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निजी स्कूलों की लापरवाही पड़ रही अभिभावकों पर भारी - right to education

यूपी के फर्रुखाबाद जिले में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 106 गरीब बच्चों को प्रवेश दिया गया है. लेकिन स्कूल संचालकों ने बच्चों का डाटा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अभी तक उपलब्ध नहीं कराया है. जबकि डाटा उपलब्ध कराने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर थी.

निजी स्कूलों की लापरवाही का मामला आया सामने
निजी स्कूलों की लापरवाही का मामला आया सामने.
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Published : Nov 7, 2020, 10:34 AM IST

फर्रुखाबाद : यूपी के फर्रुखाबाद जिले से निजी स्कूलों की लापरवाही का मामला सामने आया है. फर्रुखाबाद जिले में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 106 गरीब बच्चों को प्रवेश दिया गया है. लेकिन स्कूल संचालकों ने बच्चों का डाटा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराया है. जबकि नियमों के तहत बच्चों का डाटा 30 अक्टूबर तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराना था. अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभिभावकों को बच्चों पर खर्च की गई पांच हजार रूपये की धनराशि नहीं मिल पा रही है.

क्या है शिक्षा का अधिकार अधिनियम

शासन का आदेश है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में प्रवेश कर उन्हें मुफ्त शिक्षा दी जाएगी. इसके साथ ही बच्चों की कॉपी, किताब, ड्रेस आदि की खरीद के लिए भी सरकार अभिभावक के खाते में पांच हजार भेजेगी. अभिभावकों के खाते में 5 हजार रूपये की धनराशि पहुंचाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने 30 अक्टूबर तक प्रवेश पाने वाले बच्चों की लिस्ट मांगी थी. लेकिन अभी तक स्कूल संचालकों ने बीएसए कार्यालय में प्रवेश पाए बच्चों की सूची नहीं भेजी है. इसके चलते अभिभावकों के खाते में खर्च की गई पांच हजार की धनराशि नहीं पहुंच पा रही है.

अभिभावकों का कहना है कि 6 माह हो गए हैं और अभी तक उनके खाते में पांच हजार नहीं आए हैं. पटेल प्रभारी विशाल गगन ने बताया की शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत 5 सालों में करीब 106 बच्चों के प्रवेश हुए हैं. इसमें 2020-21 तक 30 बच्चों को प्रवेश मिला है. कार्यालय बीईओ को पत्र भेजेगा की वे लोग निजी स्कूलों में प्रवेश मिलने वाले बच्चों की सूची जल्द ही उपलब्ध कराएं.

फर्रुखाबाद : यूपी के फर्रुखाबाद जिले से निजी स्कूलों की लापरवाही का मामला सामने आया है. फर्रुखाबाद जिले में शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 106 गरीब बच्चों को प्रवेश दिया गया है. लेकिन स्कूल संचालकों ने बच्चों का डाटा जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराया है. जबकि नियमों के तहत बच्चों का डाटा 30 अक्टूबर तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को उपलब्ध कराना था. अधिकारियों की लापरवाही के कारण अभिभावकों को बच्चों पर खर्च की गई पांच हजार रूपये की धनराशि नहीं मिल पा रही है.

क्या है शिक्षा का अधिकार अधिनियम

शासन का आदेश है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 25 फीसदी गरीब बच्चों का निजी स्कूलों में प्रवेश कर उन्हें मुफ्त शिक्षा दी जाएगी. इसके साथ ही बच्चों की कॉपी, किताब, ड्रेस आदि की खरीद के लिए भी सरकार अभिभावक के खाते में पांच हजार भेजेगी. अभिभावकों के खाते में 5 हजार रूपये की धनराशि पहुंचाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने 30 अक्टूबर तक प्रवेश पाने वाले बच्चों की लिस्ट मांगी थी. लेकिन अभी तक स्कूल संचालकों ने बीएसए कार्यालय में प्रवेश पाए बच्चों की सूची नहीं भेजी है. इसके चलते अभिभावकों के खाते में खर्च की गई पांच हजार की धनराशि नहीं पहुंच पा रही है.

अभिभावकों का कहना है कि 6 माह हो गए हैं और अभी तक उनके खाते में पांच हजार नहीं आए हैं. पटेल प्रभारी विशाल गगन ने बताया की शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत 5 सालों में करीब 106 बच्चों के प्रवेश हुए हैं. इसमें 2020-21 तक 30 बच्चों को प्रवेश मिला है. कार्यालय बीईओ को पत्र भेजेगा की वे लोग निजी स्कूलों में प्रवेश मिलने वाले बच्चों की सूची जल्द ही उपलब्ध कराएं.

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