फर्रुखाबाद: लाॅकडाउन के कारण कामकाज ठप होने की वजह से प्रदेश के अन्य जिलों और दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूर पलायन करने लगे. इन मजदूरों को रोजगार देने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से योजना बनाई गई और इन मजदूरों को उनके गांव में मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराया गया. जिले में पलायन कर आए 9,322 प्रवासी मजदूर मौजूदा समय मनरेगा में काम कर रहे हैं.
वहीं लाॅकडाउन के दौरान पलायन कर जिले में आए प्रवासी श्रमिकों ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि अगर इसी तरह से रोजगार मिलता रहे, तो रोजी-रोटी के लिए अन्य राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा. जिले में लॉकडाउन के दौरान राजस्थान, एमपी, बिहार, मुंबई, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल समेत कई राज्यों से प्रवासी श्रमिक अपने परिवार के साथ पलायन कर आए हैं.
पलायन कर आए श्रमिक बोले- मिल रहा रोजगार
थाना शमशाबाद के ग्राम अमलैया आशानंद निवासी सचिन कुमार मनरेगा के तहत तालाब में खुदाई का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि दिल्ली में करीब 8 साल से वेल्डिंग का काम कर रहा था, जहां 14 हजार रुपये सैलरी मिलती थी. लॉकडाउन में काम बंद हो गया, जिसके बाद गांव में आ गया. वहीं जोधपुर में कारपेंटर का काम करने वाले मुकेश कुमार ने बताया कि लॉकडाउन में खूब धक्के खाए और वहां से पैदल घर आ गया.
कंपिल निवासी राजीव सिंह चौहान ने बताया कि वह गुजरात के जनपद गांधीनगर के पलौला स्थित प्लास्टिक की बोरी बनाने वाली फैक्ट्री में भाई आदित्य के साथ काम करते थे. दोनों भाइयों को 10-10हजार रुपये मिलता था. लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद हो गई और परेशानियां बढ़ने लगी, इसी कारण पलायन कर गांव आ गया. दोनों भाई अब खेती का काम कर रहे हैं. मजूदरों ने बताया कि अब गांव में ही काम मिल रहा है और परेशानियां खत्म हो गई हैं. अगर रोजगार मिलता रहे, तो गांव से बाहर नहीं जाना पड़ेगा.
18 हजार नए जाॅब कार्ड बने
पलायन कर आए मजदूरों की क्वारंटाइन अवधि खत्म होने के बाद प्रशासन की ओर से कुशल और अकुशल कामगारों को उनके अनुभव के आधार पर रोजगार दिया जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले में अब तक करीब 9,322 से अधिक प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा चुका है. इसके अलावा करीब 34 हजार से अधिक ग्रामीणों को भी मनरेगा के तहत काम दिया गया है.
मसलन मौजूदा समय में जिले में लगभग 44 हजार से अधिक श्रमिकों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया गया है. वहीं प्रशासन के अनुसार एक अप्रैल के बाद से अब तक करीब 18 हजार नए जाॅब कार्ड बनाए गए हैं. जिले में अब तक विभिन्न राज्यों से 16,544 प्रवासी श्रमिक पलायन कर आए हैं. अधिकारियों ने बताया कि सभी कामगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा.
6 माह तक रोजगार देने की बनाई गई है योजना व्यवस्था
डीएम मानवेंद्र सिंह ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत चक रोड, तालाबों का सौंदर्यीकरण, पौधराेपण, सरकारी स्कूल की बाउंड्री, नालों की सफाई, खेल का मैदान, सिंचाई आदि के तहत काम देने का प्रावधान है. इसके तहत पलायन कर आए प्रवासी मजदूरों के अलावा स्थानीय मजदूरों को भी रोजगार मुहैया कराया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 6 माह तक प्रवासी और स्थानीय मजदूरों को रोजगार देने की योजना बनाई गई है.
मनरेगा के तहत सुबह 6 से 11 बजे तक और शाम 4 से 7 बजे तक काम कराया जाता है. मजदूरों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है. मजदूरों को मास्क लगाकर काम करना अनिवार्य किया गया है. डीएम ने बताया कि मजदूरी को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये प्रतिदिन कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस साल मई माह में मजदूरों की संख्या में करीब 50 फीसदी का इजाफा हुआ है.