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स्वतंत्र की मशरूम, पूर्वांचल में मचा रही धूम

देवरिया मशरूम का हब बन गया है. स्वतंत्र सिंह के प्रयास से मशरूम की खेती कर किसान अपनी आय बढ़ा रहे हैं. साथ ही किसानों को स्वतंत्र प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.

मशरूम की खेती.
मशरूम की खेती.
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Published : Jan 27, 2021, 4:01 PM IST

देवरियाः ठेकेदारी छोड़ घर पर रहने को मजबूर स्वतंत्र सिंह ने देवरिया को मशरूम का हब बना दिया है. इनके प्रयास से जहां जिले के किसान कम मेहनत, मामूली लागत से अधिक लाभ ले रहे हैं. वहीं मशरूम का खेप पूर्वांचल के कई जिलों में पहुंच रहे हैं. स्वतंत्र किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण देकर मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.

जानकारी देते किसान.

बिजली निगम में करते थे ठेकेदारी

देवरिया के बरहज तहसील के सोनाड़ी गांव के रहने वाले स्वतंत्र सिंह बिजली निगम में ठेकेदारी करते थे. पारिवारिक समस्या को लेकर घर रहना इनकी मजबूरी बन गई थी. जीविका चलाने के लिए खेती किसानी शुरू की. वर्ष 2018 में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने 72 किलो कट्टा गेहूं उत्पादन करने पर इन्हें सम्मानित किया था.

खेती करने का लिया प्रशिक्षण

जिला प्रशासन की पहल पर आत्मा योजना के तहत स्वतंत्र ने दो वर्ष पूर्व राज्य कृषि प्रबंधन संस्था रहमानखेड़ा लखनऊ में प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण लेने के बाद मशरूम की खेती के साथ लोगों को प्रशिक्षण देना शुरू किया. अभी तक तीन हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दे चुके हैं. प्रशिक्षण लेने वालों में गोरखपुर और बलिया के किसान भी शामिल हैं.

जिले में इन दिनों 10 क्विंटल मशरूम का उत्पादन हो रहा है, जबकि मांग अधिक है. स्वतंत्र सिंह का दावा है कि 45 दिनों में मशरूम की खेती कर आमदनी दोगुना की जा सकती है. स्वतंत्र सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन ने मिड डे मील (MDM) में मशरूम को शामिल करने का करार कर लिया है.

ट्रायल के तौर पर देसही देवरिया ब्लॉक के परिषदीय स्कूलों में बच्चों को दिया जा रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो जिले के सभी स्कूलों में मशरूम की सप्लाई शुरू हो जाएगी. प्रतिदिन वाराणसी, बलिया, कुशीनगर और गोरखपुर जिले में मशरूम यहां से भेजा जा रहा है.

पूर्वांचल मशरूम के नाम से है दुकान

विकास भवन गेट पर पूर्वांचल मशरूम के नाम से स्वतंत्र सिंह ने खोल रखी है. साथ ही खेती सीखने आने वाले किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. स्वतंत्र सिंह मशरूम की पकौड़ी के अलावा मशरूम की चटनी, आचार, मुरब्बा, जैम, बिस्किट, मशरूम पाउडर भी बनाकर बेचते हैं.

रंगीन मशरूम की भी कर रहे खेती

मशरूम सिर्फ सफेद ही नहीं होता है. स्वतंत्र सिंह रंगीन मशरूम भी उगाते हैं. रंगीन मशरूम की डिमांड अधिक रहती है. मशरूम की खेती करने के लिए खेत की जरूरत नहीं है. मकान या झोपड़ी में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है.

देवरियाः ठेकेदारी छोड़ घर पर रहने को मजबूर स्वतंत्र सिंह ने देवरिया को मशरूम का हब बना दिया है. इनके प्रयास से जहां जिले के किसान कम मेहनत, मामूली लागत से अधिक लाभ ले रहे हैं. वहीं मशरूम का खेप पूर्वांचल के कई जिलों में पहुंच रहे हैं. स्वतंत्र किसानों को निःशुल्क प्रशिक्षण देकर मशरूम की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं.

जानकारी देते किसान.

बिजली निगम में करते थे ठेकेदारी

देवरिया के बरहज तहसील के सोनाड़ी गांव के रहने वाले स्वतंत्र सिंह बिजली निगम में ठेकेदारी करते थे. पारिवारिक समस्या को लेकर घर रहना इनकी मजबूरी बन गई थी. जीविका चलाने के लिए खेती किसानी शुरू की. वर्ष 2018 में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने 72 किलो कट्टा गेहूं उत्पादन करने पर इन्हें सम्मानित किया था.

खेती करने का लिया प्रशिक्षण

जिला प्रशासन की पहल पर आत्मा योजना के तहत स्वतंत्र ने दो वर्ष पूर्व राज्य कृषि प्रबंधन संस्था रहमानखेड़ा लखनऊ में प्रशिक्षण लिया. प्रशिक्षण लेने के बाद मशरूम की खेती के साथ लोगों को प्रशिक्षण देना शुरू किया. अभी तक तीन हजार से अधिक लोगों को प्रशिक्षण दे चुके हैं. प्रशिक्षण लेने वालों में गोरखपुर और बलिया के किसान भी शामिल हैं.

जिले में इन दिनों 10 क्विंटल मशरूम का उत्पादन हो रहा है, जबकि मांग अधिक है. स्वतंत्र सिंह का दावा है कि 45 दिनों में मशरूम की खेती कर आमदनी दोगुना की जा सकती है. स्वतंत्र सिंह ने बताया कि जिला प्रशासन ने मिड डे मील (MDM) में मशरूम को शामिल करने का करार कर लिया है.

ट्रायल के तौर पर देसही देवरिया ब्लॉक के परिषदीय स्कूलों में बच्चों को दिया जा रहा है. सब कुछ ठीक रहा तो जिले के सभी स्कूलों में मशरूम की सप्लाई शुरू हो जाएगी. प्रतिदिन वाराणसी, बलिया, कुशीनगर और गोरखपुर जिले में मशरूम यहां से भेजा जा रहा है.

पूर्वांचल मशरूम के नाम से है दुकान

विकास भवन गेट पर पूर्वांचल मशरूम के नाम से स्वतंत्र सिंह ने खोल रखी है. साथ ही खेती सीखने आने वाले किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. स्वतंत्र सिंह मशरूम की पकौड़ी के अलावा मशरूम की चटनी, आचार, मुरब्बा, जैम, बिस्किट, मशरूम पाउडर भी बनाकर बेचते हैं.

रंगीन मशरूम की भी कर रहे खेती

मशरूम सिर्फ सफेद ही नहीं होता है. स्वतंत्र सिंह रंगीन मशरूम भी उगाते हैं. रंगीन मशरूम की डिमांड अधिक रहती है. मशरूम की खेती करने के लिए खेत की जरूरत नहीं है. मकान या झोपड़ी में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है.

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