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चुनाव लड़ने के लिये खोज निकाली तरकीब, पिछड़े वर्ग की महिला से कराई बेटे की शादी - देवरिया पंचायत चुनाव

पंचायत चुनाव के लिये नई आरक्षण लिस्ट जारी होने के बाद देवरिया के गांवों की राजनीति बदल गयी है. नई लिस्ट आने के बाद से कईयों के चुनाव लड़ने की संभावना पर ब्रेक लग गया है.

चुनाव लड़ने के लिये खोज निकाली तरकीब, पिछड़े वर्ग की महिला से कराई बेटे की शादी
चुनाव लड़ने के लिये खोज निकाली तरकीब, पिछड़े वर्ग की महिला से कराई बेटे की शादी
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Published : Mar 25, 2021, 6:29 PM IST

देवरियाः पंचायत चुनाव के लिये नई आरक्षण लिस्ट जारी होने के बाद जिले में गावों की राजनीति बदल गयी है. नई लिस्ट आने के बाद से कईयों के चुनाव लड़ने की संभावना पर ब्रेक लग गया है. जबकि कई उम्मीदवारों के चेहरे खिले हुये हैं. खासकर जो काफी दिनों से ग्राम प्रधानी के चुनाव की तैयारी कर रहे थे. उनकी सीट का आरक्षण बदल जाने से दिक्कते और भी बढ़ गयी हैं. लेकिन आरक्षण बदल जाने के बाद भी गांवों की सत्ता पाने के लिये दावेदारों ने एक नायाब उपाय तलाश लिया है. जिले के एक संभावित उम्मीदवार ने चुनाव लड़ने के लिये अंतर्जातीय शादियां तक कर ली हैं, और अब ये शादी इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.

चुनाव लड़ने के लिये खोज निकाली तरकीब

ये है पूरा मामला

दरअसल पूरा मामला जिले के तरकुलवा विकास खंड के नारायणपुर गांव का है. जहां प्रधान पद साल 2015 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. पिछली लिस्ट में ये गांव सामान्य जाति के लिए आरक्षित हो गया था. लेकिन जब एक बार फिर नई आरक्षण सूची आई, तो गांव का आरक्षण ही बदल गया और नारायणपुर गांव पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित हो गया. गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कर रहे सरफराज के लिए चिन्ता का विषय बन गया. क्योंकि सरफराज सामान्य वर्ग से आते हैं. अब चुनाव में अपनी पकड़ बनाने के लिए सरफराज ने एक नया फार्मूला इजात किया है. उसने गांव की प्रधानी को पाने के लिये बेटे सेराज का निकाह पिछड़ी जाति की युवती से करा दिया. अब वो अपनी नई-नवेली बहू को प्रधानी का चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुटे हैं. इस बात की चर्चा क्षेत्र में जोर-शोर से है.

वहीं पूर्व प्रधान प्रत्याशी सरफराज का कहना था कि मैं 2015 में ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा था. उस समय कुछ वोट से हार गया था. इस बार गांव ओबीसी महिला आरक्षण में आ गया. जिसकी वजह से मैं चुनाव से वंचित हो रहा था. मेरे पूरे गांव के लोगों का दबाव था कि आप को चुनाव लड़ना है. इसको ध्यान में रखते हुये बेटे की शादी मुस्लिम बिरादरी के पिछड़ी जाति की लड़की से करवा दिया. अब बहू चुनाव लड़ सकती है.

आपको बता दें कि कानून के मुताबिक शादी के बाद भी लड़की की जाति नहीं बदलती है. अगर किसी पिछड़ी जाति की लड़की ने किसी सामान्य वर्ग के लड़के से शादी कर ली, तो लड़की पिछड़ी जाति की ही रहेगी, इसी तरह अगर कोई सामान्य जाति की लड़की पिछड़े वर्ग के लड़के से शादी कर ले, तो वो सामान्य वर्ग की ही मानी जायेगी. उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.

देवरियाः पंचायत चुनाव के लिये नई आरक्षण लिस्ट जारी होने के बाद जिले में गावों की राजनीति बदल गयी है. नई लिस्ट आने के बाद से कईयों के चुनाव लड़ने की संभावना पर ब्रेक लग गया है. जबकि कई उम्मीदवारों के चेहरे खिले हुये हैं. खासकर जो काफी दिनों से ग्राम प्रधानी के चुनाव की तैयारी कर रहे थे. उनकी सीट का आरक्षण बदल जाने से दिक्कते और भी बढ़ गयी हैं. लेकिन आरक्षण बदल जाने के बाद भी गांवों की सत्ता पाने के लिये दावेदारों ने एक नायाब उपाय तलाश लिया है. जिले के एक संभावित उम्मीदवार ने चुनाव लड़ने के लिये अंतर्जातीय शादियां तक कर ली हैं, और अब ये शादी इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है.

चुनाव लड़ने के लिये खोज निकाली तरकीब

ये है पूरा मामला

दरअसल पूरा मामला जिले के तरकुलवा विकास खंड के नारायणपुर गांव का है. जहां प्रधान पद साल 2015 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. पिछली लिस्ट में ये गांव सामान्य जाति के लिए आरक्षित हो गया था. लेकिन जब एक बार फिर नई आरक्षण सूची आई, तो गांव का आरक्षण ही बदल गया और नारायणपुर गांव पिछड़ी महिला के लिए आरक्षित हो गया. गांव में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए तैयारी कर रहे सरफराज के लिए चिन्ता का विषय बन गया. क्योंकि सरफराज सामान्य वर्ग से आते हैं. अब चुनाव में अपनी पकड़ बनाने के लिए सरफराज ने एक नया फार्मूला इजात किया है. उसने गांव की प्रधानी को पाने के लिये बेटे सेराज का निकाह पिछड़ी जाति की युवती से करा दिया. अब वो अपनी नई-नवेली बहू को प्रधानी का चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुटे हैं. इस बात की चर्चा क्षेत्र में जोर-शोर से है.

वहीं पूर्व प्रधान प्रत्याशी सरफराज का कहना था कि मैं 2015 में ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा था. उस समय कुछ वोट से हार गया था. इस बार गांव ओबीसी महिला आरक्षण में आ गया. जिसकी वजह से मैं चुनाव से वंचित हो रहा था. मेरे पूरे गांव के लोगों का दबाव था कि आप को चुनाव लड़ना है. इसको ध्यान में रखते हुये बेटे की शादी मुस्लिम बिरादरी के पिछड़ी जाति की लड़की से करवा दिया. अब बहू चुनाव लड़ सकती है.

आपको बता दें कि कानून के मुताबिक शादी के बाद भी लड़की की जाति नहीं बदलती है. अगर किसी पिछड़ी जाति की लड़की ने किसी सामान्य वर्ग के लड़के से शादी कर ली, तो लड़की पिछड़ी जाति की ही रहेगी, इसी तरह अगर कोई सामान्य जाति की लड़की पिछड़े वर्ग के लड़के से शादी कर ले, तो वो सामान्य वर्ग की ही मानी जायेगी. उसे आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा.

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