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कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की सरकार करेगी देखभाल! - children orphaned

फर्रुखाबाद में एक परिवार में पिता की मौत के बाद दो बेटों की भी संक्रमण से मौत हो गई. इस परिवार में 5 और बच्चे हैं, जिनके सिर से पिता का साया उठ गया. अब इस परिवार में कोई कमाने वाला भी नहीं रहा...

अनाथ हुए बच्चे
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Published : Jun 4, 2021, 6:54 PM IST

फर्रुखाबाद: कोरोना काल में कितनी माताओं ने अपने बच्चों को खो दिया. कितने बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया. कोई अनाथ हुआ तो कोई बेघर. इस महामारी ने कई परिवारों के घर उजाड़ दिए. घर में जो कमाने वाला था वह इस दुनिया में नहीं रहा. इसे ईश्वर की विडंबना कहे या सरकार के सिस्टम की लाचारी, ऐसा भयानक मंजर देखकर हर इंसान के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

46 अनाथ बच्चे चिन्हित किए गए

पिता की सेवा करते करते बेटे हो गए थे संक्रमित

फर्रुखाबाद के भोपत पट्टी में जगदीश अपनी पत्नी नन्ही देवी और 7 बच्चों के साथ रहते थे. लेकिन अब उनकी एक बेटी और चार बेटे अनाथ हो गए हैं. इन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है. इतना ही नहीं, इस महामारी ने घर के दो बेटों को भी छीन लिया, जिससे मां नन्ही देवी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे. 20 अप्रैल को पति जगदीश को बुखार आने पर नन्ही देवी उन्हें लेकर प्राइवेट अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने जगदीश को कोरोना की जांच के लिए कहा. उनकी कोरोना की रिपोट पॉजिटिव आने से पहले ही पति को सांस लेने में दिक्क्त हो रही थी. इस बढ़ती दिक्कत से उनकी मौत हो गई.

परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा. मगर ये गम अभी भी थमने वाले नहीं थे. अपने पिता की सेवा करते हुए उनके दो बेटे भी कोरोना से सक्रमित हो गए. लगभग 10 दिन बाद यानि एक मई को छोटे बेटे ने दम तोड़ दिया और इसके ठीक दो दिन बाद बड़े बेटे की भी कोरोना से मौत हो गई. इस घर में अब 5 बच्चे बचे हैं. इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है. परिवार में कमाने वाला कोई भी नहीं रहा. घर का खर्चा कैसे चलेगा..? यह देखने और सुनने वाला भी कोई नहीं रहा.

46 अनाथ बच्चे चिन्हित किए गए

जनपद फर्रुखाबाद में ऐसे 46 बच्चे चिन्हित किए गए हैं, जिनके अभिभावक अब इस दुनिया में नहीं रहे. सरकार ने ऐसे बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए जिलाधिकारी, पुलिस, पंचायती राज तथा शहरों में स्थानीय निकाय तक की जिम्मेदारी तय की है. सरकार के मुताबिक, ऐसे बेसहारा बच्चों के संरक्षक जिलाधिकारी होंगे.

केंद्र ने जारी किए हैं ये निर्देश

दरअसल, अनाथ और असुरक्षित बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए केंद्र ने निर्देश जारी किए हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है. जिले के अधिकारी बेसहारा बच्चों का सहारा बनेंगे. जिलाधिकारी पैतृक संपत्ति में बच्चे के अधिकार भी सुरक्षित करेंगे और यह भी देखेंगे कि संपत्ति न तो बेची जाए और न ही उस पर अवैध कब्जा हो. जिलाधिकारी यह राजस्व विभाग की निगरानी के जरिए सुनिश्चित करेंगे.

इसे भी पढ़ें- महामारी के बीच भारत में फंसे विदेशी लोगों का वीजा 31 अगस्त तक वैध : गृह मंत्रालय

जिला प्रोबेशन अधिकारी ने दी जानकारी

इस संबंध में जिला प्रोबेशन अधिकारी भारत प्रसाद ने बताया कि सत्यापन के बाद शासन को निर्धारित प्रारूप पर रिपोर्ट भेजी जाएगी. हालांकि अभी तक इन बच्चों के लिए कोई योजना लागू नहीं की गयी है. बच्चों के लिए योजना आते-आते कितना समय लगेगा, यह देखने वाली बात है. तब तक ये बच्चे क्या करें? क्या खाएं? कैसे पढ़ाई पूरी करें? यह सोचने वाली बात है.

फर्रुखाबाद: कोरोना काल में कितनी माताओं ने अपने बच्चों को खो दिया. कितने बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया. कोई अनाथ हुआ तो कोई बेघर. इस महामारी ने कई परिवारों के घर उजाड़ दिए. घर में जो कमाने वाला था वह इस दुनिया में नहीं रहा. इसे ईश्वर की विडंबना कहे या सरकार के सिस्टम की लाचारी, ऐसा भयानक मंजर देखकर हर इंसान के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

46 अनाथ बच्चे चिन्हित किए गए

पिता की सेवा करते करते बेटे हो गए थे संक्रमित

फर्रुखाबाद के भोपत पट्टी में जगदीश अपनी पत्नी नन्ही देवी और 7 बच्चों के साथ रहते थे. लेकिन अब उनकी एक बेटी और चार बेटे अनाथ हो गए हैं. इन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है. इतना ही नहीं, इस महामारी ने घर के दो बेटों को भी छीन लिया, जिससे मां नन्ही देवी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे. 20 अप्रैल को पति जगदीश को बुखार आने पर नन्ही देवी उन्हें लेकर प्राइवेट अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने जगदीश को कोरोना की जांच के लिए कहा. उनकी कोरोना की रिपोट पॉजिटिव आने से पहले ही पति को सांस लेने में दिक्क्त हो रही थी. इस बढ़ती दिक्कत से उनकी मौत हो गई.

परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा. मगर ये गम अभी भी थमने वाले नहीं थे. अपने पिता की सेवा करते हुए उनके दो बेटे भी कोरोना से सक्रमित हो गए. लगभग 10 दिन बाद यानि एक मई को छोटे बेटे ने दम तोड़ दिया और इसके ठीक दो दिन बाद बड़े बेटे की भी कोरोना से मौत हो गई. इस घर में अब 5 बच्चे बचे हैं. इस घटना से पूरा परिवार सदमे में है. परिवार में कमाने वाला कोई भी नहीं रहा. घर का खर्चा कैसे चलेगा..? यह देखने और सुनने वाला भी कोई नहीं रहा.

46 अनाथ बच्चे चिन्हित किए गए

जनपद फर्रुखाबाद में ऐसे 46 बच्चे चिन्हित किए गए हैं, जिनके अभिभावक अब इस दुनिया में नहीं रहे. सरकार ने ऐसे बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए जिलाधिकारी, पुलिस, पंचायती राज तथा शहरों में स्थानीय निकाय तक की जिम्मेदारी तय की है. सरकार के मुताबिक, ऐसे बेसहारा बच्चों के संरक्षक जिलाधिकारी होंगे.

केंद्र ने जारी किए हैं ये निर्देश

दरअसल, अनाथ और असुरक्षित बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए केंद्र ने निर्देश जारी किए हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है. जिले के अधिकारी बेसहारा बच्चों का सहारा बनेंगे. जिलाधिकारी पैतृक संपत्ति में बच्चे के अधिकार भी सुरक्षित करेंगे और यह भी देखेंगे कि संपत्ति न तो बेची जाए और न ही उस पर अवैध कब्जा हो. जिलाधिकारी यह राजस्व विभाग की निगरानी के जरिए सुनिश्चित करेंगे.

इसे भी पढ़ें- महामारी के बीच भारत में फंसे विदेशी लोगों का वीजा 31 अगस्त तक वैध : गृह मंत्रालय

जिला प्रोबेशन अधिकारी ने दी जानकारी

इस संबंध में जिला प्रोबेशन अधिकारी भारत प्रसाद ने बताया कि सत्यापन के बाद शासन को निर्धारित प्रारूप पर रिपोर्ट भेजी जाएगी. हालांकि अभी तक इन बच्चों के लिए कोई योजना लागू नहीं की गयी है. बच्चों के लिए योजना आते-आते कितना समय लगेगा, यह देखने वाली बात है. तब तक ये बच्चे क्या करें? क्या खाएं? कैसे पढ़ाई पूरी करें? यह सोचने वाली बात है.

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