि, शाहाना किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं. उन्हें नियमित रूप से रक्त को चढ़ाने की जरूरत होती है. इससे वह जीवित है.

ईटीवी भारत के माध्यम से शाहाना बेगम और उनके पति निसार अहमद खां ने अभिमन्यु का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने बताया कि अभिमन्यु कई शाहाना को रक्तदान कर चुके हैं. साथ ही उन्होंने समाज में सबको मिलजुल कर रहने का मैसेज भी दिया.

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फर्रुखाबाद: कानपुर के हिंदू युवक ने जिले की एक बुजुर्ग मुस्लिम महिला को खून देकर उसके प्राणों की रक्षा की है. इसकी चर्चा पूरे जिले में हो रही है. बता दें, कि पिछले दिनों से कानपुर और प्रयागराज में हिंसा भड़क रही थी. लेकिन हिंदू युवक ने ऐसे उपद्रवियों के लिए मिसाल दी है. वहीं, ईटीवी भारत की टीम ने फर्रुखाबाद की शाहाना बेगम उनके पति अहमद खां, और कानपुर के अभिमन्यु गुप्ता से खास बातचीत की.

उत्तर प्रदेश में जहां एक तरफ नूपुर शर्मा की टिप्पणी के खिलाफ माहौल गरमाया हुआ है. वहीं, फर्रुखाबाद से संप्रदाय सौहार्द की अलग-अलग कहानियां सामने आ रही हैं. कानपुर के एक अस्पताल में भर्ती महिला शाहाना बेगम डायलिसिस से पीड़ित है. शाहाना बेगम को खून की जरूरत थी. वहीं, कानपुर के सामाजिक कार्यकर्ता अभिमन्यु गुप्ता (35 वर्ष) ने उन्हें रक्तदान कर संप्रदाय सद्भाव की मिसाल कायम की है. बता दें, कि पीड़ित महिला के परिजनों की ओर आपातकालीन सूचना दी गई थी. उसमें लिखा था कि मरीज को खून की तुरंत जरूरत है. वहीं, अभिमन्यु ने स्वेच्छा से रक्तदान किया.

मुस्लिम मां ने की हिंदू बेटे की तारीफ

शाहाना बेगम फर्रुखाबाद जनपद के मोहल्ला खैराती खां में अपने पति अहमद खां के साथ रहती हैं. इनका एक बेटा अदनान जो कि कश्मीर में तैनात सेना में जवान है. सामाजिक कार्यकर्ता अभिमन्यु ने बताया कि शाहाना के परिवार के सदस्यों का उन्हें फोन आया था और अभिमन्यु से शाहाना को खून देकर उनकी जान बचाने की मदद का अनुरोध किया गया था. परिजनों ने अभिमन्यु से कहा था कि शाहाना डायलिसिस से पीड़ित है. उन्हें दो यूनिट खून की सख्त जरुरत है. वहीं, अभिमन्यु ने भी बिना कुछ सोचे समझे शाहाना की जान बचाने का फैसला कर लिया. उसके वह तुरंत उर्सला अस्पताल पहुंचे और रक्तदान करने के लिए खून यूनिट में गए. शनिवार (11 जून) को शाहाना का सेवन फोर्स अस्पताल में डायलिसिस होना था.

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अभिमन्यु कानपुर के रहने वाले हैं. वह सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं. उन्होंने कहा कि एक मां को खून की जरूरत को लेकर उन्हें एक फोन आया था. अभिमन्यु ने मुस्लिम मां की मदद को लेकर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि जिसका बेटा हम भारतीयों के लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए तैयार है. सीमा पर तैनात उस मां का बेटा जो काम कर रहा है. उसके सामने यह रक्तदान छोटा सा प्रयास है. हमारा धर्म अलग हो सकता है. लेकिन हमारे खून का रंग एक ही है. पहले हम सब भारतीय हैं और फिर बाद में हिंदू-मुसलमान हैं. बता दें कि, शाहाना किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं. उन्हें नियमित रूप से रक्त को चढ़ाने की जरूरत होती है. इससे वह जीवित है.

ईटीवी भारत के माध्यम से शाहाना बेगम और उनके पति निसार अहमद खां ने अभिमन्यु का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने बताया कि अभिमन्यु कई शाहाना को रक्तदान कर चुके हैं. साथ ही उन्होंने समाज में सबको मिलजुल कर रहने का मैसेज भी दिया.

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