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चित्रकूट: मनरेगा कार्यों में नियमों की अनदेखी, बिना जॉब कार्ड धारक कर रहे काम - ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य शुरू

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को उनके गांव में मनरेगा के तहत रोजगार दिया जा रहा है. मजदूर बढ़ चढ़कर मनरेगा के अंतर्गत आने वाले कामों में हिस्सा ले रहे हैं. वहीं इस दौरान नियमों की अनदेखी भी देखने को मिल रही है. काम कर रहे मजदूरों में कुछ ऐसे भी मजदूर हैं, जिनका न तो जॉब कार्ड ही बना है और न ही बैंक में अकाउंट खुला है.

rules being ignored in mgnrega works in chitrakoot
चित्रकूट में मनरेगा के कार्यों में नियमों की हो रही अनदेखी.
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Published : May 9, 2020, 1:59 PM IST

चित्रकूट: लॉकडाउन के बाद मजदूरों को उन्हीं के गांवों में रोजगार देने के उद्देश्य से सरकार ने सशर्त मनरेगा के कार्यों को कराने के लिए अनुमति दी है. वहीं जनपद में स्थानीय प्रशासन इन नियमों को ताख पर रखकर बिना मास्क, सैनिटाइजर व सोशल डिस्टेंसिंग के कार्य करवाए जा रहा है. यही नहीं, ऐसे भी मनरेगा के मजदूर इन कार्यों में शामिल हैं, जिनका न तो जॉब कार्ड बना है और न ही बैंक अकाउंट खुला है.

मजदूरों से ईटीवी भारत ने की बातचीत.

बेरोजगारी के चलते जनपद के लोगों को दूसरे प्रदेशों में जाकर दिहाड़ी मजदूरी का काम करना पड़ता है. ऐसे में मनरेगा इन मजदूरों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हुआ है. लॉकडाउन में मजदूरों को इन्हीं के गांवों में काम दिया जा रहा है. ग्रामीण मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में किए जा रहे काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.

सरकार के सशर्त आदेश के बाद ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य शुरू किया गया है. इस आदेश में कहा गया है कि मजदूरों को मास्क और सैनिटाइजर ग्राम पंचायत उपलब्ध करवाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए इनसे कार्य करवाए जाएं.

ऐसे में ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी की मिलीभगत से कई ऐसे मजदूर भी इन कार्यों में लगाए जाते हैं, जिनके पास न तो मनरेगा का जॉब कार्ड उपलब्ध होता है और न हीं इनका किसी बैंक में अकाउंट खुला होता है. ऐसे में कई बार यह ग्राम प्रधान और सचिव अपने चहेतों का जॉब कार्ड लगाकर दूसरों से कम दिहाड़ी में कार्य करवा कर भ्रष्टाचार फैलाते हैं.

जब ईटीवी भारत की टीम मानिकपुर विकासखंड के गांव कल्याणपुर पहुंची तब वहां पर कई ऐसे दिहाड़ी मजदूर मिले, जिनकी उम्र कम थी. उनके पास न ही जॉब कार्ड था और न ही बैंक में अकाउंट. ऐसे में खंड विकास अधिकारी दिनेश कुमार अग्रवाल ने जांच की बात कही है.

चित्रकूट: टिकट का दिया पूरा पैसा, फिर भी पैदल घर जाने को हैं मजबूर

बता दें कि ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार दिलाया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि चाहे लॉकडाउन हो या न हो, हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर करना चाहिए.

चित्रकूट: लॉकडाउन के बाद मजदूरों को उन्हीं के गांवों में रोजगार देने के उद्देश्य से सरकार ने सशर्त मनरेगा के कार्यों को कराने के लिए अनुमति दी है. वहीं जनपद में स्थानीय प्रशासन इन नियमों को ताख पर रखकर बिना मास्क, सैनिटाइजर व सोशल डिस्टेंसिंग के कार्य करवाए जा रहा है. यही नहीं, ऐसे भी मनरेगा के मजदूर इन कार्यों में शामिल हैं, जिनका न तो जॉब कार्ड बना है और न ही बैंक अकाउंट खुला है.

मजदूरों से ईटीवी भारत ने की बातचीत.

बेरोजगारी के चलते जनपद के लोगों को दूसरे प्रदेशों में जाकर दिहाड़ी मजदूरी का काम करना पड़ता है. ऐसे में मनरेगा इन मजदूरों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हुआ है. लॉकडाउन में मजदूरों को इन्हीं के गांवों में काम दिया जा रहा है. ग्रामीण मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में किए जा रहे काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं.

सरकार के सशर्त आदेश के बाद ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य शुरू किया गया है. इस आदेश में कहा गया है कि मजदूरों को मास्क और सैनिटाइजर ग्राम पंचायत उपलब्ध करवाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए इनसे कार्य करवाए जाएं.

ऐसे में ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी की मिलीभगत से कई ऐसे मजदूर भी इन कार्यों में लगाए जाते हैं, जिनके पास न तो मनरेगा का जॉब कार्ड उपलब्ध होता है और न हीं इनका किसी बैंक में अकाउंट खुला होता है. ऐसे में कई बार यह ग्राम प्रधान और सचिव अपने चहेतों का जॉब कार्ड लगाकर दूसरों से कम दिहाड़ी में कार्य करवा कर भ्रष्टाचार फैलाते हैं.

जब ईटीवी भारत की टीम मानिकपुर विकासखंड के गांव कल्याणपुर पहुंची तब वहां पर कई ऐसे दिहाड़ी मजदूर मिले, जिनकी उम्र कम थी. उनके पास न ही जॉब कार्ड था और न ही बैंक में अकाउंट. ऐसे में खंड विकास अधिकारी दिनेश कुमार अग्रवाल ने जांच की बात कही है.

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बता दें कि ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार दिलाया जाएगा. साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि चाहे लॉकडाउन हो या न हो, हमें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन जरूर करना चाहिए.

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