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इटावा: क्या इस बार भी भाजपा लगा पाएगी सपा के गढ़ में सेंध ! - भाजपा

समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाने वाली इटावा लोकसभा सीट पर इस बार सपा को भाजपा से कड़ी टक्कर मिलने के आसार हैं. हालांकि पार्टी के नेता बसपा से गठबंधन के बाद पार्टी की जीत के प्रति आश्वस्त दिख रहे हैं.

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Published : Mar 14, 2019, 7:22 PM IST

Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST

इटावा : 1952 से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक इटावा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व देखने को मिला है. इस सीट पर 9 बार सपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है तो वहीं कांग्रेस 4 बार और भाजपा ने 2 बार जीत का परचम लहराया है.

इटावा लोकसभा सीट से सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा ठोक रही हैं.

यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती है और इस बार भी सपा, बसपा से गठबंधन के कारण अपनी जीत पक्की मानकर चल रही है. हालांकि 2014 में मोदी लहर के चलते यह सीट भाजपा के पाले में चली गई थी. जिलाध्यक्ष, सपा विधि प्रकोष्ठ अश्विनी सिंह का कहना है कि इस बार यह सीट सपा के खाते में ही जाएगी.

मीडिया प्रभारी भाजपा जितेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार पार्टी बूथ स्तर तक बेहद मजबूत है, भाजपा ने जनता के हित में काम किए हैं इसलिये इस बार भी सपा को मात मिलेगी. कांग्रेस जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह का कहना है कि पार्टी को बुथस्तर तक मजबूत किया है इसलिए इस बार इस सीट से कोंग्रेस ही बाजी मारेगी.

पार्टियों के नेता और पदाधिकारी भले ही इटावा लोकसभा से अपनी-अपनी पार्टी की जीत का दावा कर लें लेकिन कौन सी पार्टी इस सीट से अपना परचम लहराएगी यह तो जनता के हाथ में है.

इटावा : 1952 से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक इटावा लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी का वर्चस्व देखने को मिला है. इस सीट पर 9 बार सपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है तो वहीं कांग्रेस 4 बार और भाजपा ने 2 बार जीत का परचम लहराया है.

इटावा लोकसभा सीट से सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा ठोक रही हैं.

यह सीट सपा का गढ़ मानी जाती है और इस बार भी सपा, बसपा से गठबंधन के कारण अपनी जीत पक्की मानकर चल रही है. हालांकि 2014 में मोदी लहर के चलते यह सीट भाजपा के पाले में चली गई थी. जिलाध्यक्ष, सपा विधि प्रकोष्ठ अश्विनी सिंह का कहना है कि इस बार यह सीट सपा के खाते में ही जाएगी.

मीडिया प्रभारी भाजपा जितेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार पार्टी बूथ स्तर तक बेहद मजबूत है, भाजपा ने जनता के हित में काम किए हैं इसलिये इस बार भी सपा को मात मिलेगी. कांग्रेस जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह का कहना है कि पार्टी को बुथस्तर तक मजबूत किया है इसलिए इस बार इस सीट से कोंग्रेस ही बाजी मारेगी.

पार्टियों के नेता और पदाधिकारी भले ही इटावा लोकसभा से अपनी-अपनी पार्टी की जीत का दावा कर लें लेकिन कौन सी पार्टी इस सीट से अपना परचम लहराएगी यह तो जनता के हाथ में है.

Intro:एंकर-इटावा लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा दबदबा समाजवादी विचारधारा का रहा है।इस सीट पर 9 बार समाजवादी विचारधारा विजयी रही है।गत 1998 व 2014 के चुनाव में इस लोकसभा सीट पर भाजपा ने अपना परचम फहराया है।पेश है एक खास रिपोर्ट-



Body:वीओ(1)-सन 1952 से लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव तक इटावा लोकसभा सीट पर समाजवादी विचारधारा का ही वर्चस्व रहा है।पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह का मजबूत गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर समाजवादी विचारधारा के प्रत्याशी 9 बार,कॉंग्रेस 4 बार व भाजपा के दो बार विजयी रहे हैं।पिछले 1998 व 2014 के चुनाव में मोदी लहर के चलते यह सीट भाजपा के पाले में चली गयी।लेकिन समाजवादी पार्टी,बसपा से गठबंधन के कारण अपनी जीत पक्की मान रही है।

वाइट-अश्विनी सिंह(जिलाध्यक्ष,सपा विधि प्रकोष्ठ)

वीओ(2)-भरतीय जनता पार्टी यह मानती है कि इस बार पार्टी बूथ स्तर तक बेहद मजबूत है, इसलिये इस बार भी सपा को मात मिलेगी।

वाइट-जितेंद्र सिंह(मीडिया प्रभारी भाजपा)

वीओ(3)-इधर कॉन्ग्रेस भी यह दावा कर रही है कि उन्होंने भी पार्टी को बुथस्तर तक मजबूत किया है।इसलिए इस बार इस सीट से कोंग्रेस ही बाजी मारेगी।

वाइट-उदयभान सिंह(जिलाध्यक्ष,कॉन्ग्रेस)


Conclusion:वीओ(4)-लेकिन अभी इटावा लोकसभा सीट के मतदाताओ का मूड अभी साइलेंट मोड़ पर है।इसलिये अभी यह तय नही किया जा सकता है कि इस बार इटावा लोकसभा सीट पर किसका परचम लहराएगा।
मोब न0 8445980843।
Last Updated : Sep 4, 2020, 12:24 PM IST
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