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नेता जी का एटा से रहा पुराना नाता, साल 1993 में निधौलीकलां से लड़े थे चुनाव

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का एटा जनपद से बड़ा लगाव था. यहां की निधौलीकलां सीट से चुनाव जीतने के बाद उनके दौरे भी लगते रहते थे. यहां के लोगों से लगाव के चलते आज उनके निधन के बाद नगरवासियों की आंखे नम हैं.

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Published : Oct 10, 2022, 4:56 PM IST

एटा: सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की मौत के बाद जनपद में शोक की लहर है. एटा से मुलायम सिंह यादव का पुराना और गहरा नाता रहा है. साल 1993 में निधौलीकलां विधानसभा से नेता जी चुनाव लड़े थे. यही उनके रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है. यहां के नेताओं से भी उनकी रिश्तेदारी थी. यहां के तमाम नेताओं को वो उनके नाम से पुकारते थे. लेकिन जब से अस्वस्थ हुए तब से वो बहुत कुछ भूल गए थे. आज नेताजी के निधन के बाद सपा के पुराने लोग उनकी यादों में खो गए हैं.

गौरतलब है कि नेता जी मुलायम सिंह यादव ही वह शख्शियत हैं, जिन्होंने एटा में सपा के लिए खुद जमीन तैयार की और यहां के नेताओं को मुकाम तक पहुंचाया. समाजदी पार्टी में आज जो पुराने चेहरे प्रभावशाली रूप में दिखाई देते हैं, वो नेता जी की ही देन हैं. उन्होंने जब समाजवादी पार्टी का गठन किया तो यहां के लोगों को जोड़ा और सजातियों के बीच दिनों-दिन उनका कद बढ़ता चला गया.

राम मंदिर आंदोलन के बाद एक साथ तीन सीटों पर लड़े चुनाव: राम मंदिर आंदोलन के बाद साल 1993 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने जसवंत नगर, शिकोहाबाद और निधौलीकलां तीन सीटों पर एक साथ चुनाव लड़े थे. निधौलीकलां में उन्हें 41 हजार 683 वोट मिले थे. विपक्षियों ने मुलायम को मात देने के लिए उन्हीं के नाम का एक प्रत्याशी खड़ा कर दिया. हालांकि उसे 200 वोट भी नहीं मिले. एटा में मुलायम सिंह ने पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव, विधान परिषद के पूर्व सभापति रमेश यादव जैसै नेताओं समेत कई यादव नेताओं को मुकाम तक पहुंचाया. यह अलग बात है कि अब कुछ दूसरे दलों में चले गए तो कुछ अभी भी सपा में ही हैं.

सपा नेता बोले नेताजी की कमी पार्टी को हमेशा खलेगी: सपा के पूर्व विधायक अमित गौरव यादव मुलायम को याद करते हुए कहते हैं कि नेताजी की कमी हमेशा खलेगी. उन्हीं के साम्राज्य को उनके बेटे अखिलेश यादव आगे बढ़ा रहे हैं. मुलायम के सगे साले लाखन सिंह यादव यहां पुलिस विभाग में नौकरी करते हैं. भाई प्रो. रामगोपाल यादव की रिश्तेदारी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव से जुड़ने के बाद मुलायम की भी नातेदारी जुड़ गई.

मुख्यमंत्री बनने के बाद एटा के दौरे: निधौलीकलां से चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह ने बाद में यह सीट छोड़ दी थी. यहां के लोग कुछ निराश हुए और उन्हें लगा कि नेताजी अब एटा से थोड़ी दूरी बना रहे हैं. लेकिन समर्थकों के मन में क्या चल रहा था वो उन्होंने भांप लिया. सपा के कई नेता बताते हैं कि नेताजी ने उस समय कहा था कि निधौलीकलां मेरे लिए लखनऊ से ज्यादा दूर नहीं है. यहां के हर वाशिंदे का सम्मान मैं जीवनभर करता रहूंगा.

एटा: सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की मौत के बाद जनपद में शोक की लहर है. एटा से मुलायम सिंह यादव का पुराना और गहरा नाता रहा है. साल 1993 में निधौलीकलां विधानसभा से नेता जी चुनाव लड़े थे. यही उनके रिश्ते को प्रगाढ़ बनाता है. यहां के नेताओं से भी उनकी रिश्तेदारी थी. यहां के तमाम नेताओं को वो उनके नाम से पुकारते थे. लेकिन जब से अस्वस्थ हुए तब से वो बहुत कुछ भूल गए थे. आज नेताजी के निधन के बाद सपा के पुराने लोग उनकी यादों में खो गए हैं.

गौरतलब है कि नेता जी मुलायम सिंह यादव ही वह शख्शियत हैं, जिन्होंने एटा में सपा के लिए खुद जमीन तैयार की और यहां के नेताओं को मुकाम तक पहुंचाया. समाजदी पार्टी में आज जो पुराने चेहरे प्रभावशाली रूप में दिखाई देते हैं, वो नेता जी की ही देन हैं. उन्होंने जब समाजवादी पार्टी का गठन किया तो यहां के लोगों को जोड़ा और सजातियों के बीच दिनों-दिन उनका कद बढ़ता चला गया.

राम मंदिर आंदोलन के बाद एक साथ तीन सीटों पर लड़े चुनाव: राम मंदिर आंदोलन के बाद साल 1993 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने जसवंत नगर, शिकोहाबाद और निधौलीकलां तीन सीटों पर एक साथ चुनाव लड़े थे. निधौलीकलां में उन्हें 41 हजार 683 वोट मिले थे. विपक्षियों ने मुलायम को मात देने के लिए उन्हीं के नाम का एक प्रत्याशी खड़ा कर दिया. हालांकि उसे 200 वोट भी नहीं मिले. एटा में मुलायम सिंह ने पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव, विधान परिषद के पूर्व सभापति रमेश यादव जैसै नेताओं समेत कई यादव नेताओं को मुकाम तक पहुंचाया. यह अलग बात है कि अब कुछ दूसरे दलों में चले गए तो कुछ अभी भी सपा में ही हैं.

सपा नेता बोले नेताजी की कमी पार्टी को हमेशा खलेगी: सपा के पूर्व विधायक अमित गौरव यादव मुलायम को याद करते हुए कहते हैं कि नेताजी की कमी हमेशा खलेगी. उन्हीं के साम्राज्य को उनके बेटे अखिलेश यादव आगे बढ़ा रहे हैं. मुलायम के सगे साले लाखन सिंह यादव यहां पुलिस विभाग में नौकरी करते हैं. भाई प्रो. रामगोपाल यादव की रिश्तेदारी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव से जुड़ने के बाद मुलायम की भी नातेदारी जुड़ गई.

मुख्यमंत्री बनने के बाद एटा के दौरे: निधौलीकलां से चुनाव जीतने के बाद मुलायम सिंह ने बाद में यह सीट छोड़ दी थी. यहां के लोग कुछ निराश हुए और उन्हें लगा कि नेताजी अब एटा से थोड़ी दूरी बना रहे हैं. लेकिन समर्थकों के मन में क्या चल रहा था वो उन्होंने भांप लिया. सपा के कई नेता बताते हैं कि नेताजी ने उस समय कहा था कि निधौलीकलां मेरे लिए लखनऊ से ज्यादा दूर नहीं है. यहां के हर वाशिंदे का सम्मान मैं जीवनभर करता रहूंगा.

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