चित्रकूट: कोरोना वायरस के चलते पूरा विश्व परेशान है. लोग घरों में कैद हैं. सड़कों पर गाड़ियों का आवागमन उतना नहीं हो रहा है, जितना कि आम दिनों में होता रहा है. इसकी वजह से प्रदूषण के स्तर में भारी गिरावट देखी जा रही है.
लॉकडाउन के चलते लोग घरों में हैं. फैक्ट्रियां बंद हैं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी पूरी तरह से बंद है, जिससे प्रदूषित धुआं-धूल पर्यावरण में नहीं मिल पा रहा है. हवा पूरी तरह से शुद्ध हो चुकी है. प्रकृति खुलकर मानो सांस ले रही है.
लॉकडाउन के कारण बाजारों, मंदिरों में ताले लगे हैं तो वहीं सड़कें सूनी हो चुकी हैं. कभी इन चौराहों में लगे जाम के कारण वाहनों से निकलने वाले धुएं में सांस लेना भी मुश्किल होता था. वहीं हॉर्न की आवाज से कान फटने को आते थे पर अब स्थिति बदली है. इन चौराहों के पास लगे नीम के पेड़ पर बैठी कोयल अपना मधुर गीत इन ट्रैफिक के सिपाहियों को सुना रही है.
धर्म नगरी चित्रकूट में लॉकडाउन के बाद श्रद्धालुओं का आवागमन पूरी तरह से बाधित है. इस कारण चित्रकूट की लाइफ लाइन कही जाने वाली मां मंदाकिनी नदी की स्वच्छता और निर्मलता में भी काफी बढ़ोतरी हुई है. नदी का जल निरंतर साफ होता जा रहा है. कहीं न कहीं यह संदेश जरूर मिल रहा है कि जहां लॉकडाउन से मानव जाति स्वयं में परेशान हैं तो प्रकृति के लिए वरदान साबित हो रहा है.
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जब से लॉकडाउन चल रहा है, तब से शहर में गंदगी और कचरा कम हो रहा है. वहीं पॉलिथीन का प्रयोग कम होने के चलते नाली और सड़कों में पॉलिथीन भी कम ही दिखाई दे रही है. लॉकडाउन सफाई के लिए बेहतर साबित हो रहा है.
किरण,सफाईकर्मी
लॉकडाउन पर्यावरण के हिसाब से बहुत ही उपयोगी साबित हो रहा है. पहले ट्रैफिक के चलते हमारे चेहरे भी गंदे होते थे और कपड़े भी गंदे होने की वजह से प्रतिदिन धोने पड़ते थे. पर्यावरण में बदलाव हुआ है.
भारतेन्दु सिंह,ट्रैफिक हवलदार
पर्यावरण में लगातार बदलाव हो रहा है, जहां चिड़ियों की आवाज ही सुनाई नहीं दे रही थी. वहां अब साफ-साफ दिखाई और सुनाई भी पड़ने लगी हैं. वायु भी शुद्ध हुई है.
सत्य प्रकाश द्विवेदी,समाजसेवी