देवरिया: बड़ी-बड़ी गाड़ियों में दूल्हे को बारात ले जाते तो आपने अक्सर देखा होगा, लेकिन आधुनिक समय में बैलगाड़ी से बारात ले जाते बहुत ही कम या फिर कहें कि न के बराबर देखा जाता है. देवरिया जिले में रविवार को एक अनोखी बारात देखने को मिली है. इस बारात को देख सभी को पुरानी परम्पराओं की यादें ताजा हो गईं. इस बारात में सबसे रोचक यह रहा कि खुद दूल्हा पालकी से निकला और बाराती सजी हुई बैलगाड़ी से. बारात को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. ये बारात जिले में लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी है.
रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के कुशहरी गांव के रहने वाले छोटेलाल पाल धनगर पुत्र स्व. जवाहर लाल की शादी जिले के रुद्रपुर क्षेत्र के पकड़ी बाजार के नजदीक बलडीहा दल गांव निवासी रामानंद पाल धनगर की पुत्री सरिता से तय थी. रविवार को बारात रवाना होनी थी. इसके लिए कुशहरी में पिछले एक सप्ताह से तैयारी चल रही थी. छोटेलाल ने अपनी बारात पुराने रीति-रिवाज और परंपरा से निकालने की जानकारी दुल्हन पक्ष को पहले ही दे दी था. सुबह 11 बैलगाड़ियां सज धजकर छोटेलाल के दरवाजे पर पहुंची तो लोग देखते ही रह गए.
सभी बैलगाड़ी खास अंदाज में पीले कपड़े की छतरी से सजी थीं, जो आकषर्ण का केन्द्र बना हुआ था. घर से 22 किलोमीटर दूर जाना था, इसलिये बारात सुबह 11 बजे ही घर से निकल गयी. दूल्हा बने छोटेलाल पाल पालकी से निकले तो उन्हें लोग देखते रह गए. बारात में बैंड-बाजा की जगह लोक कलाकार नृत्य कर रहे थे. इस दृश्य ने मानों वर्षों पुरानी परंपरा को जीवंत कर दिया. गांव में बूढ़े-बुजुर्ग भी इस बारात को देखने के लिए पहुंचे. बच्चों के लिए भी ये अनोखी बारात किसी अचम्भे से कम नहीं थी.
कुशहरी गांव निवासी स्व. जवाहर लाल पाल धनगर के दो बेटे हैं. बड़े बेटे रामविचार पाल धनगर गांव में ही रहते हैं, जबकि छोटेलाल मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में आर्ट डिपार्टमेंट में काम करते हैं.