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जीवित रहते कराया था खुद का श्राद्ध और मृत्यु भोज, 2 दिन बाद ही हो गई मौत - एटा जीवितमृत्यु भोज

एटा में जीवित रहते अपना श्राद्ध करने वाले व्यक्ति की दो दिन बाद ही मौत हो गई. पुलिस ने उसका शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 6:32 PM IST

एटा : जिले में दो दिन पहले ही अपना श्राद्ध कराने वाले हाकिम सिंह की बुधवार को मौत हो गई. हाकिम ने मकर संक्रांति पर गांववालों को अपना मृत्यु भोज दिया था. पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है.

सकीट ब्लाक के मोहल्ला मुशीनगर निवासी हाकिम सिंह (55) ने मकर संक्रांति पर अपना मृत्यु भोज दिया था. हाकिम ने अपना श्राद्ध भी करा लिया था. हाकिम ने अपनी तेरहवीं के लिए बाकायदा कार्ड छपवाकर बांटे थे. तेरहवीं में करीब 700 लोग शामिल हुए थे. हाकिम की पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया था और वे अकेले ही रहते थे. उनका कहना था कि भाई और उसके परिवार पर भरोसा नहीं है. अपनी तेरहवीं के दिन हाकिम ने कहा था कि उन्हें लगता है कि उनकी मौत के बाद श्राद्ध और तेरहवीं नहीं की जाएगी. इसीलिए जीवित रहते ही मृत्यु के बाद के कर्मकांड खुद पूरे कर रहे हैं. इसकी चर्चा आसपास के इलाके में बनी हुई थी. हाकिम की बुधवार को मौत हो गई.

हाकिम ने अपने भाई के परिवार पर उनकी जमीन कब्जा करने का भी आरोप लगाया था. हाकिम तीन भाई थे, जिसमें एक भाई की पहले ही मृत्यु हो चुकी है. दूसरे भाई के परिवार से वे काफी परेशान रहते थे. उनकी मौत की खबर फैली तो गांव में लोगों की भीड़ जमा हो गई. गांव में तरह-तरह की चर्चा होती रही. सूचना पर पुलिस भी पहुंची और हाकिम के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

यह भी पढ़ें : जीवित रहते कराया खुद का श्राद्ध और मृत्यु भोज, आखिर क्या थी मजबूरी ?

एटा : जिले में दो दिन पहले ही अपना श्राद्ध कराने वाले हाकिम सिंह की बुधवार को मौत हो गई. हाकिम ने मकर संक्रांति पर गांववालों को अपना मृत्यु भोज दिया था. पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है.

सकीट ब्लाक के मोहल्ला मुशीनगर निवासी हाकिम सिंह (55) ने मकर संक्रांति पर अपना मृत्यु भोज दिया था. हाकिम ने अपना श्राद्ध भी करा लिया था. हाकिम ने अपनी तेरहवीं के लिए बाकायदा कार्ड छपवाकर बांटे थे. तेरहवीं में करीब 700 लोग शामिल हुए थे. हाकिम की पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया था और वे अकेले ही रहते थे. उनका कहना था कि भाई और उसके परिवार पर भरोसा नहीं है. अपनी तेरहवीं के दिन हाकिम ने कहा था कि उन्हें लगता है कि उनकी मौत के बाद श्राद्ध और तेरहवीं नहीं की जाएगी. इसीलिए जीवित रहते ही मृत्यु के बाद के कर्मकांड खुद पूरे कर रहे हैं. इसकी चर्चा आसपास के इलाके में बनी हुई थी. हाकिम की बुधवार को मौत हो गई.

हाकिम ने अपने भाई के परिवार पर उनकी जमीन कब्जा करने का भी आरोप लगाया था. हाकिम तीन भाई थे, जिसमें एक भाई की पहले ही मृत्यु हो चुकी है. दूसरे भाई के परिवार से वे काफी परेशान रहते थे. उनकी मौत की खबर फैली तो गांव में लोगों की भीड़ जमा हो गई. गांव में तरह-तरह की चर्चा होती रही. सूचना पर पुलिस भी पहुंची और हाकिम के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

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