देवरिया: सदर तहसील क्षेत्र के प्राथमिक स्कूल रुच्चापार के बच्चे सीडीओ रवीन्द्र कुमार के तबादले पर उनसे लिपटकर रोने लगे. बच्चों को रोते देख सीडीओ, बीएसए और स्कूल के शिक्षक की आंखें भर आई. गांव वाले भी अफसर और बच्चों का लगाव देख भावुक हो गए. तबादले के बाद सीडीओ गोद लिए इस स्कूल में विदाई समारोह में पहुंचे थे.
बता दें कि देवरिया के सीडीओ रवींद्र कुमार ने 17 अगस्त 2021 को कार्यभार संभाला था. पिछले दिनों पदोन्नति के बाद वह आईएएस बने थे. उनका तबादला 11 सितंबर की रात मुख्य सचिव के स्टाफ ऑफिसर पद पर लखनऊ में हो गया था. जिले में उन्होंने अपनी कार्यशैली से अलग पहचान बना ली थी. करीब एक साल पूर्व वह क्षेत्र भ्रमण के दौरान बैतालपुर ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल रुच्चापार पहुंचे. इस दौरान वे वहां के प्रधानाध्यापक नित्यानंद चौबे से बातचीत से प्रभावित हुए और 8 सितंबर 2022 को उन्होंने स्कूल को गोद ले लिया. इसके बाद जब भी वे क्षेत्र में जाते स्कूल में बच्चों को गणित और अंग्रेजी समेत अन्य विषय पढ़ाते थे. इससे बच्चे उनसे काफी घुलमिल गए थे.
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ट्रांसफर होने के बाद सीडीओ का मंगलवार को स्कूल में उनका विदाई समारोह था. इस दौरान सीडीओ ने छात्रों की आखिरी क्लास ली और उनसे मन लगाकर पढ़ाई करने को कहा. भरोसा दिलाया कि जब आना होगा, स्कूल में जरूर आएंगे. यहां से विदा लेते वक्त स्कूल के बच्चे भावुक हो गए. कुछ उनसे लिपटकर तो कुछ पैर पकड़कर रोने लगे. बच्चे सीडीओ को जाने नहीं दे रहे थे. इस दौरान बीएसए शालिनी श्रीवास्तव, सूचना अधिकारी शांतनु श्रीवास्तव, डीपीओ कृष्ण कान्त राय, बीईओ विजय पाल, प्रधानाध्यापक नित्यानंद चौबे, अभय कुमार सिंह, सुमन तिवारी, रंजना यादव, राम दास, मुन्ना यादव, श्रीराम यादव मौजूद रहे.
कक्षा पांच की छात्रा सोना चौरसिया ने बताया कि सीडीओ अंकल बड़े प्यार से पढ़ाते थे. खेलने के लिए भी प्रेरित करते थे. कक्षा चार के अजय प्रजापति का कहना था कि वह हम लोगों को कॉपी-किताब भी देते थे. कक्षा पांच की शिल्पी प्रजापति, कक्षा चार के निहाल, विनायक देव, खुशबू, कक्षा तीन की अदिति, कक्षा दो कि परिधि का कहना था कि हम लोगों से कहते थे कि अच्छी पढ़ाई करके नाम रोशन करो. सीडीओ सर ने एक वर्ष पहले स्कूल को गोद लिया था. अक्सर स्कूल आ जाते थे. अगले दिन की तैयारी और कार्य के बारे में जानकारी लेते थे. गर्मी में 42 दिन की छुट्टी में तीन दिन छोड़कर वह प्रतिदिन स्कूल आए. इस दौरान बच्चों को योग आदि की शिक्षा दी गई. वह अक्सर स्कूल में लगे पौधों को पानी भी देते थे. उनकी कमी खलेगी.
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