एटा: एससी/एसटी न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने साल 1999 के एक मामले में शनिवार को एक दारोगा, एक एचसीपी व एक सिपाही को 5-5 साल के कारावास की सजा सुनाई है. 20 साल बाद आए इस फैसले के समय दारोगा व एक एचसीपी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि तीसरा सिपाही अलीगढ़ जिले में तैनात बताया जा रहा है.
मामले की शिकायत तत्कालीन डीआईजी से किए जाने पर एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन बाद में उसमें भी एफआर लगा कर पुलिस ने मामला समाप्त कर दिया. पुलिस द्वारा एफआर लगाने के खिलाफ पीड़ित इंस्पेक्टर ने बाद में जिला जज के यहां शिकायत की. यहां पुनः रिवीजन स्वीकारे जाने के बाद आरोपियों पर मुकदमा चला.
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शनिवार को विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी न्यायालय खलीकुज्ज्मा ने आदेश पारित करते हुए आरोपित किए गए बाबू किशन स्वरूप को निर्दोष करार देते हुए दारोगा तेजपाल सिंह, एचसीपी राजेश्वर दयाल और सिपाही अनिल यादव को पांच-पांच साल की कारावास व 14- 14 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है.
-योगेंद्र कुमार, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, जनपद न्यायालयतीन लोगों को दोषी पाया गया है. तीनों पुलिसकर्मी हैं. किशन स्वरूप को दोष मुक्त कर दिया गया है.
-उपेन्द्र पाल सिंह, अधिवक्ता, बचाव पक्ष