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फर्रुखाबाद: शीतला देवी मंदिर में आस्था और उल्लास में डूब रहे श्रद्धालु - शीतला माता मंदिर का इतिहास 200 वर्ष पुराना

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में कोरोना के चलते शीतला माता मंदिर में भीड़ न के बराबर आ रही है. जो श्रद्धालु शीतला माता देवी मंदिर दर्शन के लिए आ रहे हैं, उनके अंदर आस्था का उल्लास नजर आ रहा है. इस मंदिर का इतिहास लगभग 200 वर्ष पुराना है...आइए जानते हैं मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें...

शीतला माता का मंदिर.
शीतला माता का मंदिर.
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Published : Oct 23, 2020, 2:53 PM IST

फर्रुखाबाद: जिले के बढ़पुर में स्थित शीतला माता मंदिर में जो भी भक्तगण जमीन पर लेटकर मां के दर्शन करने आता हैं, ऐसी मान्यता है कि उनकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है. शीतला माता मंदिर में रोजाना सुबह-शाम आरती के बाद प्रसाद का वितरण होता है. मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए मंदिर परिसर में पानी की व्यवस्था भी की गई है.

मंदिर का इतिहास

समिति के अध्यक्ष की पत्नी ने भजन संध्या की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले रखी है. पूरे नवरात्र में शाम को संगीत के साथ भजन संध्या का आयोजन किया जाता है. जहां सैकड़ों भक्तगण भजन सुनकर अपने आप को खुश नसीब मानते हैं. शीतला देवी मंदिर की मानता है कि एक बार जिस समय माता की प्रतिमा तालाब में थी. उस समय पूरे शहर में चेचक फैली हुई थी. हर तरफ चेचक के मरीज दिखाई दे रहे थे. माता शीतला देवी के आदेश पर तालाब में बड़ी मूर्ति स्थापित करने के लिए बाहर लाई गई तो उसके 2 दिन बाद चेचक का प्रकोप कम होने लगा. लोग तभी से जब भी किसी को चेचक निकलती है, तो वह मंदिर आकर माथा टेकता है. उसकी चेचक पीड़ा दूर हो जाती है.

मुंडन संस्कार के लिए दूर-दराज से आते हैं लोग

इस मंदिर में लोग बहुत सी मन्नते मांगते हैं, जो पूरी भी होती हैं. शीतला माता मंदिर दूर-दूर से लोग यहां पर मुंडन संस्कार, अन्न प्रशन का कार्यक्रम करते हैं. नवरात्र में सुबह-शाम बहुत अधिक भीड़ होती है. इस मंदिर जिस प्रकार आस्था का सैलाब दिखाई देता है, उससे यही प्रतीत होता है कि यहां साक्षात मां लोगों को दर्शन दे रही हो. इस मंदिर में 100 वर्ष से पहले बनाए गए घंटे लगे हुए हैं, जिनको लोग पंचायती घंटा बोलते हैं.

डेढ़ से दो सौ वर्ष पुराना है यह मंदिर

मंदिर में आए श्रद्धालु मनोज मिश्रा ने बताया कि वह शीतला माता देवी मंदिर में पिछले 20 वर्ष से आ रहे हूैं. कोरोना के चलते अभी फैमिली के साथ नहीं आ सकते. लेकिन अकेले पूजा करने आते हैं. मनोज ने बताया कि इस मंदिर में हर प्रकार की समस्या का समाधान हो जाता है, शीतला माता देवी की कृपा से. वहीं मंदिर के अध्यक्ष प्रकाश कटियार ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना को लगभग डेढ़ से दो सौ वर्ष हो गये हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.

फर्रुखाबाद: जिले के बढ़पुर में स्थित शीतला माता मंदिर में जो भी भक्तगण जमीन पर लेटकर मां के दर्शन करने आता हैं, ऐसी मान्यता है कि उनकी मनोकामना अवश्य ही पूरी होती है. शीतला माता मंदिर में रोजाना सुबह-शाम आरती के बाद प्रसाद का वितरण होता है. मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए मंदिर परिसर में पानी की व्यवस्था भी की गई है.

मंदिर का इतिहास

समिति के अध्यक्ष की पत्नी ने भजन संध्या की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले रखी है. पूरे नवरात्र में शाम को संगीत के साथ भजन संध्या का आयोजन किया जाता है. जहां सैकड़ों भक्तगण भजन सुनकर अपने आप को खुश नसीब मानते हैं. शीतला देवी मंदिर की मानता है कि एक बार जिस समय माता की प्रतिमा तालाब में थी. उस समय पूरे शहर में चेचक फैली हुई थी. हर तरफ चेचक के मरीज दिखाई दे रहे थे. माता शीतला देवी के आदेश पर तालाब में बड़ी मूर्ति स्थापित करने के लिए बाहर लाई गई तो उसके 2 दिन बाद चेचक का प्रकोप कम होने लगा. लोग तभी से जब भी किसी को चेचक निकलती है, तो वह मंदिर आकर माथा टेकता है. उसकी चेचक पीड़ा दूर हो जाती है.

मुंडन संस्कार के लिए दूर-दराज से आते हैं लोग

इस मंदिर में लोग बहुत सी मन्नते मांगते हैं, जो पूरी भी होती हैं. शीतला माता मंदिर दूर-दूर से लोग यहां पर मुंडन संस्कार, अन्न प्रशन का कार्यक्रम करते हैं. नवरात्र में सुबह-शाम बहुत अधिक भीड़ होती है. इस मंदिर जिस प्रकार आस्था का सैलाब दिखाई देता है, उससे यही प्रतीत होता है कि यहां साक्षात मां लोगों को दर्शन दे रही हो. इस मंदिर में 100 वर्ष से पहले बनाए गए घंटे लगे हुए हैं, जिनको लोग पंचायती घंटा बोलते हैं.

डेढ़ से दो सौ वर्ष पुराना है यह मंदिर

मंदिर में आए श्रद्धालु मनोज मिश्रा ने बताया कि वह शीतला माता देवी मंदिर में पिछले 20 वर्ष से आ रहे हूैं. कोरोना के चलते अभी फैमिली के साथ नहीं आ सकते. लेकिन अकेले पूजा करने आते हैं. मनोज ने बताया कि इस मंदिर में हर प्रकार की समस्या का समाधान हो जाता है, शीतला माता देवी की कृपा से. वहीं मंदिर के अध्यक्ष प्रकाश कटियार ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना को लगभग डेढ़ से दो सौ वर्ष हो गये हैं. उन्होंने बताया कि यहां पर सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.

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