फर्रुखाबादः जिले में शिक्षा विभाग की अनियमितता के चलते स्कूलों में शिक्षकों की कमी बनी हुई है. शिक्षा विभाग को खुद यह पता नहीं कि किस स्कूल में कितने छात्र है और यहां अध्यापकों की संख्या कितनी है. आलम यह है कि किसी स्कूल में बिना स्टूडेंट के 8 से 11 अध्यापक तैनात हैं तो कहीं एक शिक्षामित्र के सहारे स्कूल को छोड़ दिया गया है.
जिले में जहां ग्रामीण क्षेत्र के एक स्कूल में 5 कक्षाओं के लिए 11 अध्यापक हैं वहीं नगरी क्षेत्र के एक स्कूल में 8 कक्षाओं पर एक भी अध्यापक नहीं है सिर्फ एक शिक्षामित्र है, जो 1 से लेकर 8 कक्षाओं के बच्चों को अकेले पढ़ाते हैं. ऐसे ही शिक्षक विहीन अनेक स्कूल चल रहे हैं. वहां पढ़ाई कैसे होती होगी. इसका खुद ही अनुमान लगाया जा सकता है. प्राथमिक शिक्षा के प्रति बेसिक शिक्षा विभाग कितना सजग है या लापरवाह है इसका उदाहरण नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालय हैं.
दरअसल, गांव अताईपुर जदीद का प्राथमिक विद्यालय जिसमें कक्षा 1 से 5 तक के 305 पंजीकृत विद्यार्थी हैं. इस स्कूल में पहले से ही प्रधानाध्यापक सपना वर्मा, सहायक अध्यापक शरद कांत, असमी नाज, शिक्षामित्र मंजू शाक्य, अनूप सिंह व सोनी गंगवार सहित कुल 6 शिक्षक थे. जो पांच कक्षाओं के लिए पर्याप्त थे.
हालांकि इन दिनों कोरोना गाइडलाइन के कारण 1 दिन में दो या तीन कक्षाएं ही लगती हैं. इसलिए 3 शिक्षकों से भी काम चल सकता था. लेकिन विभाग ने फरवरी में यहां 5 अध्यापक और तैनात कर दिए. 1 फरवरी को नारायण तिवारी को और 15 फरवरी को आरती यादव, राखी यादव, मोनिका गंगवार व इंदु को तैनात किया गया. जिसमें इस स्कूल में शिक्षकों की संख्या 11 हो गई.
यहां नहीं है एक भी अध्यापक
वहीं दूसरी ओर नगर क्षेत्र में तहसील कार्यालय के ठीक सामने स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक संयुक्त विद्यालय जिसमें कक्षा एक से कक्षा 8 तक की कक्षाओं के लिए एक भी अध्यापक नहीं है. वहां 8 कक्षाओं के विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए सिर्फ एक शिक्षामित्र मोहसीन हैं. जो प्राथमिक स्तर के कक्षा स्तर से पांच तक के 184 व जूनियर स्तर के कक्षा 6 से 8 तक के 68 बच्चों यानी कुल 252 बच्चों को कैसे पढ़ाएंगे. यहां प्रभारी प्रधानाध्यापक का चार्ज गंगा दरवाजे के प्राथमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक पर है. उनके पास 6 स्कूलों के अध्यापक का चार्ज है.
वहीं वेगिस गोयल सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी कायमगंज ने बताया ग्रामीण क्षेत्र व नगर क्षेत्र के अध्यापकों के को कैडर अलग-अलग हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए नियुक्त अध्यापकों या शिक्षामित्रों को नगरी क्षेत्र में नहीं लगाया जा सकता. नगरी क्षेत्र के लिए अध्यापकों की भर्ती 10 वर्षों से नहीं हुई है. इसलिए नगर क्षेत्र में अनेक स्कूल अध्यापक विहीन हो गए हैं. यह समस्या यहीं कि नहीं प्रदेश स्तर की है.