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पंचायत चुनाव : अतिसंवेदनशील केंद्रों पर भी शांतिपूर्ण ढंग से हो रहा मतदान - voting continues

पंंचायत चुनाव को लेकर चित्रकूट में मतदान प्रक्रिया सोमवार सुबह 7 बजे से जारी है. सुबह से ही ग्रामीण संवेदनशील मतदान केंद्रों में भी मतदान करने के लिए पहुंच रहे हैं.

त्रिस्तरीय चुनाव
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Published : Apr 19, 2021, 2:00 PM IST

चित्रकूट : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जिले में मतदान प्रक्रिया सोमवार सुबह 7 बजे से ही शुरू हो गई. यहां ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों के साथ वार्ड सदस्यों के लिए मतदान किया जा रहा है. साथ ही जिले के अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र गिदुरहा में भी लोग निर्भीक होकर मतदान कर रहे हैं.

शांतिपूर्ण हो रहा मतदान.

गिदुरहा क्यों है अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र ?

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर गिदुरहा ग्राम पंचायत है. यह चारों ओर से अरावली पर्वत श्रृंखला के पहाड़ से घिरा है. इस वजह से यह डाकुओं की पसंदीदा शरणस्थली रहा है. गिदुरहा से लगी हुईं ग्राम पंचायत पाठा, नागर, निही, सकरौहा, चमरौहां, घाटा, कोलन गावों में चार दशक तक डाकुओं का आतंक रहा. डाकू जिस प्रत्याशी के पक्ष में चाहते थे, उसके पक्ष में प्रचार कर उसे जीत दिलाते थे और फिर प्रधानों से पैसे वसूलते थे.

डाकुओं के इन गैंग का चलता था सिक्का

चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में वैसे तो कई प्रमुख डाकू गैंग ने राज किया, लेकिन मुख्य रूप से चार दशक पूर्व डाकू गया बाबा ने ग्रामीणों पर खूब कहर बरपाया. फिर उसका दाहिना हाथ कहलाने वाले सात लाख के इनामी डाकू ददुआ ने पाठा के बीहड़ में 30 साल तक लगातार राज किया. अपने जिंदा रहते उसने अपने भाई बाल कुमार को सांसद बनवाया और बहू को जिला पंचायत अध्यक्ष. इतना ही नहीं, उसने अपने बेटे वीर सिंह को सदर विधायक तक बनवा दिया. साल 2007 में एसटीएफ ने एनकाउंटर के दौरान पांच साथियों के साथ ददुआ को ढेर कर दिया. ददुआ के मारे जाने के बाद उसके विरोधी गैंग अंबिका प्रसाद और छोटूवा को भी पुलिस ने 2007 में ही समाप्त कर दिया.

पुलिस सक्रिय, शांतिपूर्ण ढंग से हो रहा मतदान

ददुआ गैंग से बचे हुए डकैत बबली लवलेश ने अपनी नई गैंग तैयार की. लगभग 10 वर्षों तक वह भी इन जंगलों में राज करता रहा. 2019 में मध्य प्रदेश पुलिस ने डाकू बबली और लवलेश गैंग का भी सफाया कर दिया. पाठा से सटा हुआ बीहड़ ददरी में आज भी डेढ़ लाख का इनामी डकैत गौरी यादव गैंग सक्रिय है. हालांकि, पुलिस की सख्ती के आगे वह वारदात को अंजाम नहीं दे पा रहा. इसी चलते त्रिस्तरीय चुनाव में डकैतों का वर्चस्व कम नजर आ रहा है और लोग शांतिपूर्ण ढंग से मतदान कर रहे हैं.

चित्रकूट : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जिले में मतदान प्रक्रिया सोमवार सुबह 7 बजे से ही शुरू हो गई. यहां ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्यों और जिला पंचायत सदस्यों के साथ वार्ड सदस्यों के लिए मतदान किया जा रहा है. साथ ही जिले के अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र गिदुरहा में भी लोग निर्भीक होकर मतदान कर रहे हैं.

शांतिपूर्ण हो रहा मतदान.

गिदुरहा क्यों है अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र ?

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर गिदुरहा ग्राम पंचायत है. यह चारों ओर से अरावली पर्वत श्रृंखला के पहाड़ से घिरा है. इस वजह से यह डाकुओं की पसंदीदा शरणस्थली रहा है. गिदुरहा से लगी हुईं ग्राम पंचायत पाठा, नागर, निही, सकरौहा, चमरौहां, घाटा, कोलन गावों में चार दशक तक डाकुओं का आतंक रहा. डाकू जिस प्रत्याशी के पक्ष में चाहते थे, उसके पक्ष में प्रचार कर उसे जीत दिलाते थे और फिर प्रधानों से पैसे वसूलते थे.

डाकुओं के इन गैंग का चलता था सिक्का

चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में वैसे तो कई प्रमुख डाकू गैंग ने राज किया, लेकिन मुख्य रूप से चार दशक पूर्व डाकू गया बाबा ने ग्रामीणों पर खूब कहर बरपाया. फिर उसका दाहिना हाथ कहलाने वाले सात लाख के इनामी डाकू ददुआ ने पाठा के बीहड़ में 30 साल तक लगातार राज किया. अपने जिंदा रहते उसने अपने भाई बाल कुमार को सांसद बनवाया और बहू को जिला पंचायत अध्यक्ष. इतना ही नहीं, उसने अपने बेटे वीर सिंह को सदर विधायक तक बनवा दिया. साल 2007 में एसटीएफ ने एनकाउंटर के दौरान पांच साथियों के साथ ददुआ को ढेर कर दिया. ददुआ के मारे जाने के बाद उसके विरोधी गैंग अंबिका प्रसाद और छोटूवा को भी पुलिस ने 2007 में ही समाप्त कर दिया.

पुलिस सक्रिय, शांतिपूर्ण ढंग से हो रहा मतदान

ददुआ गैंग से बचे हुए डकैत बबली लवलेश ने अपनी नई गैंग तैयार की. लगभग 10 वर्षों तक वह भी इन जंगलों में राज करता रहा. 2019 में मध्य प्रदेश पुलिस ने डाकू बबली और लवलेश गैंग का भी सफाया कर दिया. पाठा से सटा हुआ बीहड़ ददरी में आज भी डेढ़ लाख का इनामी डकैत गौरी यादव गैंग सक्रिय है. हालांकि, पुलिस की सख्ती के आगे वह वारदात को अंजाम नहीं दे पा रहा. इसी चलते त्रिस्तरीय चुनाव में डकैतों का वर्चस्व कम नजर आ रहा है और लोग शांतिपूर्ण ढंग से मतदान कर रहे हैं.

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