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कई की नौकरी पर आ सकती थी आंच, सत्यापन शुल्क में दबी शिक्षकों की जांच

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Published : Feb 15, 2021, 1:26 PM IST

यूपी के फर्रुखाबाद में माध्यमिक शिक्षा परिषद के राज्यकीय और एडेड विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की जांच सत्यापन शुल्क में दब गई है. संबंधित बोर्ड और यूनिवर्सिटी के सत्यापन शुल्क मांगने के बाद विभाग ने जांच रोक दी है.

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सत्यापन शुल्क में दब गई शिक्षकों की जांच

फर्रुखाबाद: जिले में माध्यमिक शिक्षा परिषद के राज्यकीय और एडेड विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की जांच सत्यापन शुल्क के बोझ में दब कर रह गई है. विभागीय अधिकारी भी अब इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. छह महीने पहले शासन ने शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच कराकर रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे. संबंधित बोर्ड और यूनिवर्सिटी के सत्यापन शुल्क मांगने के बाद विभाग ने यह जांच रोक दी है.

जून 2020 में माध्यमिक शिक्षा परिषद की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने आदेश दिया था. उन्होंने एडेड और राजकीय माध्यमिक विद्यालय में तैनात शिक्षकों के मूल शैक्षणिक अभिलेखों की जांच संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय से कराकर रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे.

नहीं हो पा रही अभिलेखों की जांच
आदेश मिलने के बाद एडेड विद्यालयों के करीब 485 राजकीय विद्यालयों में तैनात लगभग 92 शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख जांच के लिए संबंधित यूनिवर्सिटी और बोर्ड के पास भेजे गए थे. शैक्षिक अभिलेखों की जांच के लिए यूनिवर्सिटी ने सत्यापन शुल्क मांग लिया. इसके बाद जांच रुक गई है. न तो विभाग और न ही शिक्षक सत्यापन शुल्क जमा कर रहे हैं. इससे अभिलेखों की जांच नहीं हो पा रही है.

कई ने फर्जी दस्तावेजों से प्राप्त कर ली थी नौकरी

साल 2010 और 2014 में हुई शिक्षक भर्ती में जिले के कई शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी पाई थी. इनमें फर्रुखाबाद से सटे माध्यमिक विद्यालय भी शामिल हैं. अभिलेखों की जांच होने पर फर्जीवाड़ा पकड़ में आएगा. शायद यही वजह है कि सांठगांठ के चलते सत्यापन शुल्क के बहाने जांच नहीं की जा रही है.



सत्यापन के लिए शिक्षकों के अभिलेख भेजे गए हैं. यूनिवर्सिटी ने सत्यापन शुल्क मांगा है. परिषद को पत्र भेजकर पूछा गया है कि सत्यापन शुल्क किस मद से जमा किया जाना है.
-डॉ. आदर्श त्रिपाठी, डीआइओएस

फर्रुखाबाद: जिले में माध्यमिक शिक्षा परिषद के राज्यकीय और एडेड विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की जांच सत्यापन शुल्क के बोझ में दब कर रह गई है. विभागीय अधिकारी भी अब इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. छह महीने पहले शासन ने शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों की जांच कराकर रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे. संबंधित बोर्ड और यूनिवर्सिटी के सत्यापन शुल्क मांगने के बाद विभाग ने यह जांच रोक दी है.

जून 2020 में माध्यमिक शिक्षा परिषद की अपर मुख्य सचिव आराधना शुक्ला ने आदेश दिया था. उन्होंने एडेड और राजकीय माध्यमिक विद्यालय में तैनात शिक्षकों के मूल शैक्षणिक अभिलेखों की जांच संबंधित बोर्ड और विश्वविद्यालय से कराकर रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे.

नहीं हो पा रही अभिलेखों की जांच
आदेश मिलने के बाद एडेड विद्यालयों के करीब 485 राजकीय विद्यालयों में तैनात लगभग 92 शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख जांच के लिए संबंधित यूनिवर्सिटी और बोर्ड के पास भेजे गए थे. शैक्षिक अभिलेखों की जांच के लिए यूनिवर्सिटी ने सत्यापन शुल्क मांग लिया. इसके बाद जांच रुक गई है. न तो विभाग और न ही शिक्षक सत्यापन शुल्क जमा कर रहे हैं. इससे अभिलेखों की जांच नहीं हो पा रही है.

कई ने फर्जी दस्तावेजों से प्राप्त कर ली थी नौकरी

साल 2010 और 2014 में हुई शिक्षक भर्ती में जिले के कई शिक्षकों ने फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी पाई थी. इनमें फर्रुखाबाद से सटे माध्यमिक विद्यालय भी शामिल हैं. अभिलेखों की जांच होने पर फर्जीवाड़ा पकड़ में आएगा. शायद यही वजह है कि सांठगांठ के चलते सत्यापन शुल्क के बहाने जांच नहीं की जा रही है.



सत्यापन के लिए शिक्षकों के अभिलेख भेजे गए हैं. यूनिवर्सिटी ने सत्यापन शुल्क मांगा है. परिषद को पत्र भेजकर पूछा गया है कि सत्यापन शुल्क किस मद से जमा किया जाना है.
-डॉ. आदर्श त्रिपाठी, डीआइओएस

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