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कोरोना का डर नहीं है साहब, पानी नहीं मिल पाने का डर है

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में कुछ इलाकों में पानी की इतनी किल्लत है कि लोग कोरोना नियमों को तोड़कर पानी भरने के लिए मजबूर हैं.

चित्रकूट
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Published : May 7, 2021, 10:40 PM IST

चित्रकूटः जहां पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, वहीं जिले में एक इलाका ऐसा है, जहां लोग कोरोना से नहीं बल्कि पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पानी की ऐसी किल्लत है कि कोरोना संक्रमण को भूल बिना मास्क और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के पानी के लिए रोज लाइन लगाते हैं.

चित्रकूट में पानी का संकट

गांव गोपीपुर में समस्या
बात हो रही है विकासखंड मानिकपुर के गांव गोपीपुर की. यहां गर्मियां शुरू होते ही पानी की समस्या बढ़ गई है. ग्राम पंचायत की ओर से वितरण किए जा रहे पानी में कोविड-19 प्रोटोकॉल के नियमों की अनदेखी हो रही है.

मानिकपुर विकासखंड के क्षेत्र में क्यों होती है पानी की समस्या
मानिकपुर विकासखंड के कुछ गांव जिन्हें पाठा कहा जाता है, यह गांव ज्यादातर पठारी क्षेत्र में बसे होने के चलते बारिश का पानी बह कर निकल जाता है. इसके कारण इस क्षेत्र का जल स्तर बेहद नीचे चला गया है, जिसके चलते गर्मियां शुरू होते ही तालाब पोखर और हैंडपंप पानी देना बंद कर देते हैं और पानी की समस्या गर्मियों में शुरू हो जाती है.

ग्राम पंचायत द्वारा पानी की समस्या को लेकर किए गए कार्य
ग्राम पंचायत स्तर से गांव में लगभग 20 हैंडपंप, एक सोलर पंप ,चौहड़े की मरम्मत, कुएं की सफाई व कुएं की मरम्मत के साथ बोर में सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं किंतु पानी का जलस्तर नीचे होने के चलते यह उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं.

टैंकर से पूर्ति
जल आपूर्ति हेतु ग्राम पंचायत स्तर से टैंकर खरीद कर पानी का वितरण ग्रामीणों को किया जा रहा है. जनसंख्या ज्यादा होने के चलते मात्र दो या तीन बाल्टी ही पानी लोगों को प्रतिदिन मिल पाता है. जिसके चलते ग्रामीणों को मीलों दूर बैलगाड़ी में ड्रम रखकर पानी भरने जाना पड़ता है. जिसमें दूसरे गाँवो के कुएं व चोहड़ो से पानी जलापूर्ति हो रही है।

कोविड-19 के नियमों की अनदेखी
ग्राम पंचायत स्तर से वितरित किए जा रहे पानी में अपनी बारी को लेकर लोगों का हुजूम टैंकर के पास इकट्ठा होकर पहले पानी लेने के लिए एक दूसरे से सट सट कर पानी भरने को मजबूर है. वहीं, जल्दबाजी में मास्क भी ग्रामीण नहीं लगा पा रहे हैं. इससे कोविड-19 के बचाव और रोकथाम के लिए जारी की गई गाइडलाइन की अनदेखी हो रही है.

इसे भी पढ़ेंः तरबूज नहीं खरीद पाया तो सांसद को दी गालियां, अब मांग रहा माफी

ग्रामीणों का कथन
ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना संक्रमण से तो बाद में मरेंगे पर बिना पानी के हम लोग पहले ही मर जाएंगे. हम लोगों को पानी भरने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. मजबूरी में हम लोग नियमों की अनदेखी कर रहे हैं. अगर हम नियम का पालन करेंगे तो हमें एक भी बाल्टी पानी नहीं मिल सकता है.

चित्रकूटः जहां पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, वहीं जिले में एक इलाका ऐसा है, जहां लोग कोरोना से नहीं बल्कि पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पानी की ऐसी किल्लत है कि कोरोना संक्रमण को भूल बिना मास्क और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के पानी के लिए रोज लाइन लगाते हैं.

चित्रकूट में पानी का संकट

गांव गोपीपुर में समस्या
बात हो रही है विकासखंड मानिकपुर के गांव गोपीपुर की. यहां गर्मियां शुरू होते ही पानी की समस्या बढ़ गई है. ग्राम पंचायत की ओर से वितरण किए जा रहे पानी में कोविड-19 प्रोटोकॉल के नियमों की अनदेखी हो रही है.

मानिकपुर विकासखंड के क्षेत्र में क्यों होती है पानी की समस्या
मानिकपुर विकासखंड के कुछ गांव जिन्हें पाठा कहा जाता है, यह गांव ज्यादातर पठारी क्षेत्र में बसे होने के चलते बारिश का पानी बह कर निकल जाता है. इसके कारण इस क्षेत्र का जल स्तर बेहद नीचे चला गया है, जिसके चलते गर्मियां शुरू होते ही तालाब पोखर और हैंडपंप पानी देना बंद कर देते हैं और पानी की समस्या गर्मियों में शुरू हो जाती है.

ग्राम पंचायत द्वारा पानी की समस्या को लेकर किए गए कार्य
ग्राम पंचायत स्तर से गांव में लगभग 20 हैंडपंप, एक सोलर पंप ,चौहड़े की मरम्मत, कुएं की सफाई व कुएं की मरम्मत के साथ बोर में सबमर्सिबल पंप लगाए गए हैं किंतु पानी का जलस्तर नीचे होने के चलते यह उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं.

टैंकर से पूर्ति
जल आपूर्ति हेतु ग्राम पंचायत स्तर से टैंकर खरीद कर पानी का वितरण ग्रामीणों को किया जा रहा है. जनसंख्या ज्यादा होने के चलते मात्र दो या तीन बाल्टी ही पानी लोगों को प्रतिदिन मिल पाता है. जिसके चलते ग्रामीणों को मीलों दूर बैलगाड़ी में ड्रम रखकर पानी भरने जाना पड़ता है. जिसमें दूसरे गाँवो के कुएं व चोहड़ो से पानी जलापूर्ति हो रही है।

कोविड-19 के नियमों की अनदेखी
ग्राम पंचायत स्तर से वितरित किए जा रहे पानी में अपनी बारी को लेकर लोगों का हुजूम टैंकर के पास इकट्ठा होकर पहले पानी लेने के लिए एक दूसरे से सट सट कर पानी भरने को मजबूर है. वहीं, जल्दबाजी में मास्क भी ग्रामीण नहीं लगा पा रहे हैं. इससे कोविड-19 के बचाव और रोकथाम के लिए जारी की गई गाइडलाइन की अनदेखी हो रही है.

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ग्रामीणों का कथन
ग्रामीणों का कहना है कि कोरोना संक्रमण से तो बाद में मरेंगे पर बिना पानी के हम लोग पहले ही मर जाएंगे. हम लोगों को पानी भरने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. मजबूरी में हम लोग नियमों की अनदेखी कर रहे हैं. अगर हम नियम का पालन करेंगे तो हमें एक भी बाल्टी पानी नहीं मिल सकता है.

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