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बिना NOC चल रहे ईंट भट्ठों पर जिलाधिकारी की टेढ़ी नजर

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Published : Oct 16, 2021, 12:43 PM IST

Updated : Oct 16, 2021, 12:53 PM IST

जिले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की बिना एनओसी एवं रायल्टी जमा किए बिना अधिकतर ईंट भट्ठों का संचालन किया जा रहा है. वायु को प्रदूषित करने और जमीन की उर्वरा शक्ति को कम करने में ईंट भट्ठे बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. भट्ठा प्रदूषण न फैलाए इसके लिए इनके संचालन का नियम काफी सख्त रखा गया है. लेकिन भट्ठा संचालक, नियमावली का ही भट्ठा बैठा रहे हैं.

जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह
जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में बिना एनओसी चल रहे ईंट भट्ठों पर जिलाधिकारी की नजर टेढ़ी हो गयी है. उन्होंने साफ कहा कि बिना एनओसी के कोई भी ईंट भट्टा संचालित नहीं हो सकेगा. इससे ईंट भट्ठा संचालकों में खलबली मची है. जनपद में लगभग 150 ईंट भट्टे संचालित हैं. जिले में करीब डेढ़ दर्जन भट्टे अवैध चल रहे.



पर्यावरण प्रदूषण के चलते जहां जनमानस घातक बीमारियों की चपेट में आ रहा है. वहीं फसलों व फलों का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हो गया है.अधिकतर ईंट भट्टे अपना संचालन अमानक तरीके से कर रहें हैं. उनके पास सबसे महत्वपूर्ण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी नहीं है. कुछ की रायल्टी जिला प्रशासन नें जमा भी करवाई लेकिन उनकी एनओसी न होने से वह अमानक है. जनपद में लगभग 150 ईंट भट्टे संचालित हैं, जिस पर जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह सख्त हो गये हैं. उन्होंने साफ लहजे में कहा है कि मानक पूरे न करने वाले भट्टों का संचालन रोका जायेगा.

जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह

यह भी पढ़ें- UP Assembly Election 2022: प्रशांत से अशांत कांग्रेस, कहा- राहुल गांधी ने UP में नहीं बनने दिया था प्रियंका को चेहरा और अब...



ईंट भट्ठा चलाने के मानक

कोई भी भट्ठा नगर पालिका परिषद अथवा नगर पंचायत क्षेत्र के पांच किलोमीटर के भीतर नहीं स्थापित किया जाएगा, आबादी से कम से कम 500 मीटर दूर, रजिस्टर्ड चिकित्सालय, स्कूल, सार्वजनिक इमारत, धार्मिक स्थानों अथवा किसी ऐसे स्थान जहां ज्वलनशील पदार्थों के भंडारण स्थल के एक किलोमीटर दूरी के भीतर स्थापित नहीं होगा. प्राणी उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य, ऐतिहासिक इमारतों, म्यूजियम आदि से पांच किलोमीटर दूरी होनी चाहिए, रेलवे ट्रैक से 200 मीटर व राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग के दोनों किनारों से 300 मीटर दूरी होनी चाहिए, एक ईंट भट्ठे से दूसरे ईंट भट्ठे की दूरी 800 मीटर दूरी हो. फलपट्टी क्षेत्र के बफर जोन में ईंट भट्ठा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन, जिला पंचायत विभाग से एनओसी, पर्यावरण सहमति पत्र व लाइसेंस आवश्यक है. मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरूरी, लोहे की बजाय सीमेंट की होनी चिमनी चाहिए, पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एनओसी जारी होनी चाहिए.

फर्रुखाबाद: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में बिना एनओसी चल रहे ईंट भट्ठों पर जिलाधिकारी की नजर टेढ़ी हो गयी है. उन्होंने साफ कहा कि बिना एनओसी के कोई भी ईंट भट्टा संचालित नहीं हो सकेगा. इससे ईंट भट्ठा संचालकों में खलबली मची है. जनपद में लगभग 150 ईंट भट्टे संचालित हैं. जिले में करीब डेढ़ दर्जन भट्टे अवैध चल रहे.



पर्यावरण प्रदूषण के चलते जहां जनमानस घातक बीमारियों की चपेट में आ रहा है. वहीं फसलों व फलों का उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हो गया है.अधिकतर ईंट भट्टे अपना संचालन अमानक तरीके से कर रहें हैं. उनके पास सबसे महत्वपूर्ण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी नहीं है. कुछ की रायल्टी जिला प्रशासन नें जमा भी करवाई लेकिन उनकी एनओसी न होने से वह अमानक है. जनपद में लगभग 150 ईंट भट्टे संचालित हैं, जिस पर जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह सख्त हो गये हैं. उन्होंने साफ लहजे में कहा है कि मानक पूरे न करने वाले भट्टों का संचालन रोका जायेगा.

जिलाधिकारी मानवेन्द्र सिंह

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ईंट भट्ठा चलाने के मानक

कोई भी भट्ठा नगर पालिका परिषद अथवा नगर पंचायत क्षेत्र के पांच किलोमीटर के भीतर नहीं स्थापित किया जाएगा, आबादी से कम से कम 500 मीटर दूर, रजिस्टर्ड चिकित्सालय, स्कूल, सार्वजनिक इमारत, धार्मिक स्थानों अथवा किसी ऐसे स्थान जहां ज्वलनशील पदार्थों के भंडारण स्थल के एक किलोमीटर दूरी के भीतर स्थापित नहीं होगा. प्राणी उद्यान, वन्य जीव अभयारण्य, ऐतिहासिक इमारतों, म्यूजियम आदि से पांच किलोमीटर दूरी होनी चाहिए, रेलवे ट्रैक से 200 मीटर व राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग के दोनों किनारों से 300 मीटर दूरी होनी चाहिए, एक ईंट भट्ठे से दूसरे ईंट भट्ठे की दूरी 800 मीटर दूरी हो. फलपट्टी क्षेत्र के बफर जोन में ईंट भट्ठा स्थापित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, खनन, जिला पंचायत विभाग से एनओसी, पर्यावरण सहमति पत्र व लाइसेंस आवश्यक है. मिट्टी खनन के लिए खनन विभाग की अनुमति जरूरी, लोहे की बजाय सीमेंट की होनी चिमनी चाहिए, पर्यावरण लाइसेंस व प्रदूषण विभाग से एनओसी जारी होनी चाहिए.

Last Updated : Oct 16, 2021, 12:53 PM IST
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