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देवरहा बाबा आश्रम स्थित पारिजात वृक्ष समेत जिले के पांच वृक्ष विरासत घोषित

प्रदेश की योगी सरकार और वन विभाग ने जिले के गैर वन क्षेत्र की सामुदायिक भूमि पर लगे करीब सौ साल से अधिक पुराने पांच वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है. इन सभी वृक्षों की अपनी अलग मान्यता है. लोग इनकी पूजा-अर्चना करते हैं. वन विभाग ने इनकी देखरेख का बीड़ा उठाया है.

देवरहा बाबा आश्रम स्थित पारिजात वृक्ष समेत जिले के पांच वृक्ष विरासत घोषित
देवरहा बाबा आश्रम स्थित पारिजात वृक्ष समेत जिले के पांच वृक्ष विरासत घोषित
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Published : Mar 15, 2021, 3:31 PM IST

देवरिया : प्रदेश की योगी सरकार व वन विभाग ने जिले के सौ साल से अधिक पांच पुराने वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है. इसमें मईल थाना क्षेत्र के देवरहा बाबा आश्रम परिषर में लगा कल्पवृक्ष पारिजात भी शामिल है. बताया जाता है कि इस कल्पवृक्ष को देवरहा बाबा ने डेढ़ सौ वर्ष पहले अपने आश्रम में लगाया था. मान्यता है कि इसे छूने मात्र से शरीर की सारी थकान दूर हो जाती है. इसकी पत्तियां व इसके छाल के प्रयोग से बहुत से रोगों में लाभ मिलता है.

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ये चार अन्य वृक्ष भी विरासत घोषित
वन विभाग ने पारिजात के अलावा जिन चार अन्य वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है, उनमें भटनी के रामपुर बुजुर्ग गांव में किशुन बाबा स्थान स्थित बरगद का प्राचीन वृक्ष जो दो सौ साल पुराना है, सुरौली गांव के पुरानी काली मंदिर परिसर स्थित बरगद का वृक्ष (करीब डेढ़ सौ वर्ष पुराना), मरवटिया राजा गांव का बरगद का वृक्ष (करीब ढाई सौ वर्ष पुराना) जो ब्रम्ह स्थान पर है, शामिल हैं. इसके अलावा, रुद्रपुर रेंज में बाबू नरायनपुर बन्जारा देवी माई स्थान पर पीपल व बरगद का वृक्ष जो करीब सौ वर्ष पुराना है, को भी विरासत के रूप में शामिल किया गया है. बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में यहां चारू समुदाय के लोग अपनी संपत्ति इसी वृक्ष के नीचे छुपाकर रखते थे.

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सभी वृक्षों की अपनी अलग मान्यता

इन सभी वृक्षों की अपनी अलग मान्यता है. लोग इनकी पूजा-अर्चना करते हैं. वन विभाग ने इनकी देखरेख का बीड़ा उठाया है. डीएफओ दीनानाथ राय ने बताया कि विरासत वृक्ष के रूप में जिले के पांच वृक्षों का चयन किया गया है. इसमें देवरहा बाबा आश्रम का पारिजात वृक्ष भी शामिल है. इन सभी वृक्षों की देखभाल के लिए विभागीय कर्मियों को निर्देश दिए गए हैं.

देवरिया : प्रदेश की योगी सरकार व वन विभाग ने जिले के सौ साल से अधिक पांच पुराने वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है. इसमें मईल थाना क्षेत्र के देवरहा बाबा आश्रम परिषर में लगा कल्पवृक्ष पारिजात भी शामिल है. बताया जाता है कि इस कल्पवृक्ष को देवरहा बाबा ने डेढ़ सौ वर्ष पहले अपने आश्रम में लगाया था. मान्यता है कि इसे छूने मात्र से शरीर की सारी थकान दूर हो जाती है. इसकी पत्तियां व इसके छाल के प्रयोग से बहुत से रोगों में लाभ मिलता है.

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ये चार अन्य वृक्ष भी विरासत घोषित
वन विभाग ने पारिजात के अलावा जिन चार अन्य वृक्षों को विरासत वृक्ष घोषित किया है, उनमें भटनी के रामपुर बुजुर्ग गांव में किशुन बाबा स्थान स्थित बरगद का प्राचीन वृक्ष जो दो सौ साल पुराना है, सुरौली गांव के पुरानी काली मंदिर परिसर स्थित बरगद का वृक्ष (करीब डेढ़ सौ वर्ष पुराना), मरवटिया राजा गांव का बरगद का वृक्ष (करीब ढाई सौ वर्ष पुराना) जो ब्रम्ह स्थान पर है, शामिल हैं. इसके अलावा, रुद्रपुर रेंज में बाबू नरायनपुर बन्जारा देवी माई स्थान पर पीपल व बरगद का वृक्ष जो करीब सौ वर्ष पुराना है, को भी विरासत के रूप में शामिल किया गया है. बताया जाता है कि ब्रिटिश काल में यहां चारू समुदाय के लोग अपनी संपत्ति इसी वृक्ष के नीचे छुपाकर रखते थे.

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सभी वृक्षों की अपनी अलग मान्यता

इन सभी वृक्षों की अपनी अलग मान्यता है. लोग इनकी पूजा-अर्चना करते हैं. वन विभाग ने इनकी देखरेख का बीड़ा उठाया है. डीएफओ दीनानाथ राय ने बताया कि विरासत वृक्ष के रूप में जिले के पांच वृक्षों का चयन किया गया है. इसमें देवरहा बाबा आश्रम का पारिजात वृक्ष भी शामिल है. इन सभी वृक्षों की देखभाल के लिए विभागीय कर्मियों को निर्देश दिए गए हैं.

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