इटावा: प्रदेश सरकार ने कोरोना संकट को देखते हुए 15 जुलाई से प्राइमरी और माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू तो कर दी गयी लेकिन विद्यार्थियों के पास संसाधनों का अभाव है. ऐसे में जिन विद्यार्थियों के पास स्मार्ट फोन या लैपटॉप नहीं है, वह ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित रह जाएंगे. वहीं जिले में कई गांव ऐसे भी हैं जहां पर इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभाव है. लिहाजा सरकार की यह योजना सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए कारगर साबित होती नहीं दिखाई दे रही है.
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले गरीब तबके के बच्चों की संख्या सरकारी स्कूलों में ज्यादा होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोगों के पास लैपटॉप और टैबलेट तो दूर स्मार्टफोन भी नहीं है. वहीं जिले में कई गांव ऐसे भी हैं जहां बमुश्किल ही नेटवर्क आता है. लिहाजा ऑनलाइन पढ़ाई एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है. जिला विद्यालय निरीक्षक के आंकड़ों के अनुसार जिले में 56 हजार विद्यार्थियों में से 27 हजार के पास ही ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था है.
यही कारण है कि लाॅकडाउन के दूसरे चरण में ऑनलाइन शिक्षा का प्रयोग जिले में फेल साबित हुआ था. हालांकि जिन विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन पढ़ाई का साधन उपलब्ध नहीं है, उन्हें स्टडी मटेरियल मुहैया कराने की बात विभाग की ओर से की जा रही है.
आधे विद्यार्थियों के पास ही है ऑनलाइन सुविधा की व्यवस्था
ऑनलाइन पढ़ाई के प्रयोग के पहले चरण में विभाग ने जिले में सर्वे कराया था. इसमें 56 हजार विद्यार्थियों में से 27 हजार के पास ही ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा पाई गई है. इनके फोन नंबर आदि की रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दिया गया है. मसलन जिले में आधे बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा का लाभ उठा पाएंगे. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी का भी अभाव है. ऐसे में बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कैसे करेंगे, यह एक चुनौती बनी हुई है.
ऑनलाइन बच्चों को पढ़ाना चुनौती
ऑनलाइन पढ़ाई कराना शिक्षकों के लिए भी चुनौती है. शिक्षक प्रदीप तिवारी ने बताया कि वह गणित पढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि गणित को ऑनलाइन पढ़ाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. विद्यार्थियों को हर अध्याय का वीडियो बनाकर भेजा जाता है और अगले दिन विषय से संबंधित उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है.
वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक राजू राणा ने बताया कि ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए सभी विद्यालयों को निर्देशित कर दिया गया है. अभी आधे बच्चों के पास ही ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था है. उन्होंने बताया कि जिन बच्चों के पास ऑनलाइन की व्यवस्था नहीं है, उन्हें घर पर पढ़ाई करने के लिए स्टडी मटेरियल दिया जाएगा और इसकी तैयारी की जाएगी.
फोन एक बच्चे तीन, कैसे हो ऑनलाइन पढ़ाई
ऑनलाइन की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी अभिभावकों को हो रही है. घर में फोन एक है और पढ़ने वाले बच्चे तीन हैं. साथ ही सभी के क्लास का समय एक ही है. वहीं अभिभावक फोन लेकर काम पर चले जाते हैं. ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा अभिभावकों के सामने भी परेशानी खड़ी कर रहा है.
कम समय में कोर्स पूरा कराना शिक्षकों के लिए चुनौती
सरकार की ओर से ऑनलाइन शिक्षा का समय तय करने के बाद समय पर कोर्स पूरा कराना शिक्षकों के लिए एक चुनौती बन गया है. शिक्षकों के अनुसार कोर्स पीछे चल रहा है. एक कक्षा में 8 पीरियड आधे-आधे घंटे के लिए होता है और उसी समय में 4 से 5 ऑनलाइन सेशन निर्धारित करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सरकारी विद्यालय और विद्यार्थियों की संख्या पर एक नजर
जिले में राजकीय विद्यालय एवं सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या 75 है, तो वहीं 208 वित्त विहीन विद्यालय हैं. माध्यमिक शिक्षा विभाग में पढ़ने वाले कुल विद्यार्थियों की संख्या 56 हजार है लेकिन मौजूदा समय में केवल 27 हजार विद्यार्थियों के पास ही ऑनलाइन की व्यवस्था उपलब्ध है.