एटा : दरअसल, राज्य स्तरीय निगरानी समिति के सदस्य भग्गू लाल वाल्मीकि मंगलवार को एटा पहुंचे. इस दौरान उन्होंने जगह जगह पर जाकर बाल्मीकि समाज (सफाई कर्मियों) की समस्या जानी. साथ ही उन्होंने मंडी समिति के सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि साल 2013 में राज्य स्तरीय निगरानी समिति गठित हुई थी. कमेटी का मुख्य उद्देश हाथ से मैला ढ़ोने वाले लोगों की मॉनिटरिंग करना था. 2018 में सभी जिलों में सर्वेक्षण हुआ था. सर्वेक्षण में गाइडलाइन तैयार की गई थी. नीति आयोग के द्वारा इसी के माध्यम से सर्वेक्षण होना था. लेकिन अधिकारियों ने गाइडलाइन नहीं पढ़ी और अपनी मनमर्जी से ही जैसे पहले रिपोर्ट दिया करते थे, वैसे ही रिपोर्ट दे दी.
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बताया गया है कि मैला ढोने वाला कोई भी व्यक्ति उनके जिले में नहीं है. जिसके चलते समाज के लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल सका. लोग वंचित रह गए. इसके अलावा उन्होंने बताया कि आज भी सफाई कर्मी के पद से महिला व पुरुष रिटायर हो जाते हैं और उन्हें सालों तक पेंशन नहीं मिलती है. इतना ही नहीं रिटायरमेंट के समय उन्हें किसी प्रकार की रकम व चेक तक नहीं दिया जाता है. जिससे उनका जीवन यापन काफी कठिन हो जाता है. इतना ही नहीं आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों को हटाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बार पूरा भ्रमण करने के बाद ही मुख्यमंत्री को रिपोर्ट दूंगा. निगरानी समिति के सदस्य भग्गू लाल वाल्मीकि ने कहा कि जहां एक तरफ हमारे प्रधानमंत्री सफाई कर्मियों के पैर धो रहे हैं. इनके लिए ताली बजी, दीपक जले, मोमबत्ती जली, टार्च जले, फूलों की वर्षा तक हुई. लेकिन अभी भी ऐसे सफाई कर्मियों को अपमानित जिंदगी जीनी पड़ रहा है.