ETV Bharat / state

चित्रकूट के इस गांव में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण, नहीं हो रही युवाओं की शादी

चित्रकूट में पानी को लेकर सरकारी दावे व वादे अब पूरी तरह से फेल होते दिख रहे हैं. कई गांव में पेयजल का भीषण संकट उत्पन्न हो गया है. आलम यह है कि अब यहां के ग्रामीणों को पानी की खोज में भटकना पड़ रहा है. साथ ही जनपद के गोपीपुर ग्राम में केवल इसलिए कई युवा की शादी नहीं हुई, क्योंकि उनके गांव में पानी नहीं है.

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण
बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण
author img

By

Published : Apr 29, 2022, 12:37 PM IST

Updated : Apr 29, 2022, 3:07 PM IST

चित्रकूट: बुंदेलखंड के चित्रकूट में पानी को लेकर सरकारी दावे व वादे अब पूरी तरह से फेल होते दिख रहे हैं. कई गांव में पेयजल का भीषण संकट उत्पन्न हो गया है. आलम यह है कि अब यहां के ग्रामीणों को पानी की खोज में भटकना पड़ रहा है. साथ ही जनपद के गोपीपुर ग्राम में केवल इसलिए कई युवा की शादी नहीं हुई, क्योंकि उनके गांव में पानी नहीं है.

बुंदेलखंड के चित्रकूट का पाठा कहलाने वाले मानिकपुर विकास खंड के दर्जनों गांवों में आज लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे. यहां के ग्रामीण रोजाना पानी की तलाश में एक गांव से दूसरे गांव में भटकते हैं, ताकि उनका गला तर हो सके. वहीं, पानी के लिए केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह से ही निकल जाते हैं. यहां पानी की समस्या के कारण कुंवारे लड़कों की शादी तक नहीं पाती है. गांव में पानी नहीं है इसलिए कोई अपनी बेटी इन गांवों में नहीं देना चाहता. लिहाजा, शादी की आस में कई युवा अब प्रौढ़ हो चुके हैं.


दशकों से चली आ रही है पानी की समस्या: बुंदेलखंड के चित्रकूट में कई दशकों से पानी की समस्या चली आ रही है. कई सरकारों ने पानी की समस्या के लिए करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए. लेकिन पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है. यहां सूरज की तपिश बढ़ते ही नदी, नाले, पोखर और तालाब सूख जाते हैं और पानी का जलस्तर नीचे गिरने से हैंडपंप व बोर में भी पानी नहीं आता. जिसके चलते इंसानों के साथ-साथ बेजुबान भी बूंद-बूंद पानी को तरसने लगते हैं.

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

इसे भी पढ़ें - आगरा में पारा 45 डिग्री के पार, टूट सकता है 43 साल पुराना रिकॉर्ड

विवाहिता ने जताया दुख: एक विवाह ने अपनी समस्याओं को बयां करते हुए कहा कि उसकी शादी को 18 साल हो गए हैं. जब से वो इस गांव में ब्याह कर आई है, तभी से वो यहां पानी की समस्या देख रही है. पीने के लिए भी कोसों दूर से सिर पर पानी ढोकर लाना होता है. जिसके कारण अक्सर सिर में दर्द रहता है. लेकिन लाचारी का आलम यह है कि बिना पीना कुछ संभव ही नहीं है, सो सिर की पीड़ा को दरकिनार कर हम पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं.

उसने कहा कि यह केवल उसकी व्यथा नहीं है, बल्कि उसकी तरह कई अन्य महिलाएं पानी के लिए भटकती मिल जाएंगी. खैर, यहां कुछ लोगों के पास बैलगाड़ी है. लेकिन जिनके पास बैलगाड़ी नहीं है, उनकी स्थिति बहुत बुरी है. क्योंकि उन्हें कई किलोमीटर तक सिर पर ढोकर पानी लाना पड़ता है. आगे उसने कहा कि मार्च की शुरुआती गर्मी में ही यहां कुंए, तालाब सूखे जाते हैं और मई-जून में तो हालत बद से बदतर हो जाती है.

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण
बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

यहां लोगों की लाइफ लाइन है बैलगाड़ी: इस आधुनिक युग में जहां लोग अपने घरों के सामने महंगी-महंगी गाड़ियां खड़ी करना घर की शोभा समझते हैं. वहीं, इन गांवों के घरों के सामने बैलगाड़ी रखना मजबूरी हो गई है. इस गांव के लगभग हर एक घर में आपको बैलगाड़ी मिल जाएगी, क्योंकि इसी बैलगाड़ी के सहारे ग्रामीण मिलो दूर से ड्रम में पानी भर के लाते हैं.

क्या कहते हैं उपजिलाधिकारी: उपजिलाधिकारी प्रमेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वो खुद गोपीपुर गांव का दौरा कर चुके हैं. जहां एक समरसेबल पंप खराब है तो वहीं दो हैंडपंप की मरम्मत के आदेश दिए गए हैं. ग्राम पंचायतों की ओर से टैंकरों के सहारे लोगों को पानी की सप्लाई की जा रही है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

चित्रकूट: बुंदेलखंड के चित्रकूट में पानी को लेकर सरकारी दावे व वादे अब पूरी तरह से फेल होते दिख रहे हैं. कई गांव में पेयजल का भीषण संकट उत्पन्न हो गया है. आलम यह है कि अब यहां के ग्रामीणों को पानी की खोज में भटकना पड़ रहा है. साथ ही जनपद के गोपीपुर ग्राम में केवल इसलिए कई युवा की शादी नहीं हुई, क्योंकि उनके गांव में पानी नहीं है.

बुंदेलखंड के चित्रकूट का पाठा कहलाने वाले मानिकपुर विकास खंड के दर्जनों गांवों में आज लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे. यहां के ग्रामीण रोजाना पानी की तलाश में एक गांव से दूसरे गांव में भटकते हैं, ताकि उनका गला तर हो सके. वहीं, पानी के लिए केवल पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी सुबह से ही निकल जाते हैं. यहां पानी की समस्या के कारण कुंवारे लड़कों की शादी तक नहीं पाती है. गांव में पानी नहीं है इसलिए कोई अपनी बेटी इन गांवों में नहीं देना चाहता. लिहाजा, शादी की आस में कई युवा अब प्रौढ़ हो चुके हैं.


दशकों से चली आ रही है पानी की समस्या: बुंदेलखंड के चित्रकूट में कई दशकों से पानी की समस्या चली आ रही है. कई सरकारों ने पानी की समस्या के लिए करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए. लेकिन पानी की समस्या जस की तस बनी हुई है. यहां सूरज की तपिश बढ़ते ही नदी, नाले, पोखर और तालाब सूख जाते हैं और पानी का जलस्तर नीचे गिरने से हैंडपंप व बोर में भी पानी नहीं आता. जिसके चलते इंसानों के साथ-साथ बेजुबान भी बूंद-बूंद पानी को तरसने लगते हैं.

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

इसे भी पढ़ें - आगरा में पारा 45 डिग्री के पार, टूट सकता है 43 साल पुराना रिकॉर्ड

विवाहिता ने जताया दुख: एक विवाह ने अपनी समस्याओं को बयां करते हुए कहा कि उसकी शादी को 18 साल हो गए हैं. जब से वो इस गांव में ब्याह कर आई है, तभी से वो यहां पानी की समस्या देख रही है. पीने के लिए भी कोसों दूर से सिर पर पानी ढोकर लाना होता है. जिसके कारण अक्सर सिर में दर्द रहता है. लेकिन लाचारी का आलम यह है कि बिना पीना कुछ संभव ही नहीं है, सो सिर की पीड़ा को दरकिनार कर हम पानी के लिए भटकने को मजबूर हैं.

उसने कहा कि यह केवल उसकी व्यथा नहीं है, बल्कि उसकी तरह कई अन्य महिलाएं पानी के लिए भटकती मिल जाएंगी. खैर, यहां कुछ लोगों के पास बैलगाड़ी है. लेकिन जिनके पास बैलगाड़ी नहीं है, उनकी स्थिति बहुत बुरी है. क्योंकि उन्हें कई किलोमीटर तक सिर पर ढोकर पानी लाना पड़ता है. आगे उसने कहा कि मार्च की शुरुआती गर्मी में ही यहां कुंए, तालाब सूखे जाते हैं और मई-जून में तो हालत बद से बदतर हो जाती है.

बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण
बूंद-बूंद पानी को तरस रहे ग्रामीण

यहां लोगों की लाइफ लाइन है बैलगाड़ी: इस आधुनिक युग में जहां लोग अपने घरों के सामने महंगी-महंगी गाड़ियां खड़ी करना घर की शोभा समझते हैं. वहीं, इन गांवों के घरों के सामने बैलगाड़ी रखना मजबूरी हो गई है. इस गांव के लगभग हर एक घर में आपको बैलगाड़ी मिल जाएगी, क्योंकि इसी बैलगाड़ी के सहारे ग्रामीण मिलो दूर से ड्रम में पानी भर के लाते हैं.

क्या कहते हैं उपजिलाधिकारी: उपजिलाधिकारी प्रमेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि वो खुद गोपीपुर गांव का दौरा कर चुके हैं. जहां एक समरसेबल पंप खराब है तो वहीं दो हैंडपंप की मरम्मत के आदेश दिए गए हैं. ग्राम पंचायतों की ओर से टैंकरों के सहारे लोगों को पानी की सप्लाई की जा रही है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated : Apr 29, 2022, 3:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.