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चित्रकूट: गमगीन माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस, सुरक्षा का रहे कड़े इंतजाम

यूपी के चित्रकूट में मुस्लिम समाज के लोगों ने मुहर्रम का जुलूस निकाला. इसके लिए शहर भर में पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे. मुहर्रम हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत हसन की शहादत को याद कर मनाया जाता है.

मुहर्रम का जुलूस निकाला
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Published : Sep 11, 2019, 10:03 AM IST

चित्रकूट: जिले में शांतिपूर्ण ढंग से मुहर्रम का जुलूस निकाला गया. मुस्लिम समाज द्वारा ढोल और नगाड़ों के बीच पूरे शहर में धार सवारी के साथ ताजिया मारकुंडी चौराहे की कर्बला की ओर रवाना किया गया. मुस्लिम रवायत के मुताबिक हिजरी सन के पाक महीना की शुरुआत के साथ ही हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत हसन की शहादत को याद कर मुहर्रम मनाया जाता है.

गमगीन माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस,

ढोल-नगाड़ों के बीच निकाला गया मुहर्रम का जुलूस

  • जिले के मारकुंडी चौराहे पर शिया मुसलमान इकट्ठे हुए और जुलूस निकाला.
  • मुहर्रम के जुलूस के लिए काफी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई थी.
  • मुहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन का पहला महीना है.
  • हिजरी सन का आगाज इसी महीने से होता है.
  • इस माह को इस्लाम के 4 पवित्र महीनों में शुमार किया गया है और इस माह को अल्लाह का महीना भी कहा जाता है.
  • मुस्लिम मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह के नबी हजरत नूह की कश्ती को किनारा मिला था.

12वीं शताब्दी में गुलाम वंश के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के समय से ही दिल्ली में एक मौके पर ताजिया मुहर्रम का जुलूस निकाले जाते रहे हैं. इस दिन शिया मुसलमान कर्बला जाकर मातम मनाते हैं और ताजिया निकालते हैं.

बताया जाता है कि मुहर्रम में ताजिया निकालने की शुरुआत बरसों पहले तैमूर लंग बादशाह ने की थी, जिसका ताल्लुक शिया संप्रदाय से था.

चित्रकूट: जिले में शांतिपूर्ण ढंग से मुहर्रम का जुलूस निकाला गया. मुस्लिम समाज द्वारा ढोल और नगाड़ों के बीच पूरे शहर में धार सवारी के साथ ताजिया मारकुंडी चौराहे की कर्बला की ओर रवाना किया गया. मुस्लिम रवायत के मुताबिक हिजरी सन के पाक महीना की शुरुआत के साथ ही हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत हसन की शहादत को याद कर मुहर्रम मनाया जाता है.

गमगीन माहौल में निकला मुहर्रम का जुलूस,

ढोल-नगाड़ों के बीच निकाला गया मुहर्रम का जुलूस

  • जिले के मारकुंडी चौराहे पर शिया मुसलमान इकट्ठे हुए और जुलूस निकाला.
  • मुहर्रम के जुलूस के लिए काफी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई थी.
  • मुहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन का पहला महीना है.
  • हिजरी सन का आगाज इसी महीने से होता है.
  • इस माह को इस्लाम के 4 पवित्र महीनों में शुमार किया गया है और इस माह को अल्लाह का महीना भी कहा जाता है.
  • मुस्लिम मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह के नबी हजरत नूह की कश्ती को किनारा मिला था.

12वीं शताब्दी में गुलाम वंश के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के समय से ही दिल्ली में एक मौके पर ताजिया मुहर्रम का जुलूस निकाले जाते रहे हैं. इस दिन शिया मुसलमान कर्बला जाकर मातम मनाते हैं और ताजिया निकालते हैं.

बताया जाता है कि मुहर्रम में ताजिया निकालने की शुरुआत बरसों पहले तैमूर लंग बादशाह ने की थी, जिसका ताल्लुक शिया संप्रदाय से था.

Intro:राम की तपोभूमि में शांतिपूर्ण ढंग से मनाया जा रहा है मुहर्रम मुस्लिम समाज द्वारा ढोल ताशा और मातम की आवाज के बीच पूरे शहर में धार सवारी के साथ ताजिया का महिमा मारकुंडी चौराहे की कर्बला की ओर रवाना किया गया मुस्लिम मानता के अनुसार हिजरी सन का पाक महीना की शुरुआत के साथ ही हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत हसन की शहादत को याद कर मनाया जाता है मोहर्रम


Body:मोहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन का पहला महीना है हिजरी सन का आगाज इसी महीने से होता है इस माह को इस्लाम के 4 पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है इस माह को अल्लाह का महीना भी कहा जाता है साथ ही इस माह में रोजा रखने की खास अहमियत भी है अहमियत का पता चलता है इसे जिन चार पवित्र महीना में रखा गया है उनमें से 2 महीने मोहर्रम से पहले आते हैं और दो मुहोर्रम के बाद
दूसरी मानता के अनुसार यह कहा जाता है कि इस दिन अल्लाह के नबी हजरत नूह की कश्ती को किनारा मिला था
इसी के साथ ही असुरे के दिन यानी 10 मुहर्रम को एक ऐसी घटना हुई थी जिसका विश्व इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है इराक स्थित कर्बला में हुई यह घटना दरअसल सत्य के लिए जान निछावर कर देने की जिंदा मिसाल है इस घटना में हजरत मोहम्मद के नवासे हजरत हुसैन को शहीद कर दिया गया था कर्बला की घटना अपने आप ने बड़ी विभक्त और निंदनीय थी

12वीं शताब्दी में गुलाम वंश के पहले शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के समय से ही दिल्ली में एक मौके पर ताजिया मोहर्रम का जुलूस निकाले जाते रहे हैं इस दिन शिया मुसलमान कर्बला जाकर मातम मनाते हैं और ताजिया निकालते हैं ।

मोहर्रम में ताजिया निकालने की शुरुआत बरसों पहले तैमूर लंग बादशाह ने की थी इसका ताल्लुक शिया संप्रदाय से था तब से भारत में शिया सुन्नी और कुछ क्षेत्रों में हिंदू की ताजिया इमाम हुसैन की कब्र की प्रतिकृति को जो इराक में कर्बला नामक स्थान पर है
चित्रकूट में मुहोर्रम शांतिपूर्ण ढंग से मनाया जा रहा है।हजारो की संख्या में बूढ़े बच्चे और महिलाये यह तक कि मुहोर्रम के जुलूस में हिन्दू वर्ग ने भी बढ़चढ़ कर अपनी हिस्से दरी निभाई और इस मजमे का हिस्सा बने।


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