फर्रुखाबाद: जनपद के कमालगंज ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम शेखपुर में 698 साल पुरानी एक दरगाह है. यहां पर मुगल बादशाह आया करते थे. इस दरगाह का नाम हजरत शेख मखदूम बुर्राक लंगर जहां है. मुगलों के समय की काफी चीजें इस दरगाह में हैं. यहां पर लगे अकबरी दरवाजा को मुगल बादशाह अकबर ने बनवाया था. जबकि यहां की चारदीवारी को औरंगजेब ने बनवाया था. साथ ही यहां की मस्जिद फिरोजशाह तुगलक ने बनवाई थी. इस दरगाह को सेंट्रल गवर्नमेंट से सालाना पेंशन मिलती है.
शेख मखदूम का जन्म 557 हिजरी सन 1181 में बगदाद में हुआ था. महमूद इबने बदर को मखदूम बुर्राक लंगर जहां के खिताबात से नवाजा गया था. वह सन 1260 में मुल्क सिसतान की बादशाहत को ठोकर मार कर रूहानी दुनिया में निकल पड़े. दरगाह मुखदुमियां शेखपुर में 936 हिजरी (इस्लामी पंचांग) में जहीरूद्दीन बाबर, 984 हिजरी में जलालुद्दीन अकबर और 1095 हिजरी में औरंगजेब और इनके बाद 1195 हिजरी में नवाब बहादुर मुजफ्फर जंग ने हाजिरी देकर नजराने पेश किए थे. 24 सितंबर 1958 में तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट जनाब एलएन आचार्य ने दरगाह को मिलने वाली पेंशन को निरंतर जारी रखा. दरगाह शेखपुर कौमी एकता गंगा जमुनी तहजीब का संगम है. यहां सर्व धर्म समभाव और संप्रदायिक सद्भाव की अनोखी मिसाल है.
भोजपुर की हैसियत एक बड़े शहर की थी. यहां राजा भोज और गयासुद्दीन बलबन के किले के खंडहर उसके सुबूत के लिए काफी हैं. तीसरे सज्जाद नशीन हजरत कुतुब आलम ने इस बस्ती का नाम शेखपुरा रखा. यह आज पूरी दुनिया में मशहूर है. हाशमी सोहर वर्दी साहब मौलाना एहसान उल हक ने बताया कि इसका इतिहास फर्रुखाबाद शहर से भी कहीं अधिक पुराना है. फर्रुखाबाद में सबसे ज्यादा पुरानी जगह भोजपुर है. अगर उसके बाद किसी का नाम आता है तो वह शेखपुर की इस दरगाह का नाम आता है. इसको यहां पर मेले के नाम से भी जाना जाता है. यह करीब 700 साल में पुराने बादशाह हिंदुस्तान पर हुकूमत करने वाले कई लोग यहां पर आए. मौलाना ने बताया कि यहां के जो बुजुर्ग होते थे. जहां पर वह आराम करते थे. उनकी आखिरी आरामगाह होती थी. बादशाह जब यहां आते थे तो यहां कुछ चीजें बनाकर ही जाते थे.
मौलाना ने बताया कि यहां पर आने वाले बादशाह जरूरत के अनुसार मस्जिद और चारदीवारी का निर्माण करवाते गए. यहां चारदीवारी का निर्माण औरंगजेब ने किया था. यहां कि मस्जिद का निर्माण फिरोजशाह तुगलक ने करवाया था. इसी तरह यहां पर कई नजराने हैं. उन्होंने बताया कि यहां शेखपुर के मेले का लड्डू देश ही नहीं दुनिया के कई देशों में भी पसंद किया जाता है. साथ ही बताया कि कमालगंज शेखपुर दरगाह पर उर्स के मौके पर हर साल एक मेले का आयोजन किया जाता है. यहां मेले में स्पेशल सेब से तैयार लड्डू को कई पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान, सऊदी अरब, दुबई, श्रीलंका, नेपाल ब्रिटेन और नेपाल के लोग लड्डू ले जाते हैं.