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घना अंधेरा, मायूस चेहरे और ऊपर से ये शिक्षा व्यवस्था, स्कूल की हैरान कर देने वाली तस्वीर - चित्रकूट के सरकारी स्कूल में अंधेरे में पढ़ते हैं बच्चे

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में एक ऐसा मामला सामने आया जिसे सुनकर आप चौंक जाएंगे. यहां एक स्कूल में बच्चे बिना लाइट के अंधेरे में पढ़ते हैं. पढ़े ये खास रिपोर्ट.

सरकारी स्कूल में अंधेरे में पढ़ते हैं बच्चे.
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Published : Sep 27, 2019, 11:39 PM IST

चित्रकूट: भरी गर्मी में सिर से पसीना थर-थर टपक रहा हो और ऊपर से अंधेरा छाया हो तो यह सब सोच कर इंसान के होश उड़ जाते हैं. इंसान इधर-उधर भागने लगता है. आपको बता दें कि ऐसी है बदहाल जिंदगी हो गई है, चित्रकूट के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की. यहां स्कूल में न पंखे हैं और न ही लाइट. अगर है तो सिर्फ घना अंधेरा और बच्चों के माथे से टपकता ये पसीना.

सरकारी स्कूल में अंधेरे में पढ़ते हैं बच्चे.

जी हां हम बात कर रहे हैं चित्रकूट के मुख्यालय में बने एक विद्यालय की. विद्यालय में बिजली गुल हो जाने के बाद बच्चे उमस भरी गर्मी और अंधेरे में पढ़ने को मजबूर हो जाते हैं. अंधेरे में गर्मी की झलक बच्चों के चेहरे पर साफ देखने को मिलती है.

कोई जिम्मेदार नहीं लेता सूध
बता दें कि स्कूल के बराबर में बीएसए का ऑफिस है. ऑफिस में लाइट न होने पर इनवर्टर का प्रयोग किया जाता है. शिक्षा विभाग के पास निजी जनरेटर भी उपलब्ध है. अगर अधिकारी चाहें तो जनरेटर के माध्यम से छात्रों को बिजली उपलब्ध कराई जा सकती है, लेकिन कहते है न कि जब बात अपने पर आती है तो इंसान को पता चलता है कि तकलीफ किस बला का नाम है. जनरेटर होने के बावजूद भी कोई जिम्मेदार अधिकारी बच्चों की तकलीफों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

सरकार के दांवे इस स्कूल में हो रहे फेल
स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के चेहरे पर अंधेरे की बैचेनी और मायूसी साफ तौर पर देखी जा सकती है. अब सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर छात्रों को बेहतर शिक्षा की सुविधाएं देने का जो वादा करती है, सरकार का यह दावा चित्रकूट के इस स्कूल में फूस नजर आ रहा है.

चित्रकूट: भरी गर्मी में सिर से पसीना थर-थर टपक रहा हो और ऊपर से अंधेरा छाया हो तो यह सब सोच कर इंसान के होश उड़ जाते हैं. इंसान इधर-उधर भागने लगता है. आपको बता दें कि ऐसी है बदहाल जिंदगी हो गई है, चित्रकूट के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की. यहां स्कूल में न पंखे हैं और न ही लाइट. अगर है तो सिर्फ घना अंधेरा और बच्चों के माथे से टपकता ये पसीना.

सरकारी स्कूल में अंधेरे में पढ़ते हैं बच्चे.

जी हां हम बात कर रहे हैं चित्रकूट के मुख्यालय में बने एक विद्यालय की. विद्यालय में बिजली गुल हो जाने के बाद बच्चे उमस भरी गर्मी और अंधेरे में पढ़ने को मजबूर हो जाते हैं. अंधेरे में गर्मी की झलक बच्चों के चेहरे पर साफ देखने को मिलती है.

कोई जिम्मेदार नहीं लेता सूध
बता दें कि स्कूल के बराबर में बीएसए का ऑफिस है. ऑफिस में लाइट न होने पर इनवर्टर का प्रयोग किया जाता है. शिक्षा विभाग के पास निजी जनरेटर भी उपलब्ध है. अगर अधिकारी चाहें तो जनरेटर के माध्यम से छात्रों को बिजली उपलब्ध कराई जा सकती है, लेकिन कहते है न कि जब बात अपने पर आती है तो इंसान को पता चलता है कि तकलीफ किस बला का नाम है. जनरेटर होने के बावजूद भी कोई जिम्मेदार अधिकारी बच्चों की तकलीफों की ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

सरकार के दांवे इस स्कूल में हो रहे फेल
स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के चेहरे पर अंधेरे की बैचेनी और मायूसी साफ तौर पर देखी जा सकती है. अब सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर छात्रों को बेहतर शिक्षा की सुविधाएं देने का जो वादा करती है, सरकार का यह दावा चित्रकूट के इस स्कूल में फूस नजर आ रहा है.

Intro:सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार करोड़ों रुपए खर्च करके जहां छात्रों को बेहतर शिक्षा के लिए सुविधाएं दी जा रही हैं ।वही शिक्षा अधिकारी शिक्षा सुविधाओ को कर रहे हैं नजर अंदाज ।
उत्तर प्रदेश के जनपद चित्रकूट में पार्षदीय विद्यालय में छात्र उमस भरी गर्मी अंधेरे में पढ़ने को है मजबूर। बेसिक शिक्षा अधिकारी के दफ्तर में अधिकारी के गैर मौजूदगी में चलते रहे पंखे और जलती रही बिजली


Body:सरकार करोड़ों रुपए खर्च करके सर्व शिक्षा अभियान के तहत छात्रों को शिक्षा के लिए बेहतर सुविधा देने के लिए कटिबद्ध है। वहीं पर शिक्षा विभाग छात्रों को यूनिफॉर्म से लेकर जूते छात्रों को कॉपी किताब और मध्यान भोजन वितरण करवा रही है। इसमें सरकार का करोड़ों रुपए का बजट लगा हुआ है ,पर ऐसे में जनपद चित्रकूट के मुख्यालय में बने विद्यालय में बिजली गुल हो जाने के बाद बच्चे उमस भरी गर्मी और अंधेरे में पढ़ने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसा नहीं कि शिक्षा विभाग के पास बिजली की समस्या को लेकर कोई सुविधा नहीं है मात्र 10 कदम की दूरी में बने जिले के शिक्षा अधिकारी के दफ्तर में अधिकारी की गैर मौजूदगी के बावजूद पंखे चल रहे हैं और बिजली जल रही है।शिक्षा विभाग के पास निजी जनरेटर भी उपलब्ध है। अगर अधिकारी चाहे तो जनरेटर से छात्रों को पठन-पाठन के मकसद से बिजली तो उपलब्ध कराई जा सकती थी।पर इस संबंध में कोई जुम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा है ।
दूसरी कक्षा में पढ़ रहे पंकज का कहना है कि बिजली चली जाने के बाद बनी खिड़की से आ रही रोशनी के सहारे पढ़ लेते है।
जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी प्रकाश सिंह से बात की गई उनका कहना था भवन पुराना निर्मित है दूसरे तरफ में दूसरी तरफ शहर का मुख्य बाजार है जिससे उसको खिड़की नहीं बनाई जा सकती वहीं लाइट गुल हो जाने के कारण अंधेरा हो गया मेरे दफ्तर में तो इन्वेंटर चल रहा है।बिजली गुल हो जाने के के बाद विधुत संबंधी कोई व्यवस्था नही है। आप को बता दे चित्रकूट मुख्यालय में लगभग 3 घंटे तक बिजली नही रही वही कई बार बिजली के तारो और उपकरणों में खराबी के चले बिजली गुल की समस्या जनपद में बनी ही रहती है।और छात्रों को मजबूरी में अंधेरे में बैठकर पढ़ना पड़ता है।
बाइट-पंकज(छात्र)
बाइट-प्रकाश सिंह(जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी)


Conclusion:
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