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चित्रकूट जिला पंचायत में पानी की तरह बहा पैसा, नहीं बदली तस्वीर

चित्रकूट जिला पंचायत में विकास कार्यों का कोई भी असर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने विकास कार्यों के लिए पैसे पानी की तरह तो बहा दिए, लेकिन विकास के नाम पर कुछ भी नहीं. जिले में पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है. ऐसे में एक बार फिर ग्रामीण दूसरे उम्मीदवार से विकास की उम्मीद है.

स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Mar 4, 2021, 12:46 PM IST

चित्रकूट: जिले में विकास कार्यों के लिए सरकार ने पैसा पानी की तरह बहा दिया पर ग्रामीण क्षेत्रों की जो तस्वीरें हैं वह जस की तस बनी हुई हैं. आज भी ग्रमीण टूटी-फूटी और कीचड़ से भरी सड़कों पर चलने को मजबूर हैं. जिलापंचायत के सदस्यों ने ठेकेदारी के माध्यम से जमकर अपनी जेबे भरीं. सदस्यों ने जीत के बाद कभी वोटरों से मिलने की भी जहमत नहीं उठाई जिससे वोटर स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं.

विकास के नाम पर कुछ नहीं
जिला पंचायत के बीते कार्यकाल पर अगर हम नजर डालें तो सूबे की सरकार ने पैसा तो पानी की तरह बहाया पर गांव की तस्वीर जस की तस बनी हुई है. सदस्यों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विभाग में जमकर ठेकेदारी की और जनता की नजरों में धूल झोंकते रहे. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि प्रत्याशी जीतने के बाद उनके भी गांव की तस्वीर बदलेगी पर उनके वोट पर जीत हासिल करने वाले पंचायत जिला पंचायत के सदस्यों ने उन्हें कभी दोबारा मुड़कर नहीं देखा ना ही इनके द्वारा किसी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को दिया गया. जिसके बाद ग्रामीण एक बार फिर दूसरे उम्मीदवार को आशा भरी नजरों से देख रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट
18 नंबर वार्ड सरहट गांव की एक समाज सेविका बूटीबाई ने बताया कि हम लोगों ने बढ़-चढ़कर इस चुनाव में हिस्सा लिया और 18 नंबर के वार्ड जिलापंचायत सदस्य को जिताने का काम किया पर चुनाव जीतने के बाद कभी भी वह हम लोगों के नजदीक नहीं आया और ना ही हम लोग के कोई सुख दुख में साथ दिया. बल्कि उसने हमारे क्षेत्र में कोई भी ऐसा काम नहीं करवाया जिससे कि जनता उसे पसन्द करे हम लोग ऐसे प्रत्याशी को दोबारा वोट नहीं दे सकते.
गांव में नहीं आते पंचायत प्रतिनिधि
18 नंबर वार्ड के गांव बराह माफी के रहने वाले कमलेश ने बताया कि विजय होने के बाद प्रत्याशी ने हमारे गांव की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखा हमारे क्षेत्र 18 नं वार्ड में पेयजल की बहुत ज्यादा किल्लत है. पानी के लिए लोगों को भटकना पड़ता है पानी के क्षेत्र में भी हमारे जिला पंचायत सदस्य द्वारा कोई कार्य नहीं कराया गया बल्कि गांव से बाहर 1 किलोमीटर की गुणवत्ताविहीन सीसी सड़क का निर्माण उसके द्वारा करवाया गया जो साल भर के अंदर टूट फूट गई. उनका कहना है कि ऐसे में कहीं ना कहीं यह सदस्य जीत के बाद भ्रष्टाचार में ही शामिल रहे हैं. उन्होंने जनता की मूलभूत सुविधाओं पर कोई भी ध्यान नहीं दिया बल्कि सिर्फ अपनी जेबें ही भरी है.
जिला पंचायत का बोर्ड
जिलापंचायत बोर्ड में निर्वाचित सदस्यों के साथ ही उस क्षेत्र के एमएलसी, सांसद, विधायक द्वारा वोट कर जिलापंचायत अध्यक्ष का चुनाव करते हैं. जिलापंचायत में किसी भी कार्य को लेकर पहले बैठक में प्रस्ताव लिए जाते हैं उन प्रस्ताव के आधार पर बोर्ड की सहमति के आधार पर कार्ययोजना तैयार की जाती है और प्राथमिकता के आधार पर कार्य किये जाते हैं.

जिलापंचायत के कार्य
पूर्व की कार्ययोजना के आधार पर निविदा होती है और निविदा के आधार पर ठेकेदार के द्वारा कार्य कराए जाते हैं, जिसमे 10 लाख की धनराशि तक के कार्य जिलापंचायत स्वयं आदेश दे कर करवाता है और 10 लाख से ज्यादा की धनराशि की स्वीकृति जिले के उच्चाधिकारियों से लेनी आवश्यक होती है.

जिलापंचायत मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रो में कार्य करवाता है जिसमें सड़क पेंटिंग निर्माण(डामरीकरण), सीसी सड़क निर्माण, पुलिया निर्माण, नाली निर्माण, रपटा निर्माण, सड़कों का मरम्मतीकरण के कार्य मुख्य रूप से करवाता है. जिसके गुणवत्ता जांचने और संरक्षण व निरीक्षण के लिए अभियन्ता व अवर अभियन्ता की नियुक्ति होती है. जिला पंचायत में प्रशासनिक तौर पर एक अपरमुख्य अधिकारी भी नियुक्त होता है.

जनपद चित्रकूट में 18 वार्ड थे और अब वर्तमान में परिसीमन बदलने के बाद 17 वार्ड ही रह गए हैं. जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 18 करोड़ के काम जिला पंचायत द्वारा ई-टेंडरिंग के जरिए करवाए गए हैं. जिला पंचायत द्वारा सीसी सड़क, डामरीकृत सड़क, पुलिया, रपटा निर्माण और 10 हजार वृक्षारोपण का कार्य इस वित्तीय वर्ष में कई गांव में किया गया है.

चित्रकूट: जिले में विकास कार्यों के लिए सरकार ने पैसा पानी की तरह बहा दिया पर ग्रामीण क्षेत्रों की जो तस्वीरें हैं वह जस की तस बनी हुई हैं. आज भी ग्रमीण टूटी-फूटी और कीचड़ से भरी सड़कों पर चलने को मजबूर हैं. जिलापंचायत के सदस्यों ने ठेकेदारी के माध्यम से जमकर अपनी जेबे भरीं. सदस्यों ने जीत के बाद कभी वोटरों से मिलने की भी जहमत नहीं उठाई जिससे वोटर स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं.

विकास के नाम पर कुछ नहीं
जिला पंचायत के बीते कार्यकाल पर अगर हम नजर डालें तो सूबे की सरकार ने पैसा तो पानी की तरह बहाया पर गांव की तस्वीर जस की तस बनी हुई है. सदस्यों ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विभाग में जमकर ठेकेदारी की और जनता की नजरों में धूल झोंकते रहे. ग्रामीणों को उम्मीद थी कि प्रत्याशी जीतने के बाद उनके भी गांव की तस्वीर बदलेगी पर उनके वोट पर जीत हासिल करने वाले पंचायत जिला पंचायत के सदस्यों ने उन्हें कभी दोबारा मुड़कर नहीं देखा ना ही इनके द्वारा किसी योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को दिया गया. जिसके बाद ग्रामीण एक बार फिर दूसरे उम्मीदवार को आशा भरी नजरों से देख रहे हैं.

स्पेशल रिपोर्ट
18 नंबर वार्ड सरहट गांव की एक समाज सेविका बूटीबाई ने बताया कि हम लोगों ने बढ़-चढ़कर इस चुनाव में हिस्सा लिया और 18 नंबर के वार्ड जिलापंचायत सदस्य को जिताने का काम किया पर चुनाव जीतने के बाद कभी भी वह हम लोगों के नजदीक नहीं आया और ना ही हम लोग के कोई सुख दुख में साथ दिया. बल्कि उसने हमारे क्षेत्र में कोई भी ऐसा काम नहीं करवाया जिससे कि जनता उसे पसन्द करे हम लोग ऐसे प्रत्याशी को दोबारा वोट नहीं दे सकते.
गांव में नहीं आते पंचायत प्रतिनिधि
18 नंबर वार्ड के गांव बराह माफी के रहने वाले कमलेश ने बताया कि विजय होने के बाद प्रत्याशी ने हमारे गांव की तरफ मुड़ कर भी नहीं देखा हमारे क्षेत्र 18 नं वार्ड में पेयजल की बहुत ज्यादा किल्लत है. पानी के लिए लोगों को भटकना पड़ता है पानी के क्षेत्र में भी हमारे जिला पंचायत सदस्य द्वारा कोई कार्य नहीं कराया गया बल्कि गांव से बाहर 1 किलोमीटर की गुणवत्ताविहीन सीसी सड़क का निर्माण उसके द्वारा करवाया गया जो साल भर के अंदर टूट फूट गई. उनका कहना है कि ऐसे में कहीं ना कहीं यह सदस्य जीत के बाद भ्रष्टाचार में ही शामिल रहे हैं. उन्होंने जनता की मूलभूत सुविधाओं पर कोई भी ध्यान नहीं दिया बल्कि सिर्फ अपनी जेबें ही भरी है.
जिला पंचायत का बोर्ड
जिलापंचायत बोर्ड में निर्वाचित सदस्यों के साथ ही उस क्षेत्र के एमएलसी, सांसद, विधायक द्वारा वोट कर जिलापंचायत अध्यक्ष का चुनाव करते हैं. जिलापंचायत में किसी भी कार्य को लेकर पहले बैठक में प्रस्ताव लिए जाते हैं उन प्रस्ताव के आधार पर बोर्ड की सहमति के आधार पर कार्ययोजना तैयार की जाती है और प्राथमिकता के आधार पर कार्य किये जाते हैं.

जिलापंचायत के कार्य
पूर्व की कार्ययोजना के आधार पर निविदा होती है और निविदा के आधार पर ठेकेदार के द्वारा कार्य कराए जाते हैं, जिसमे 10 लाख की धनराशि तक के कार्य जिलापंचायत स्वयं आदेश दे कर करवाता है और 10 लाख से ज्यादा की धनराशि की स्वीकृति जिले के उच्चाधिकारियों से लेनी आवश्यक होती है.

जिलापंचायत मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रो में कार्य करवाता है जिसमें सड़क पेंटिंग निर्माण(डामरीकरण), सीसी सड़क निर्माण, पुलिया निर्माण, नाली निर्माण, रपटा निर्माण, सड़कों का मरम्मतीकरण के कार्य मुख्य रूप से करवाता है. जिसके गुणवत्ता जांचने और संरक्षण व निरीक्षण के लिए अभियन्ता व अवर अभियन्ता की नियुक्ति होती है. जिला पंचायत में प्रशासनिक तौर पर एक अपरमुख्य अधिकारी भी नियुक्त होता है.

जनपद चित्रकूट में 18 वार्ड थे और अब वर्तमान में परिसीमन बदलने के बाद 17 वार्ड ही रह गए हैं. जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 18 करोड़ के काम जिला पंचायत द्वारा ई-टेंडरिंग के जरिए करवाए गए हैं. जिला पंचायत द्वारा सीसी सड़क, डामरीकृत सड़क, पुलिया, रपटा निर्माण और 10 हजार वृक्षारोपण का कार्य इस वित्तीय वर्ष में कई गांव में किया गया है.

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