चित्रकूट: परिषदीय विद्यालयों में ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों की शिक्षा के लिए पुलिस विभाग ने 'पढ़ेगा चित्रकूट बढ़ेगा चित्रकूट' नारा देकर एक अभियान चलाया था, जिसमें ग्रामीण बच्चों को और उनके अभिभावकों को उचित शिक्षा के प्रति जागरूक करने की कोशिश की गई थी. इस अभियान में पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर गांव-गांव जाकर अपर पुलिस अधीक्षक और पुलिस की टीम ने कैंप लगाकर बच्चों व अभिवावकों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया, लेकिन इसका कोई असर देखने को नहीं मिला. हालात यह हैं कि परिषदीय विद्यालयों बच्चों की संख्या में लगातार कमी देखने को मिल रही है.
परिषदीय विद्यालयों में छात्रों की संख्या में लगातार कमी हो रही है. हालात यह हैं कि माध्यमिक विद्यालय करौंहा में 107 पंजीकृत छात्रों में 23 छात्र और पूर्व माध्यमिक विद्यालय करौंहा में 106 पंजीकृत छात्रों में से मात्र 18 छात्र थे. इन विद्यालयों में 25% भी छात्रों की उपस्थिति नहीं दिखी. वहीं जब इस संबंध में अध्यापक से जानकारी ली गई तो अध्यापकों का कहना है कि यह क्षेत्र बेहद पिछड़ा है और अभिभावकों में जागरूकता की कमी के चलते बच्चों की विद्यालय में उपस्थिति लगातार कम हो रही है.
जर्जर इमारतों में पढ़ाने से लगता है डर
जहां एक तरफ सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को आधुनिक तकनीक से शिक्षा दिए जाने को लेकर प्रयत्नशील है. इसके लिए परिषदीय विद्यालयों में निजी विद्यालयों की तर्ज पर आधुनिक मशीनें जैसे कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा दी जा रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्र के छात्र आधुनिक प्रतिस्पर्धा में किसी भी तरीके से शहरी क्षेत्र के छात्रों से पीछे न रहें तो वहीं दूसरी तरफ अध्यापकों का कहना है कि इस इमारत के नीचे बच्चों को पढ़ाने में भी डर लगता है, जिसके चलते हम लोगों ने बच्चों को एक ही कमरे में पढ़ाने का फैसला किया. बाकी कमरों में बच्चों को जाने की इजाजत नहीं है.