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सीएम साहब! इन बेसहरा 8 बच्चों को भी दे दीजिए सहारा - पिता की मौत के बाद 8 बच्चे बेसहारा हो गए

फर्रुखाबाद में कोरोना से पिता की मौत के बाद 8 बच्चे बेसहारा हो गए हैं. 14 साल की बड़ी बेटी कीर्ति किसी तरीके से अपने परिवार का खर्चा उठा रही है, लेकिन घर की स्थिति बेहद दयनीय है.

इन बच्चों को है सहारे की जरूरत
इन बच्चों को है सहारे की जरूरत
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Published : Jun 15, 2021, 5:41 PM IST

फर्रुखाबाद: वैश्विक महामारी कोराना ने न जाने कितनों की जिंदगी तबाह कर दी. हजारों बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया. कई बच्चे अनाथ हो गए. ऐसा ही एक हृदय विदारक मामला फर्रुखाबाद से सामने आया है, जहां एक पिता की कोरोना से मौत हुई तो 8 बच्चों के सामने आजीविका का संकट आ गया.

दरअसल, शमशेर नगर बसौन के रहने वाले ऋषि पाल की पिछले साल सितंबर में कोरोना से मौत हो गई थी. इसके बाद 8 बच्चों का लालन-पालन करने वाली सिर्फ उनकी पत्नी मार्गश्री ही घर में बची. बड़ी बेटी कीर्ति 14 साल की है. कीर्ति अपनी बहनों अंजलि, अंशिका, कोमल और सृष्टि के साथ कपड़े का काम कर रही है. कीर्ति किसी तरीके से परिवार का भरण-पोषण कर रही है. कीर्ति ने बताया कि महीने में हजार बारह सौ की आमदनी हो जाती है, जिससे किसी तरह से परिवार का खर्चा चल रहा है.

पिता की मौत के बाद 8 बच्चे बेसहारा हो गए

उसने बताया कि इस तरह से भाई-बहनों की स्कूल की फीस भी नहीं निकल पा रही है. इसलिए भाई-बहनों की पढ़ाई अब बंद हो गई है. परिवार के सामने ऐसी समस्या आकर खड़ी हो गई है, जिससे पूरा परिवार सदमे में है. कमाने वाला कोई भी नहीं है. घर का खर्चा कैसे चले इस ओर कोई भी देखने वाला नहीं है.

वहीं सरकारी आकड़ों की बात करें तो मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत जिले में कोरोना की वजह से अनाथ हुए 18 साल तक के 54 बच्चे चिह्नित किए गए हैं. वास्तविक आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं. जिन बच्चों के माता-पिता कोरोनारुपी काल के गाल में समा गए, आज उन बच्चों की देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है. इन बच्चों को सरकारी मदद की जरूरत है.

इसे भी पढ़ें: गंगा में कटान से बढ़ी ग्रामीणों की परेशानी, प्रशासन मुर्दाबाद के लगाए नारे

फर्रुखाबाद: वैश्विक महामारी कोराना ने न जाने कितनों की जिंदगी तबाह कर दी. हजारों बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया. कई बच्चे अनाथ हो गए. ऐसा ही एक हृदय विदारक मामला फर्रुखाबाद से सामने आया है, जहां एक पिता की कोरोना से मौत हुई तो 8 बच्चों के सामने आजीविका का संकट आ गया.

दरअसल, शमशेर नगर बसौन के रहने वाले ऋषि पाल की पिछले साल सितंबर में कोरोना से मौत हो गई थी. इसके बाद 8 बच्चों का लालन-पालन करने वाली सिर्फ उनकी पत्नी मार्गश्री ही घर में बची. बड़ी बेटी कीर्ति 14 साल की है. कीर्ति अपनी बहनों अंजलि, अंशिका, कोमल और सृष्टि के साथ कपड़े का काम कर रही है. कीर्ति किसी तरीके से परिवार का भरण-पोषण कर रही है. कीर्ति ने बताया कि महीने में हजार बारह सौ की आमदनी हो जाती है, जिससे किसी तरह से परिवार का खर्चा चल रहा है.

पिता की मौत के बाद 8 बच्चे बेसहारा हो गए

उसने बताया कि इस तरह से भाई-बहनों की स्कूल की फीस भी नहीं निकल पा रही है. इसलिए भाई-बहनों की पढ़ाई अब बंद हो गई है. परिवार के सामने ऐसी समस्या आकर खड़ी हो गई है, जिससे पूरा परिवार सदमे में है. कमाने वाला कोई भी नहीं है. घर का खर्चा कैसे चले इस ओर कोई भी देखने वाला नहीं है.

वहीं सरकारी आकड़ों की बात करें तो मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत जिले में कोरोना की वजह से अनाथ हुए 18 साल तक के 54 बच्चे चिह्नित किए गए हैं. वास्तविक आंकड़े इससे कहीं अधिक हैं. जिन बच्चों के माता-पिता कोरोनारुपी काल के गाल में समा गए, आज उन बच्चों की देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है. इन बच्चों को सरकारी मदद की जरूरत है.

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