चित्रकूट: जिले में बढ़ती ठंड ने लोगों को ठिठुरने पर मजबूर कर दिया है. ठंड से बचने के लिए लोग आग का सहारा ले रहे हैं. ऐसे में जिला प्रशासन उन जगहों को चिन्हित कर रैन बसेरा भी लगा रहा है, जहां गरीब, असहाय व बाहर से आए यात्री इन रैन बसेरों में आकर आश्रय लें और अपनी रात बिता सकें.
आदेशों की इस कड़ी में नगर पंचायत ने भी ठंड को देखते हुए रेलवे स्टेशन मानिकपुर के पास एक अस्थाई रैन बसेरा बनाया, पर बाहर से आए मुसाफिरों ने इस रैन बसेरे को मात्र औपचारिकता बताया. रैन बसेरे में पहुंचे महज डेढ़ दर्जन लोगों के लिए भी बिस्तर नहीं है. यात्री पॉलिथीन की चटाई में रात बिताने को मजबूर हैं. यहां तक कि इस रैन बसेरा में एक बल्ब तक नहीं है. इस ठंड का प्रकोप शायद नगर पंचायत को नहीं हो रहा है. वहीं मुसाफिरों और टैक्सी चालकों को पॉलिथीन जलाकर ठंड से बचते देख, ऐसे में एक समाजसेवी द्वारा अलाव की व्यवस्था की जा रही है. जबकि अलाव की जिम्मेदारी भी नगर पंचायत की ही है.
वहीं इस संबंध में नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी राम आशीष वर्मा ने कहा कि विभाग द्वारा रैन बसेरे की व्यवस्था की गई है, जिसमें मोटे कंबल और गद्दा शामिल हैं. इसकी देखरेख में कर्मचारी भी लगाए गए हैं. पूरी सुविधाएं उन व्यक्तियों को दी जा रही है, जो बाहर से प्रवासी या फिर ठंड में बाहर घूम रहे हैं.
महज 6-7 लोगों के लिए ही यहां पर बिस्तर उपलब्ध हैं, जिसमें ओढ़ने के लिए 1 पतला सा कंबल है. बिस्तर न होने की दशा में हम पॉलिथीन पर बैठकर रात बिताने को मजबूर हैं. नगर पंचायत को चाहिए कि पर्याप्त मात्रा में बिस्तर उपलब्ध कराएं और कम से कम एक बल्ब तो लगा ही देना चाहिए, क्योंकि रैन बसेरे में अंधेरा ही अंधेरा है.
दीपक मिश्रा, यात्री
पिछले माह से बढ़ी ठंड में लगातार एक समाजसेवी राज किशोर त्रिपाठी द्वारा लकड़ी की व्यवस्था की जा रही है. पॉलिथीन रास्ते और कचरे से ढूंढ कर जला रहे थे, जिसको देखते हुए राज किशोर त्रिपाठी द्वारा अलाव की व्यवस्था की जा रही है.
राजन व नत्थू साहू, टैक्सी चालक
दूरदराज से आए लोग ठंड से परेशान हो रहे थे. कुछ लोगों द्वारा पॉलिथीन भी जलाई जा रही थी, जो कि प्रदूषण कर रही थी. उनके शरीर के लिए भी हानिकारक थी. इसके चलते मेरे द्वारा लगातार पिछले 15 दिनों से अलाव जलाया जा रहा है.
राजकिशोर, समाजसेवी