चित्रकूट: प्रवासी मजदूरों की परेशानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. बता दें कि दूसरे प्रांतों से अपने घर को पहुंचे प्रवासी मजदूरों को अपना स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के लिये पैदल ही कई किलोमीटर दूर चलना पड़ रहा है. क्योंकि कई बार फोन करने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की टीम इनके गांव नहीं पहुंची, तो वहीं आवागमन का साधन भी इन्हें नहीं मिल पा रहा है. जिससे इन्हें कई किमी दूर पैदल चलकर स्वास्थ्य परीक्षण कराने जाना पड़ रहा है.
मुंबई से वापस लौटे हैंं प्रवासी
बता दें कि चित्रकूट के गांव टिकरिया पहुंचे प्रवासी मजदूर जियालाल और उनके साथी जो कि प्रवासी मजदूर हैं. यह मुंबई से किसी तरह गृह जनपद पहुंचे थे. गांंव पहुंचते ही इन्हें क्वांरटाइन कर दिया गया था. वहीं इन तीनों मजदूरों का आरोप हे कि गांव वालों ने इन्हें नलों से पानी भरने को भी मना कर दिया है. वही गांव के दुकानदारों ने इन मजदूरों को राशन देने से मना कर दिया है, यहां तक की इन मजदूरों के पैसे भी लेने से लोग कतरा रहे हैं.
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मजदूरों ने बताया कि 2 दिन पहले उन लोगों ने अपना स्वास्थ्य परीक्षण भी करवाने के लिए कई बार स्वास्थ्य विभाग की टीम को फोन पर सूचना दी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कोई भी संतुष्ट जवाब नहीं मिला. साथ ही बताया कि थक हार कर उन लोगों ने स्वास्थ्य परीक्षण करवाने के लिए पैदल ही चलने का फैसला कर लिया है. ताकि स्वास्थ्य परीक्षण होने के बाद उन्हें गांव वाले दोबारा स्वीकार करें या फिर संक्रमित होने पर हमारा इलाज हो सके.
कई किमी पैदल चलकर प्रवासी करा रहे स्वास्थ्य परीक्षण
चिलचिलाती धूप में स्वास्थ्य परीक्षण कराने निकले प्रवासी मजदूरों ने बताया कि उन्हें अस्पताल तक पहुंचने के लिए पैदल 30 किमी की यात्रा करनी पड़ रही है. साथ ही रास्ते में उन्हें कोई भी साधन नहीं मिल है.