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चार साल से खुले आसमान के नीचे पढ़ रहे बच्चे, स्कूल का बोर्ड तक नहीं

सरकारी स्कलों की बदहाली (poor condition of government schools) को लेकर अक्सर खबरें सुनने में आती हैं. कहीं शिक्षकों की कमी है तो कहीं सुविधाओं की भारी कमी. लेकिन फर्रुखाबाद में एक ऐसा भी स्कूल है जिसका नाम सिर्फ कागजों में है. इस स्कूल का कोई भवन ही नहीं (There is no school building) है. गांव की चौपाल में इसका संचालन होता है. इस स्कूल की अनदेखी की क्या है कहानी, आइए जानिए...

फर्रुखाबाद में स्कूल का हाल.
फर्रुखाबाद में स्कूल का हाल.
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 27, 2023, 7:50 PM IST

फर्रुखाबाद में स्कूल का हाल.

फर्रुखाबाद : जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर तीसराम की मड़ैया ग्राम में एक प्राथमिक विद्यालय है. गांव के नाम पर ही यह स्कूल भी है. इस विद्यालय का वजूद सिर्फ कागजों में है. गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर गंगा हैं. बाढ़ से विद्यालय भवन क्षतिग्रस्त हो गया. इसके बाद से ही गांव की चौपाल में करीब चार साल से विद्यालय का संचालन हो रहा है.

छत न दीवार, खुले आसमान के नीचे चलती हैं कक्षाएं : चौपाल में विद्यालय का संचालन तो हो रहा है लेकिन यहां न तो छत है न ही दीवार. मूलभूत भौतिक संसाधनों की कमी से विद्यालय के छात्र-छात्राएं और शिक्षक जूझ रहे हैं. विद्यालय में करीब 34 छात्र-छात्राएं हैं. जिनके लिए शौचालय का भी प्रबंध नहीं है. हालांकि विद्यालय की बिल्डिंग बनाई जा रही है. अब देखना होगा यह बिल्डिंग कब तक बनकर तैयार होगी. जब ईटीवी भारत की टीम विद्यालय पहुंची तो प्रधानाध्यापक और बच्चों ने अपनी बात रखी.

फर्रुखाबाद में स्कूल का हाल.

शौचालय की भी छत नहीं : विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्याम कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि प्राथमिक विद्यालय का नाम तीस राम की मढैया है. गंगा की बाढ़ में विद्यालय ढह गया. बताया कि चौपाल में एक हैंडपंप लगा है, जिससे बच्चे पानी पीते हैं. चौपाल के पास एक शौचालय बना है. इसका इस्तेमाल बच्चे करते हैं. कुछ बच्चे बाहर भी जाते हैं. शौचालय की छत नहीं है. गर्मी और सर्दी में इसी तरह खुले में स्कूल चलता है. बरसात में टीन का सहारा होता है. बताया कि करीब 4 वर्ष से बच्चे इसी तरह शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या 34 है. एमडीएम बच्चों का चौपाल में ही बनता है. विद्यालय में दो शिक्षामित्र एक सहायक अध्यापक, प्रधानाध्यापक है.

बच्चों ने कहा- चार साल हो गए, इंतजार करते-करते : विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे क्लास चार के छात्र विवेक ने बताया कि चार साल हो गए, बिना छत और दीवार के ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. बताया कि अन्य विद्यालयों में छत, दीवार में पानी, शौचालय की व्यवस्थाएं देखी हैं पर हमारे विद्यालय में न छत है न दीवार, और न ही शौचालय है. विद्यालय का कहीं नाम भी नहीं लिखा है. स्कूल की इमारत बनने का इंतजार करते-करते चार साल बीत गए. इस मामले में बीएसए गौतम प्रसाद ने बताया कि इसकी जांच कराई जाएगी. स्कूल की बिल्डिंग तैयार की जा रही है.

यह भी पढ़ें : गर्भवती महिलाओं ने पकड़ी मायके की राह, लड़कों के रिश्ते आने हुए कम, जानिए क्यों...

यह भी पढ़ें : BSA के निरीक्षण में बंद मिला विद्यालय, बच्चे बाहर घूम रहे थे, चार से मांगा स्पष्टीकरण

फर्रुखाबाद में स्कूल का हाल.

फर्रुखाबाद : जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर तीसराम की मड़ैया ग्राम में एक प्राथमिक विद्यालय है. गांव के नाम पर ही यह स्कूल भी है. इस विद्यालय का वजूद सिर्फ कागजों में है. गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर गंगा हैं. बाढ़ से विद्यालय भवन क्षतिग्रस्त हो गया. इसके बाद से ही गांव की चौपाल में करीब चार साल से विद्यालय का संचालन हो रहा है.

छत न दीवार, खुले आसमान के नीचे चलती हैं कक्षाएं : चौपाल में विद्यालय का संचालन तो हो रहा है लेकिन यहां न तो छत है न ही दीवार. मूलभूत भौतिक संसाधनों की कमी से विद्यालय के छात्र-छात्राएं और शिक्षक जूझ रहे हैं. विद्यालय में करीब 34 छात्र-छात्राएं हैं. जिनके लिए शौचालय का भी प्रबंध नहीं है. हालांकि विद्यालय की बिल्डिंग बनाई जा रही है. अब देखना होगा यह बिल्डिंग कब तक बनकर तैयार होगी. जब ईटीवी भारत की टीम विद्यालय पहुंची तो प्रधानाध्यापक और बच्चों ने अपनी बात रखी.

फर्रुखाबाद में स्कूल का हाल.

शौचालय की भी छत नहीं : विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्याम कुमार ने ईटीवी भारत को बताया कि प्राथमिक विद्यालय का नाम तीस राम की मढैया है. गंगा की बाढ़ में विद्यालय ढह गया. बताया कि चौपाल में एक हैंडपंप लगा है, जिससे बच्चे पानी पीते हैं. चौपाल के पास एक शौचालय बना है. इसका इस्तेमाल बच्चे करते हैं. कुछ बच्चे बाहर भी जाते हैं. शौचालय की छत नहीं है. गर्मी और सर्दी में इसी तरह खुले में स्कूल चलता है. बरसात में टीन का सहारा होता है. बताया कि करीब 4 वर्ष से बच्चे इसी तरह शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या 34 है. एमडीएम बच्चों का चौपाल में ही बनता है. विद्यालय में दो शिक्षामित्र एक सहायक अध्यापक, प्रधानाध्यापक है.

बच्चों ने कहा- चार साल हो गए, इंतजार करते-करते : विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे क्लास चार के छात्र विवेक ने बताया कि चार साल हो गए, बिना छत और दीवार के ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. बताया कि अन्य विद्यालयों में छत, दीवार में पानी, शौचालय की व्यवस्थाएं देखी हैं पर हमारे विद्यालय में न छत है न दीवार, और न ही शौचालय है. विद्यालय का कहीं नाम भी नहीं लिखा है. स्कूल की इमारत बनने का इंतजार करते-करते चार साल बीत गए. इस मामले में बीएसए गौतम प्रसाद ने बताया कि इसकी जांच कराई जाएगी. स्कूल की बिल्डिंग तैयार की जा रही है.

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