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207 स्कूलों में एक गुरुजी के हवाले 100 बच्चे

फर्रुखाबाद में बीएसए बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन जिले में शिक्षकों की भारी कमी दिख रही है. जिले में करीब 5559 शिक्षकों की जरूरत है, जबकि 4060 शिक्षक ही तैनात हैं.

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Published : Nov 20, 2020, 2:28 PM IST

उच्च प्राथमिक विद्यालय
उच्च प्राथमिक विद्यालय

फर्रुखाबाद: जिले में बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए भले ही प्रयासरत हो, लेकिन जिले में शिक्षकों की कमी के चलते यह संभव होता नहीं दिख रहा है. मानक के अनुसार जिले में करीब 5559 शिक्षकों की जरूरत है, जबकि 4060 शिक्षक ही तैनात हैं. इसके चलते जिले के 207 विद्यालयों में एक-एक शिक्षक के भरोसे 100-100 बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा है. तमाम प्रयासों के बावजूद एकल विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो रही है.


मानक के अनुसार उच्च प्राथमिक विद्यालय में 35 और प्राथमिक विद्यालय में 30 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी एक-एक शिक्षक की होनी चाहिए. मगर जिले में 207 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें एक-एक शिक्षक की ही तैनाती है, जबकि विद्यालय में बच्चों की संख्या 70 से 100 तक है. इसके अलावा 16 विद्यालय शिक्षक विहीन हैं. एक शिक्षक के भरोसे 100 बच्चों की पढ़ाई होने से खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नौनिहाल क्या शिक्षा ग्रहण करते होंगे. किसी कारणवश इन स्कूलों के शिक्षक अगर अवकाश ले लेते हैं, तो यह विद्यालय बंद ही रहते हैं. मानक के अनुसार जिले को अभी भी 1499 शिक्षकों की आवश्यकता है.

वहीं जिले में कई स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें दो-दो, तीन-तीन शिक्षकों की तैनाती है. ग्रामीण इलाकों में एकल विद्यालय ज्यादा चल रहे हैं. अधिकारी अगर ठीक तरह से ध्यान दें तो ग्रामीण इलाकों के एकल विद्यालयों में उन स्कूलों से शिक्षकों की तैनाती की जा सकती है, जिनमें 2-2 या 3-3 शिक्षक तैनात हैं. हालांकि 69000 शिक्षक भर्ती से रोक हटने पर जिले को 839 शिक्षक और मिल जाएंगे. इससे भी कुछ हद तक शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी.

बीएसए लालजी यादव ने स्वीकार किया कि जिले में शिक्षकों की कमी है, लेकिन नवनियुक्त शिक्षकों के मिलने से उन्हें एकल और बंद विद्यालयों में प्राथमिकता के आधार पर तैनात किया जाएगा.

फर्रुखाबाद: जिले में बेसिक शिक्षा विभाग बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए भले ही प्रयासरत हो, लेकिन जिले में शिक्षकों की कमी के चलते यह संभव होता नहीं दिख रहा है. मानक के अनुसार जिले में करीब 5559 शिक्षकों की जरूरत है, जबकि 4060 शिक्षक ही तैनात हैं. इसके चलते जिले के 207 विद्यालयों में एक-एक शिक्षक के भरोसे 100-100 बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा है. तमाम प्रयासों के बावजूद एकल विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो रही है.


मानक के अनुसार उच्च प्राथमिक विद्यालय में 35 और प्राथमिक विद्यालय में 30 बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी एक-एक शिक्षक की होनी चाहिए. मगर जिले में 207 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें एक-एक शिक्षक की ही तैनाती है, जबकि विद्यालय में बच्चों की संख्या 70 से 100 तक है. इसके अलावा 16 विद्यालय शिक्षक विहीन हैं. एक शिक्षक के भरोसे 100 बच्चों की पढ़ाई होने से खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नौनिहाल क्या शिक्षा ग्रहण करते होंगे. किसी कारणवश इन स्कूलों के शिक्षक अगर अवकाश ले लेते हैं, तो यह विद्यालय बंद ही रहते हैं. मानक के अनुसार जिले को अभी भी 1499 शिक्षकों की आवश्यकता है.

वहीं जिले में कई स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें दो-दो, तीन-तीन शिक्षकों की तैनाती है. ग्रामीण इलाकों में एकल विद्यालय ज्यादा चल रहे हैं. अधिकारी अगर ठीक तरह से ध्यान दें तो ग्रामीण इलाकों के एकल विद्यालयों में उन स्कूलों से शिक्षकों की तैनाती की जा सकती है, जिनमें 2-2 या 3-3 शिक्षक तैनात हैं. हालांकि 69000 शिक्षक भर्ती से रोक हटने पर जिले को 839 शिक्षक और मिल जाएंगे. इससे भी कुछ हद तक शिक्षकों की कमी दूर हो जाएगी.

बीएसए लालजी यादव ने स्वीकार किया कि जिले में शिक्षकों की कमी है, लेकिन नवनियुक्त शिक्षकों के मिलने से उन्हें एकल और बंद विद्यालयों में प्राथमिकता के आधार पर तैनात किया जाएगा.

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