ETV Bharat / state

मुंबई से चित्रकूट लौटे मजदूरों ने बयां किया अपना दर्द

लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों के घर लौटने का सिलसिला जारी है. ट्रक के जरिए मुंबई से अपने गृह जनपद चित्रकूट लौटे मजदूरों ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा किया.

labours stranded in lockdown
मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया
author img

By

Published : May 14, 2020, 8:59 PM IST

चित्रकूट: लॉकडाउन के चलते मजदूरों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं. महानगरों में छोटे-छोटे गांव और शहरों से काम करने पहुंचे इन मजदूरों को अब घर वापसी एक मात्र विकल्प दिख रहा है. कुछ मजदूर एक ट्रक के सहारे महाराष्ट्र से गृह जनपद चित्रकूट पहुंचे. मजदूरों ने सबसे पहले अपना स्वास्थ्य परीक्षण चित्रकूट के मानिकपुर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया.

इन मजदूरों ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चों के साथ सफर कर रहे हम लोगों के साथ दूसरे जनपद के भी काफी लोग एक ही ट्रक में सफर कर रहे थे. तीन हजार रुपये प्रति व्यक्ति की दर से हम लोगों ने ट्रक का किराया दिया. जब हम लोगों को भोजन पकाने के लिए रास्ते रुकना पड़ता तो पुलिस वाले हमें वहां से भगा देते थे. कई बार प्यास लगने पर हमें पानी भी भरने नहीं दिया जाता था. लोगों का यह मानना था कि हम लोग संक्रमित हैं. गृह जनपद पहुंचने से हम लोग काफी खुश हैं.

मजदूरों का मानना है कि अगर हमारे जनपद में ही ऐसे कुछ उद्योग धंधे लगे होते तो हमें आज यह दिन नहीं देखने पड़ते. हमारे पास खेती करने के लिए जमीन भी नही है और ना ही रोजगार है, जिसके कारण हमें यहां से पलायन कर महानगरों का रुख करना पड़ता है. मुम्बई में हम लोगों में से कई लोग तबेले में काम करते हैं, तो कई लोग वॉचमैन और सिक्योरिटी गार्ड का भी काम करते हैं.

चित्रकूट: लॉकडाउन के चलते मजदूरों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं. महानगरों में छोटे-छोटे गांव और शहरों से काम करने पहुंचे इन मजदूरों को अब घर वापसी एक मात्र विकल्प दिख रहा है. कुछ मजदूर एक ट्रक के सहारे महाराष्ट्र से गृह जनपद चित्रकूट पहुंचे. मजदूरों ने सबसे पहले अपना स्वास्थ्य परीक्षण चित्रकूट के मानिकपुर समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया.

इन मजदूरों ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चों के साथ सफर कर रहे हम लोगों के साथ दूसरे जनपद के भी काफी लोग एक ही ट्रक में सफर कर रहे थे. तीन हजार रुपये प्रति व्यक्ति की दर से हम लोगों ने ट्रक का किराया दिया. जब हम लोगों को भोजन पकाने के लिए रास्ते रुकना पड़ता तो पुलिस वाले हमें वहां से भगा देते थे. कई बार प्यास लगने पर हमें पानी भी भरने नहीं दिया जाता था. लोगों का यह मानना था कि हम लोग संक्रमित हैं. गृह जनपद पहुंचने से हम लोग काफी खुश हैं.

मजदूरों का मानना है कि अगर हमारे जनपद में ही ऐसे कुछ उद्योग धंधे लगे होते तो हमें आज यह दिन नहीं देखने पड़ते. हमारे पास खेती करने के लिए जमीन भी नही है और ना ही रोजगार है, जिसके कारण हमें यहां से पलायन कर महानगरों का रुख करना पड़ता है. मुम्बई में हम लोगों में से कई लोग तबेले में काम करते हैं, तो कई लोग वॉचमैन और सिक्योरिटी गार्ड का भी काम करते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.