इटावा: आगरा-कानपुर नेशनल हाईवे से कुछ परिवार नौनिहालों को कंधे पर बैठाकर पिता-मां और सामान सहित पैदल घर की ओर जा रहे थे. किसी को कानपुर तो किसी को फतेहपुर जाना है. पूछताछ में पता चला कि इटावा से 300 किलोमीटर दूर जाना है. यह परिवार आलू बीन कर मजदूरी का कार्य करते थे.
इटावा के आगरा-कानपुर हाईवे पर कुछ माता-पिता कंधों पर अपने बच्चों को बैठाकर, छोटे-छोटे बच्चे सामानों को सिर पर रखकर, सड़क पर तेज धूप में चले जा रहे थे. इनसे जब पूछा गया कि भारत क्यों बंद है, वाहन क्यों बंद हैं तो वह यह बताने की स्थिति में नहीं थे. जनपद फिरोजाबाद और शिकोहाबाद से निकले हैं और पैदल घर की ओर चल दिए.
इनका कहना है कि जहां काम करते थे, वहां काम बंद कर दिया गया है. मालिक ने कहा कि सब अपने-अपने घर चले जाओ. हमारे मालिक ने न खाने को अनाज दिया, न ही मजदूरी के पैसे दिए और न ही वहां रुकने दिया.
हम सब बुधवार के आधी रात से चल रहे हैं. लगातार अब चलते जाना है. वाहन की कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है. पैदल ही चल रहे हैं, पता भी नहीं है कि कब तक घर पहुंचेंगे.
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