चित्रकूट: चित्रकूट में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर रावण के वध के बाद सबसे पहले पुष्पक विमान तपोभूमि में उतरा था. चित्रकूट के कोल आदिवासियों और स्थानीय लोगों ने प्रभु श्रीराम का स्वागत दीप जलाकर किया था. भगवान श्रीराम ने मंदाकिनी नदी में पहला दीपक जलाया था. इसी मान्यता के आधार पर श्रद्धालु यहां दीपदान करते आ रहे हैं.
यही वजह है कि चित्रकूट की दीपावली का अपना एक विशेष ही महत्व है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से जुड़े रामघाट में भारत के सभी प्रांतों से श्रद्धालु जुटते हैं और अपना श्रद्धा का दीपक मंदाकिनी नदी में प्रवाहित कर दीपदान करते हैं. इस दीपदान में 35 से 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने जगह-जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो.
इसे भी पढ़ें- चित्रकूट दीपदान मेला: 30 से 35 लाख श्रद्धालु मंदाकिनी में लगा सकते हैं आस्था की डूबकी
मध्य प्रदेश के शहडोल से आई श्रद्धालु रागिनी गुप्ता ने बताया कि हमें भगवान श्रीराम में बेहद श्रद्धा है और इसी श्रद्धा में भाव विभोर होकर हम चित्रकूट आए. चित्रकूट में जगह-जगह जाकर धार्मिक स्थलों को हमने देखा और रामघाट पहुंचकर हम लोगों ने भी दीपदान किया. हम लोग बहुत ही रोमांचक थे. यहां पर लाखों की संख्या में लोग एकजुट होकर दीपदान करते हैं.