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फर्रुखाबाद: शासन के आदेश को नहीं मान रहे शिक्षक

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Published : Jul 19, 2020, 4:47 PM IST

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से सभी कॉलेजों के शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच होनी है. निर्देशों के बाद भी जिले में सिर्फ 10 प्रतिशत शिक्षकों ने ही कागजात जमा कराए हैं.

जमा नहीं कराए शैक्षिक अभिलेख
जमा नहीं कराए शैक्षिक अभिलेख

फर्रुखाबाद: जनपद में माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से सभी कॉलेजों के शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच होनी है, लेकिन अब तक जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में सिर्फ 10 प्रतिशत शिक्षकों ने मूल अभिलेख जांच के लिए जमा किए हैं, जबकि 31 जुलाई तक जांच रिपोर्ट शासन को भेजी जानी है.

प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों में एसआईटी जांच के बाद बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करने वाले शिक्षक पकड़े गए हैं. इसके बाद शासन ने माध्यमिक विद्यालय में भी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन के आदेश दिए. इन शिक्षकों को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में शैक्षिक दस्तावेज जमा कराने हैं, जिससे जांच करवाई जा सके. इसी आदेश के तहत चार सदस्यीय जांच समिति का गठन भी कर दिया गया है. डीआईओएस डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने सभी विद्यालयों से अपने यहां कार्यरत शिक्षकों के दस्तावेज कार्यालय में जमा कराने के निर्देश दिए थे. इन निर्देशों के बाद भी सिर्फ 10 प्रतिशत शिक्षकों ने ही कागजात जमा कराए हैं.

फर्जी शिक्षकों में मची हलचल
अपर सचिव के आदेश के बावजूद शिक्षकों द्वारा शैक्षिक दस्तावेज उपलब्ध न कराए जाने को लेकर अब विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है. जानकारी के अनुसार, साल 2010 और 2014 में हुई शिक्षक भर्ती के दौरान फर्रुखाबाद में कई शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी पाई थी. अब इस आदेश के बाद से फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति पाए शिक्षकों में हलचल मची है. इसी वजह से कई शिक्षक मूल शैक्षिक अभिलेख जमा नहीं कर रहे हैं.

जांच समिति में यह लोग शामिल
चार सदस्यीय जांच समिति में अपर जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, राजकीय इंटर कॉलेज फतेहगढ़ और भारतीय पाठशाला के प्रधानाचार्य शामिल हैं. शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों को जमा करवाकर संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालयों से जांच करवाई जाएगी. हालांकि, जांच पूरी न होने तक मूल अभिलेख डीआईओएस कार्यालय में जमा रहेंगे.



शासन के आदेश पर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच होनी है. शिक्षकों से कहा गया था, लेकिन वह लोग प्रमाण पत्र जमा नहीं कर रहे हैं. ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
-डॉ. आदर्श त्रिपाठी, डीआईओएस

फर्रुखाबाद: जनपद में माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से सभी कॉलेजों के शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच होनी है, लेकिन अब तक जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में सिर्फ 10 प्रतिशत शिक्षकों ने मूल अभिलेख जांच के लिए जमा किए हैं, जबकि 31 जुलाई तक जांच रिपोर्ट शासन को भेजी जानी है.

प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों में एसआईटी जांच के बाद बड़ी संख्या में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करने वाले शिक्षक पकड़े गए हैं. इसके बाद शासन ने माध्यमिक विद्यालय में भी शिक्षकों के प्रमाणपत्रों के सत्यापन के आदेश दिए. इन शिक्षकों को जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में शैक्षिक दस्तावेज जमा कराने हैं, जिससे जांच करवाई जा सके. इसी आदेश के तहत चार सदस्यीय जांच समिति का गठन भी कर दिया गया है. डीआईओएस डॉ. आदर्श त्रिपाठी ने सभी विद्यालयों से अपने यहां कार्यरत शिक्षकों के दस्तावेज कार्यालय में जमा कराने के निर्देश दिए थे. इन निर्देशों के बाद भी सिर्फ 10 प्रतिशत शिक्षकों ने ही कागजात जमा कराए हैं.

फर्जी शिक्षकों में मची हलचल
अपर सचिव के आदेश के बावजूद शिक्षकों द्वारा शैक्षिक दस्तावेज उपलब्ध न कराए जाने को लेकर अब विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है. जानकारी के अनुसार, साल 2010 और 2014 में हुई शिक्षक भर्ती के दौरान फर्रुखाबाद में कई शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी पाई थी. अब इस आदेश के बाद से फर्जी दस्तावेजों से नियुक्ति पाए शिक्षकों में हलचल मची है. इसी वजह से कई शिक्षक मूल शैक्षिक अभिलेख जमा नहीं कर रहे हैं.

जांच समिति में यह लोग शामिल
चार सदस्यीय जांच समिति में अपर जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, राजकीय इंटर कॉलेज फतेहगढ़ और भारतीय पाठशाला के प्रधानाचार्य शामिल हैं. शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों को जमा करवाकर संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालयों से जांच करवाई जाएगी. हालांकि, जांच पूरी न होने तक मूल अभिलेख डीआईओएस कार्यालय में जमा रहेंगे.



शासन के आदेश पर माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच होनी है. शिक्षकों से कहा गया था, लेकिन वह लोग प्रमाण पत्र जमा नहीं कर रहे हैं. ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
-डॉ. आदर्श त्रिपाठी, डीआईओएस

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