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डीजल की मार, मानसून का इंतजार, कहीं प्रभावित न कर दे धान की पैदावार

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Published : Jul 15, 2021, 10:42 PM IST

मानसून (monsoon) में देरी और डीजल का भाव (diesel price) अधिक होने से किसानों की धान की रोपाई (Transplantation of paddy) से मोहभंग होने लगा है. अधिक तापमान (Over temperature) होने से धान की पौध पीली पड़कर खराब हो रही है. ऐसे में धान की पैदावार भी प्रभावित होने का अंदेशा है.

धान के किसानों को मानसून का इंतजार .
धान के किसानों को मानसून का इंतजार .

फर्रुखाबाद: छिटपुट बारिश को छोड़ दिया जाए तो अभी तक उत्तर प्रदेश में मानसून (monsoon) ने दस्तक नहीं दी है. मौसम के इस तेवर से किसान खासा परेशान हैं. समय से बारिश का होना और लगातार डीजल की मार ने किसानों की धान की रोपाई (Transplantation of paddy) से मोहभंग कर दिया है. हालांकि, कुछ किसानों ने धान की पौध लगाई थी, लेकिन मौसम का मिजाज गर्म (hot weather) होने से वो भी पीली पढ़कर खराब हो रही है. लिहाजा, अधिकतर किसानों ने धान की फसल न करने का मन बना लिया है. ऐसे में इस वर्ष धान की फसल कम होने का अनुमान है.

डीजल महंगा (diesel expensive) होने से किसान काफी परेशान हैं. अब मानसून में देरी से किसान हलकान हैं. आधी जुलाई बीतने को है, लेकिन अभी तक मानसून नहीं आया है. दरअसल, फर्रुखाबाद जिले (Farrukhabad District) के अमृतपुर तहसील क्षेत्र में अधिकतर किसान फसलों की सिंचाई अपने संसाधन पंपिंग सेट से ही करते हैं. डीजल महंगा होने से इस बार किसान धान की फसल करने से कतरा रहे हैं. यही कारण है कि हाल ही में थोड़ी बहुत रोपी गई धान की फसल पानी की कमी और उमस भरी गर्मी के कारण खराब हो रही है. इससे किसान चिंतित हैं. किसानों (Farmers) के अनुसार, बारिश कम होने से धान का उत्पादन कम हो जाता है और लागत बढ़ जाती है, जिससे उनकी लागत तक वसूल नहीं हो पाती.

जानकारी देते किसान.

इसे भी पढ़ें-बरसात न होने से किसान परेशान, धान की बुआई प्रभावित

किसानों ने बताया कि बारिश का इंतजार है. हालांकि, कुछ किसानों ने सबमर्सिबल पंप के सहारे धान की रोपाई शुरू कर दी है. पंपिंग सेट से सिंचाई बहुत महंगी पड़ती है और उत्पादन भी कम हो जाता है. अगर, बारिश अच्छी होती है तो फसल की अच्छी पैदावार होती है. वहीं बिजली बिल के दाम (electricity bill hike) और डीजल महंगा होने के चलते सिंचाई महंगी हो गई है. इसलिए, किसान निजी नलकूप के सहारे धान की फसल करने से कतरा रहे हैं. जिले में सरकारी नलकूपों (government tube wells) का संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है. इसलिए सरकारी संसाधन भी किसानों को कोई राहत नहीं दे पा रहे हैं. किसान बताते हैं कि बारिश न होने से फसल मुरझा रही है और फसलों में रोग लग रहा है.

फर्रुखाबाद: छिटपुट बारिश को छोड़ दिया जाए तो अभी तक उत्तर प्रदेश में मानसून (monsoon) ने दस्तक नहीं दी है. मौसम के इस तेवर से किसान खासा परेशान हैं. समय से बारिश का होना और लगातार डीजल की मार ने किसानों की धान की रोपाई (Transplantation of paddy) से मोहभंग कर दिया है. हालांकि, कुछ किसानों ने धान की पौध लगाई थी, लेकिन मौसम का मिजाज गर्म (hot weather) होने से वो भी पीली पढ़कर खराब हो रही है. लिहाजा, अधिकतर किसानों ने धान की फसल न करने का मन बना लिया है. ऐसे में इस वर्ष धान की फसल कम होने का अनुमान है.

डीजल महंगा (diesel expensive) होने से किसान काफी परेशान हैं. अब मानसून में देरी से किसान हलकान हैं. आधी जुलाई बीतने को है, लेकिन अभी तक मानसून नहीं आया है. दरअसल, फर्रुखाबाद जिले (Farrukhabad District) के अमृतपुर तहसील क्षेत्र में अधिकतर किसान फसलों की सिंचाई अपने संसाधन पंपिंग सेट से ही करते हैं. डीजल महंगा होने से इस बार किसान धान की फसल करने से कतरा रहे हैं. यही कारण है कि हाल ही में थोड़ी बहुत रोपी गई धान की फसल पानी की कमी और उमस भरी गर्मी के कारण खराब हो रही है. इससे किसान चिंतित हैं. किसानों (Farmers) के अनुसार, बारिश कम होने से धान का उत्पादन कम हो जाता है और लागत बढ़ जाती है, जिससे उनकी लागत तक वसूल नहीं हो पाती.

जानकारी देते किसान.

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किसानों ने बताया कि बारिश का इंतजार है. हालांकि, कुछ किसानों ने सबमर्सिबल पंप के सहारे धान की रोपाई शुरू कर दी है. पंपिंग सेट से सिंचाई बहुत महंगी पड़ती है और उत्पादन भी कम हो जाता है. अगर, बारिश अच्छी होती है तो फसल की अच्छी पैदावार होती है. वहीं बिजली बिल के दाम (electricity bill hike) और डीजल महंगा होने के चलते सिंचाई महंगी हो गई है. इसलिए, किसान निजी नलकूप के सहारे धान की फसल करने से कतरा रहे हैं. जिले में सरकारी नलकूपों (government tube wells) का संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है. इसलिए सरकारी संसाधन भी किसानों को कोई राहत नहीं दे पा रहे हैं. किसान बताते हैं कि बारिश न होने से फसल मुरझा रही है और फसलों में रोग लग रहा है.

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