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चित्रकूट: लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था के संगम में डुबकी लगाकर किया दीपदान

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में दिवाली के मद्देनजर देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु आते हैं. श्रद्धालु यहां संगम में डुबकी लगाकर दीपदान करते हैं. चित्रकूट में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं.

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Published : Oct 28, 2019, 12:30 PM IST

लाखों श्रद्धालुओं ने किया दीपदान.

चित्रकूट: चित्रकूट में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर रावण के वध के बाद सबसे पहले पुष्पक विमान तपोभूमि में उतरा था. चित्रकूट के कोल आदिवासियों और स्थानीय लोगों ने प्रभु श्रीराम का स्वागत दीप जलाकर किया था. भगवान श्रीराम ने मंदाकिनी नदी में पहला दीपक जलाया था. इसी मान्यता के आधार पर श्रद्धालु यहां दीपदान करते आ रहे हैं.

लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था के संगम में डुबकी लगाकर किया दीपदान.

यही वजह है कि चित्रकूट की दीपावली का अपना एक विशेष ही महत्व है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से जुड़े रामघाट में भारत के सभी प्रांतों से श्रद्धालु जुटते हैं और अपना श्रद्धा का दीपक मंदाकिनी नदी में प्रवाहित कर दीपदान करते हैं. इस दीपदान में 35 से 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने जगह-जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो.

इसे भी पढ़ें- चित्रकूट दीपदान मेला: 30 से 35 लाख श्रद्धालु मंदाकिनी में लगा सकते हैं आस्था की डूबकी

मध्य प्रदेश के शहडोल से आई श्रद्धालु रागिनी गुप्ता ने बताया कि हमें भगवान श्रीराम में बेहद श्रद्धा है और इसी श्रद्धा में भाव विभोर होकर हम चित्रकूट आए. चित्रकूट में जगह-जगह जाकर धार्मिक स्थलों को हमने देखा और रामघाट पहुंचकर हम लोगों ने भी दीपदान किया. हम लोग बहुत ही रोमांचक थे. यहां पर लाखों की संख्या में लोग एकजुट होकर दीपदान करते हैं.

चित्रकूट: चित्रकूट में दीपावली का त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त कर रावण के वध के बाद सबसे पहले पुष्पक विमान तपोभूमि में उतरा था. चित्रकूट के कोल आदिवासियों और स्थानीय लोगों ने प्रभु श्रीराम का स्वागत दीप जलाकर किया था. भगवान श्रीराम ने मंदाकिनी नदी में पहला दीपक जलाया था. इसी मान्यता के आधार पर श्रद्धालु यहां दीपदान करते आ रहे हैं.

लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था के संगम में डुबकी लगाकर किया दीपदान.

यही वजह है कि चित्रकूट की दीपावली का अपना एक विशेष ही महत्व है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से जुड़े रामघाट में भारत के सभी प्रांतों से श्रद्धालु जुटते हैं और अपना श्रद्धा का दीपक मंदाकिनी नदी में प्रवाहित कर दीपदान करते हैं. इस दीपदान में 35 से 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने जगह-जगह सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं, जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो.

इसे भी पढ़ें- चित्रकूट दीपदान मेला: 30 से 35 लाख श्रद्धालु मंदाकिनी में लगा सकते हैं आस्था की डूबकी

मध्य प्रदेश के शहडोल से आई श्रद्धालु रागिनी गुप्ता ने बताया कि हमें भगवान श्रीराम में बेहद श्रद्धा है और इसी श्रद्धा में भाव विभोर होकर हम चित्रकूट आए. चित्रकूट में जगह-जगह जाकर धार्मिक स्थलों को हमने देखा और रामघाट पहुंचकर हम लोगों ने भी दीपदान किया. हम लोग बहुत ही रोमांचक थे. यहां पर लाखों की संख्या में लोग एकजुट होकर दीपदान करते हैं.

Intro:लंका विजय के बाद भगवान श्री राम पुष्पक विमान से चित्रकूट पहुंचकर इस मां मंदाकिनी नदी में जिसे अब रामघाट के नाम से जानते हैं। पहला दीपक जलाया था ।तब से राम भक्तों का दीपदान का सिलसिला चला आ रहा है ।भक्ति और आस्था में सराबोर लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर रामघाट में दीपदान करने पहुंचते हैं। इस आस्था के संगम में देश और विदेश से आए श्रद्धालुओं के लिए उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्य प्रदेश प्रशासन भी जरूरत की सुविधा मुहैया कराने की कोशिश करता है।


Body:चित्रकूट में दीपावली मेला बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि मान्यता है कि प्रभु राम ने लंका पर विजय प्राप्त कर रावण के वध के बाद सबसे पहले पुष्पक विमान तपोभूमि में उतरा था। और यहां के कोल आदिवासियों और स्थानीय लोगों ने प्रभु राम का स्वागत दीप जलाकर किया था ।मंदाकिनी नदी में पहला दीपक भगवान श्रीराम ने जलाया था ।इसी मान्यता को लेकर तब से श्रद्धालुओं की दीपदान करने का शिलशिला चला आ रहा है। इसके बाद प्रभु राम अयोध्या के लिए रवाना हो गए। यह वजह है कि चित्रकूट की दीपावली का अपना एक विशेष ही महत्व है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से जुड़ा रामघाट में भारत के सभी प्रांतों से श्रद्धालु जुटते हैं। और अपना श्रद्धा का दीपक मंदाकिनी नदी में प्रवाहित कर दीपदान करते हैं। जिसमें श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह से सजग रहते हुए श्रद्धालुओं की जरूरी सुविधा मुहैया कराता है ।बता दें इस दीपदान ने 35 से 40 लाख श्रद्धालुओं की आने की संभावना के चलते प्रशासन ने जगह-जगह सुरक्षा के साथ-साथ जन सुविधा भी की है। ताकि आने वाले श्रद्धालुओ को असुविधा न हो।
वही मध्य प्रदेश शहडोल से आए श्रद्धालु रागिनी गुप्ता ने बताया कि हमें भगवान श्रीराम में बेहद श्रद्धा है ।और इसी श्रद्धा में भाव विभोर होकर हम चित्रकूट आए ।चित्रकूट में जगह-जगह जाकर धार्मिक स्थलों को हमने देखा और रामघाट पहुंचकर हम लोगों ने भी दीपदान किया हम लोग बहुत ही रोमांचक थे यहां पर लाखों की संख्या में लोग एकजुट होकर दीपदान करते हैं ।
वही अंकिता गुप्ता ने बताया कि धार्मिक स्थल में एक साथ इतने श्रद्धालुओ का जुटना धार्मिक समुद्र के समान है। मैंने भी यहां पर दीपदान किया पर वही सती अनसूया आश्रम और गुप्त गोदावरी में सुविधाएं काम दिखी।
छात्र जितेंद्र लोधी ने बताया कि मैं ललितपुर मध्य प्रदेश से आया हूं और मेरे साथ कई छात्राएं हैं मैं लगभग 7 वर्षों से लगातार दीपदान कर रहा हूं और यहां पर कई छात्र अपनी मनोकामना ले कर पहुचते है।
बाइट-रागनी गुप्ता-श्रद्धालु
बाइट-अंकिता श्रद्धालु
बाइट-जितेंद्र-श्रद्धालु
बाइट- मनोजकुमार झा(एस पी चित्रकूट
बाइट- शेषमणि पांडेय(जिलाधिकारी)


Conclusion:
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