चित्रकूट: जिले में राम घाट की सिद्ध पीठ तुलसी गुफा तोतामुखी हनुमान मंदिर में सोमवार को तुलसी दास जी की जयंती का आयोजन किया गया. इस दौरान जिलाधिकारी समेत तमाम साधू-संतों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया. 522वीं तुलसीदास जयंती के अवसर पर कोरोना वायरस संक्रमण को ध्यान में रखते हुए लोगों ने एक दूसरे से सामाजिक दूरी बनाए रखी.
विश्व को श्रीरामचरित मानस महाकाव्य जैसे अद्भुत ग्रंथ का मार्गदर्शन देने वाले तुलसी दास जी का जन्म सन् 1511ई. को चित्रकूट के राजापुर में हुआ था. इनके माता-पिता की मृत्यु के उपरांत इनका पालन-पोषण पार्वती नाम की महिला ने किया था. वहीं इनके विवाह के संबंध में माना जाता है कि इनका विवाह रत्नावली के साथ ही हुआ था. यहां के घाट पर वे अपनी राम भक्ति के महाकाव्य राम चरितमानस को लिखने में लगे रहे. यह काव्य लिखने का मार्गदर्शन उन्हें स्वयं श्री हनुमान ने करवाया था और उन्होंने 2 वर्ष 7 माह 26 दिनों की अवधि में इसे पूरा किया था.
इस अटूट राम भक्ति के चलते इन्हें कलयुग में भगवान के दर्शन हुए और यह तुलसीदास जी के जीवन का सबसे सुखद क्षण था. जब भगवान ने राजा का रूप धारण कर तुलसीदास से ही तिलक लगवाया था. जिस पर तोते के रूप में बैठे हनुमान चंद्र जी ने उनकी पहचान बताकर यह दोहा भी कहा था कि 'चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर, तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर'. तुलसीदास कई धार्मिक स्थान भ्रमण करने के बाद फिर चित्रकूट वापस आए और कलयुग में भगवान रामचंद ने तुलसीदास को इसी रामघाट के तोतामुखी हनुमान मंदिर में दर्शन दिए.
अपने जीवन काल में तुलसीदास जी ने कई काव्य रचनाएं लिखीं. इनमें श्रीरामचरितमानस, पार्वती मंगल, हनुमान चालीसा, हनुमान बाहुक, विनय पत्रिका, दोहावली, कवितावली, वैराग्य, संदीपनी, जानकी मंगल, संकट मोचन हनुमानाष्टक आदि ग्रंथ शामिल हैं. इनकी रचना अवधि, संस्कृत और हिंदी की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में गिनी जाती हैं.