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वेतन न मिलने पर धरने पर बैठे शिक्षक - उत्तर प्रदेश समाचार

यूपी के एटा में वेतन न मिलने पर शिक्षक स्कूल के बाहर धरने पर बैठ गए. उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना के समय में हमें आधी सैलरी देने की बात कही गई थी. अब वो सैलरी भी नहीं दी जा रही है.

एटा में शिक्षकों का विरोध
एटा में शिक्षकों का विरोध
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Published : Dec 7, 2020, 5:52 PM IST

एटा: निधौली कला रोड पर स्थित जिले का प्रतिष्ठित स्कूल के शिक्षक सोमवार को स्कूल के बाहर ही धरने पर बैठ गए. शिक्षकों ने आरोप लगाया कि स्कूल के प्रबंधक ने 6 महीने से उन्हें काफी कम वेतन दिया है, जिससे वो भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. वहीं, स्कूल के प्रबंधक ने बताया कि शिक्षकों के आरोप बेबुनियाद हैं, किसी भी अध्यापक की सैलरी नहीं रोकी गई है.

शिक्षकों ने स्कूल प्रबंधक पर लगाए आरोप.

अध्यापिका ने लगाए आरोप

सेंट पॉल स्कूल में पढ़ाने वाली अध्यापिका कल्पना श्रीवास्तव ने कहा कि मैनेजमेंट अपनी तानाशाही दिखा रहा है. कोरोना के समय में हमें आधी सैलरी देने की बात कही गई थी. अब वो सैलरी भी नहीं दी जा रही है. सरकारी और गैर सरकारी होने वाली छुट्टियों के भी पैसे काटने की बात कही जा रही है. दिवाली की छुट्टी के पैसे काटने की बात कही है.

अध्यापिका कल्पना श्रीवास्तव ने कहा कि फीस जमा न होने पर सबसे पहले हमारे बच्चों को ही स्कूल से बाहर निकाला जा रहा है. 6 महीने से हमें हमारा वेतन नहीं दिया गया है, जबकि बच्चों ने फीस भी जमा कर दी है, फिर भी वेतन नहीं दिया जा रहा है. अब हम लोगों के पास कोई दूसरा काम भी नहीं है, जिससे हम गुजारा कर सकें.

यह कहते हैं स्कूल के प्रबंधक
स्कूल के प्रबंधक राजीव दास ने बताया कि अध्यापकों ने मेरे ऊपर वेतन न देने का जो आरोप लगाया है वो बेबुनियाद है. जो भी वेतन कोरोना काल में हमारा और अध्यापकों का तय हुआ था, वह क्रमबद्ध तरीके से सभी के खातों में जा रहा है. पिछले महीने तक का वेतन सभी अध्यापकों के खाते में पहले ही दे दिया गया है. धरने की मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई. कोरोना के समय की स्थिति से सभी अवगत हैं. बच्चों की फीस की बात की जाए तो हमें बहुत कम मात्रा में फीस मिली हैं. शिक्षकों को निकालने की बात भी बेबुनियाद है, जो शिक्षक स्वयं से गया हो वो अलग बात है. हमने अभी किसी शिक्षक को नहीं निकाला है.

एटा: निधौली कला रोड पर स्थित जिले का प्रतिष्ठित स्कूल के शिक्षक सोमवार को स्कूल के बाहर ही धरने पर बैठ गए. शिक्षकों ने आरोप लगाया कि स्कूल के प्रबंधक ने 6 महीने से उन्हें काफी कम वेतन दिया है, जिससे वो भुखमरी के कगार पर आ गए हैं. वहीं, स्कूल के प्रबंधक ने बताया कि शिक्षकों के आरोप बेबुनियाद हैं, किसी भी अध्यापक की सैलरी नहीं रोकी गई है.

शिक्षकों ने स्कूल प्रबंधक पर लगाए आरोप.

अध्यापिका ने लगाए आरोप

सेंट पॉल स्कूल में पढ़ाने वाली अध्यापिका कल्पना श्रीवास्तव ने कहा कि मैनेजमेंट अपनी तानाशाही दिखा रहा है. कोरोना के समय में हमें आधी सैलरी देने की बात कही गई थी. अब वो सैलरी भी नहीं दी जा रही है. सरकारी और गैर सरकारी होने वाली छुट्टियों के भी पैसे काटने की बात कही जा रही है. दिवाली की छुट्टी के पैसे काटने की बात कही है.

अध्यापिका कल्पना श्रीवास्तव ने कहा कि फीस जमा न होने पर सबसे पहले हमारे बच्चों को ही स्कूल से बाहर निकाला जा रहा है. 6 महीने से हमें हमारा वेतन नहीं दिया गया है, जबकि बच्चों ने फीस भी जमा कर दी है, फिर भी वेतन नहीं दिया जा रहा है. अब हम लोगों के पास कोई दूसरा काम भी नहीं है, जिससे हम गुजारा कर सकें.

यह कहते हैं स्कूल के प्रबंधक
स्कूल के प्रबंधक राजीव दास ने बताया कि अध्यापकों ने मेरे ऊपर वेतन न देने का जो आरोप लगाया है वो बेबुनियाद है. जो भी वेतन कोरोना काल में हमारा और अध्यापकों का तय हुआ था, वह क्रमबद्ध तरीके से सभी के खातों में जा रहा है. पिछले महीने तक का वेतन सभी अध्यापकों के खाते में पहले ही दे दिया गया है. धरने की मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई. कोरोना के समय की स्थिति से सभी अवगत हैं. बच्चों की फीस की बात की जाए तो हमें बहुत कम मात्रा में फीस मिली हैं. शिक्षकों को निकालने की बात भी बेबुनियाद है, जो शिक्षक स्वयं से गया हो वो अलग बात है. हमने अभी किसी शिक्षक को नहीं निकाला है.

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