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एससी/एसटी मामले में एक दारोगा समेत 2 पुलिसकर्मियों को 5-5 साल की सजा

एटा में एससी/एसटी कोर्ट ने तीन पुलिसकर्मियों को 5-5 साल की सजा सुनाई है. यह सजा साल 1999 में एलआईयू इंस्पेक्टर श्याम बाबू मथुरिया के आवास पर जाकर जातिसूचक शब्द कहने, गाली-गलौज करने व इंस्पेक्टर को जान से मारने की धमकी देने के मामले में दी गई है.

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Published : Nov 2, 2019, 10:58 PM IST

जनपद न्यायालय एटा.

एटा: एससी/एसटी न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने साल 1999 के एक मामले में शनिवार को एक दारोगा, एक एचसीपी व एक सिपाही को 5-5 साल के कारावास की सजा सुनाई है. 20 साल बाद आए इस फैसले के समय दारोगा व एक एचसीपी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि तीसरा सिपाही अलीगढ़ जिले में तैनात बताया जा रहा है.

वकीलों ने दी जानकारी.
दरअसल, साल 1999 के अगस्त महीने में पुलिस लाइन परिसर में रह रहे तत्कालीन एलआईयू इंस्पेक्टर श्याम बाबू मथुरिया के यहां पहुंचे दारोगा तेजपाल सिंह, एचसीपी राजेश्वर दयाल, सिपाही अनिल यादव और बाबू किशन स्वरूप ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज करने के साथ ही इंस्पेक्टर को जान से मारने की धमकी दी. पीड़ित इंस्पेक्टर ने मामले की शिकायत पुलिस से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.


मामले की शिकायत तत्कालीन डीआईजी से किए जाने पर एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन बाद में उसमें भी एफआर लगा कर पुलिस ने मामला समाप्त कर दिया. पुलिस द्वारा एफआर लगाने के खिलाफ पीड़ित इंस्पेक्टर ने बाद में जिला जज के यहां शिकायत की. यहां पुनः रिवीजन स्वीकारे जाने के बाद आरोपियों पर मुकदमा चला.

ये भी पढ़ें: एटाः एक साल की मासूम के साथ दुष्कर्म करने वाला आरोपी गिरफ्तार

शनिवार को विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी न्यायालय खलीकुज्ज्मा ने आदेश पारित करते हुए आरोपित किए गए बाबू किशन स्वरूप को निर्दोष करार देते हुए दारोगा तेजपाल सिंह, एचसीपी राजेश्वर दयाल और सिपाही अनिल यादव को पांच-पांच साल की कारावास व 14- 14 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है.
-योगेंद्र कुमार, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, जनपद न्यायालय

तीन लोगों को दोषी पाया गया है. तीनों पुलिसकर्मी हैं. किशन स्वरूप को दोष मुक्त कर दिया गया है.
-उपेन्द्र पाल सिंह, अधिवक्ता, बचाव पक्ष

एटा: एससी/एसटी न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने साल 1999 के एक मामले में शनिवार को एक दारोगा, एक एचसीपी व एक सिपाही को 5-5 साल के कारावास की सजा सुनाई है. 20 साल बाद आए इस फैसले के समय दारोगा व एक एचसीपी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि तीसरा सिपाही अलीगढ़ जिले में तैनात बताया जा रहा है.

वकीलों ने दी जानकारी.
दरअसल, साल 1999 के अगस्त महीने में पुलिस लाइन परिसर में रह रहे तत्कालीन एलआईयू इंस्पेक्टर श्याम बाबू मथुरिया के यहां पहुंचे दारोगा तेजपाल सिंह, एचसीपी राजेश्वर दयाल, सिपाही अनिल यादव और बाबू किशन स्वरूप ने जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज करने के साथ ही इंस्पेक्टर को जान से मारने की धमकी दी. पीड़ित इंस्पेक्टर ने मामले की शिकायत पुलिस से की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.


मामले की शिकायत तत्कालीन डीआईजी से किए जाने पर एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन बाद में उसमें भी एफआर लगा कर पुलिस ने मामला समाप्त कर दिया. पुलिस द्वारा एफआर लगाने के खिलाफ पीड़ित इंस्पेक्टर ने बाद में जिला जज के यहां शिकायत की. यहां पुनः रिवीजन स्वीकारे जाने के बाद आरोपियों पर मुकदमा चला.

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शनिवार को विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी न्यायालय खलीकुज्ज्मा ने आदेश पारित करते हुए आरोपित किए गए बाबू किशन स्वरूप को निर्दोष करार देते हुए दारोगा तेजपाल सिंह, एचसीपी राजेश्वर दयाल और सिपाही अनिल यादव को पांच-पांच साल की कारावास व 14- 14 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है.
-योगेंद्र कुमार, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, जनपद न्यायालय

तीन लोगों को दोषी पाया गया है. तीनों पुलिसकर्मी हैं. किशन स्वरूप को दोष मुक्त कर दिया गया है.
-उपेन्द्र पाल सिंह, अधिवक्ता, बचाव पक्ष

Intro:साल 1999 में एलआईओ इंस्पेक्टर श्याम बाबू मथुरिया के आवास पर जाकर जातिसूचक शब्द कहने गाली गलौज करने व इंस्पेक्टर को जान से मारने की धमकी देने के मामले में विशेष न्यायाधीश एससी एसटी न्यायालय ने शनिवार को एक दरोगा , एक एचसीपी व एक सिपाहियों को 5-5 साल के कारावास की सजा सुनाई है। 20 वर्ष बाद आए फैसले के समय दरोगा व एक एचसीपी सेवानिवृत्त हो चुके हैं । जबकि तीसरा सिपाही अलीगढ़ जिले में तैनात बताया जा रहा है।


Body:दरअसल साल 1999 के अगस्त महीने में पुलिस लाइन परिसर में रह रहे तत्कालीन एल आई ओ के इंस्पेक्टर श्याम बाबू मथुरिया के यहां पहुंचे दरोगा तेजपाल सिंह , एच सी पी राजेश्वर दयाल, सिपाही अनिल यादव तथा बाबू किशन स्वरूप ने इंस्पेक्टर के साथ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली गलौज करने के साथ ही जान से मारने की धमकी दी। बताया जा रहा है पीड़ित इंस्पेक्टर ने मामले की पुलिस से शिकायत की । लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। बाद में मामले की शिकायत तत्कालीन डीआईजी से किए जाने पर एफ आई आर दर्ज हुई । लेकिन बाद में उसमें भी एफआर लगा कर पुलिस ने मामला समाप्त कर दिया।
पुलिस द्वारा एफआर लगाने के खिलाफ पीड़ित इंस्पेक्टर ने बाद में जिला जज के यहां पुनः रिवीजन स्वीकारें जाने के बाद मुकदमा चला।


Conclusion:इस मामले में सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता योगेंद्र कुमार के मुताबिक शनिवार को विशेष न्यायाधीश एससी एसटी न्यायालय खलीकुज्ज्मा ने आदेश पारित करते हुए आरोपित किए गए बाबू किशन स्वरूप को निर्दोष करार देते हुए ,दरोगा तेजपाल सिंह, एच सी पी राजेश्वर दयाल तथा सिपाही अनिल यादव को पांच पांच साल के कारावास व 14- 14 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है।
बाइट: योगेंद्र कुमार (सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता, एटा न्यायालय)
बाइट:उपेन्द्र पाल सिंह ( अधिवक्ता,बचाव पक्ष )

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