ETV Bharat / state

इस आयुर्वेदिक चिकित्सालय को है इलाज की जरूत - health department in deoriya

देवरिया जिले में आयुर्वेदिक चिकित्सालय का भवन जर्जर हालत में है. अस्पताल में ना तो इलाज होता है और ना ही मरीजों को दवाएं मिल पा रही हैं.

जर्जर भवन में चल रहा आयुर्वेदिक चिकित्सालय
जर्जर भवन में चल रहा आयुर्वेदिक चिकित्सालय
author img

By

Published : Jan 18, 2021, 1:14 PM IST

देवरिया: प्रदेश सरकार स्वास्थ विभाग को बेहतर बनाने और लोगों को हर सम्भव इलाज देने के लिये लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण जिले के आयुर्वेदिक व यूनानी अस्पतालों को खुद ही इलाज की जरूरत है. जर्जर हो चुके अस्पताल के भवन में डॉक्टर जान जोखिम में डालकर इलाज करने को मजबूर हैं.

जर्जर इमारतों में चल रहे आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सालय
बता दें जिले में 42 राजकीय आयुर्वेदिक और दो यूनानी चिकित्सालय चल रहे हैं, लेकिन मात्र 17 अस्पतालों पर डॉक्टरों की तैनाती है. अन्य अस्पताल फार्मासिस्ट और वार्ड ब्वॉय के भरोसे चल रहे हैं. ऐसे में मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है. जिला पंचायत के भवन में चल रहे अस्पताल का भवन मरम्मत के अभाव में खस्ताहाल हो गया है. इतना ही नहीं कई बार छत का प्लास्टर टूटकर गिरने से अस्पताल के कई कर्मचारी जख्मी भी हुए हैं.

अधिकांश अस्पताल रहते हैं बंद
आयुर्वेदिक अस्पतालों में आने वाले मरीजों को न तो दवा मिलती है और ना ही अधिकांश अस्पतालों का ताला खुलता है. इसको लेकर विभागीय अफसर भी उदासीन रवैया अपनाते हैं. इस कारण मरीजों का आयुर्वेदिक अस्पतालों से मोहभंग होता जा रहा है.

किराये के भवन में 13 अस्पताल
जिले में 13 आयुर्वेदिक अस्पताल किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं. इसमें मगहरा, रावतपार अमेठिया, बैरौना, बरियारपुर, लार रोड, मझौलीराज, बढ़या हरदो, श्रीनगर, भोसिमपुर, रायबारी, भटनी, बरडीहा शहर के चटनी गड़ही के पास शामिल हैं. इसके अलावा मदनपुर और शहर के खरजरवा में यूनानी अस्पताल संचालित होता है.

भवन जर्जर हो चुका है. छत की प्लास्टर टूट कर नीचे गिरता रहता है. हमेशा डर बना रहता है कई बार विभाग को लिखा गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

- दिनेश कुमार चौरसिया, आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सा विभाग के अधिकारी

देवरिया: प्रदेश सरकार स्वास्थ विभाग को बेहतर बनाने और लोगों को हर सम्भव इलाज देने के लिये लगातार प्रयासरत हैं, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण जिले के आयुर्वेदिक व यूनानी अस्पतालों को खुद ही इलाज की जरूरत है. जर्जर हो चुके अस्पताल के भवन में डॉक्टर जान जोखिम में डालकर इलाज करने को मजबूर हैं.

जर्जर इमारतों में चल रहे आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सालय
बता दें जिले में 42 राजकीय आयुर्वेदिक और दो यूनानी चिकित्सालय चल रहे हैं, लेकिन मात्र 17 अस्पतालों पर डॉक्टरों की तैनाती है. अन्य अस्पताल फार्मासिस्ट और वार्ड ब्वॉय के भरोसे चल रहे हैं. ऐसे में मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा है. जिला पंचायत के भवन में चल रहे अस्पताल का भवन मरम्मत के अभाव में खस्ताहाल हो गया है. इतना ही नहीं कई बार छत का प्लास्टर टूटकर गिरने से अस्पताल के कई कर्मचारी जख्मी भी हुए हैं.

अधिकांश अस्पताल रहते हैं बंद
आयुर्वेदिक अस्पतालों में आने वाले मरीजों को न तो दवा मिलती है और ना ही अधिकांश अस्पतालों का ताला खुलता है. इसको लेकर विभागीय अफसर भी उदासीन रवैया अपनाते हैं. इस कारण मरीजों का आयुर्वेदिक अस्पतालों से मोहभंग होता जा रहा है.

किराये के भवन में 13 अस्पताल
जिले में 13 आयुर्वेदिक अस्पताल किराए के भवन में संचालित हो रहे हैं. इसमें मगहरा, रावतपार अमेठिया, बैरौना, बरियारपुर, लार रोड, मझौलीराज, बढ़या हरदो, श्रीनगर, भोसिमपुर, रायबारी, भटनी, बरडीहा शहर के चटनी गड़ही के पास शामिल हैं. इसके अलावा मदनपुर और शहर के खरजरवा में यूनानी अस्पताल संचालित होता है.

भवन जर्जर हो चुका है. छत की प्लास्टर टूट कर नीचे गिरता रहता है. हमेशा डर बना रहता है कई बार विभाग को लिखा गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

- दिनेश कुमार चौरसिया, आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सा विभाग के अधिकारी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.