ETV Bharat / state

चित्रकूट: शहरी आवास योजना ने कइयों की बदली जिंदगी, पढ़ें क्या कहते हैं लाभार्थी - चित्रकूट में अशिक्षा और बेरोजगारी

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई लोगों को आवास मिला है. इसकी खुशी जाहिर करते कुछ लाभार्थियों ने कहा कि पक्का घर बनाना सपने के जैसे था.

etv bharat
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को मिले आवास
author img

By

Published : Dec 14, 2019, 3:06 AM IST

चित्रकूट: चित्रकूट जो पहले से ही डकैतों के जुल्मों से जूझता रहा है. अशिक्षा, बेरोजगारी के बीच रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी चीजें जुटाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं था. ऐसे हालात में एक अच्छा घर की चाहत यहां के लोगों के लिए किसी सपने जैसी थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री आवास योजना इनका सपना पूरा कर रही है.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को मिले आवास.


पीएम मोदी का सपना 'सबका घर हो अपना' आवास योजना से पूरा कर रहे हैं. घर बनाने में लोगों की जिंदगी बीत जाती है और कइयों के तो यह सपने पूरे भी नहीं हो पाते. ऐसे ही लोगों को घर देने की योजना का नाम है प्रधानमंत्री आवास योजना. सरकार का दावा है कि साल 2022 तक सभी का अपना एक घर होगा. अब तक 5 हजार लोगों को आवास दिए जा चुके हैं.


घर से पानी निकालते ही रात कट जाती थी
दूसरों के घरों में बर्तन झाड़ू करके पेट पालने वाली विधवा फातिमा ने कहा कि हमारी तो हिम्मत ही नहीं थी कि हम इतना बड़ा घर बनवा सकें. दो बच्चों को पालना ही मेरे लिए पहाड़ जैसे था. जब पानी बरसता था तो कच्ची छत से पानी मेरे घर में भर जाता था. मैं रात भर पानी बर्तनों से बाहर निकालती रहती थी और रात मेरी इसी तरह पानी फेंकने में कट जाती थी. लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ने मेरी जिंदगी ही बदल दी है. मेरे पास रहने को पक्का मकान और मेरे सिर के ऊपर एक पक्की छत है.

पक्के घर का सपना देखना ही छोड़ दिया था
दोना पत्तल बना कर अपना जीवन-यापन करने वाली विधवा रानी पत्नी स्वर्गीय सोहबत अली ने बताया कि दोना पत्तल बना कर 10 से 20 रुपये ही कमा पाती हूं. ज्यादा मेहनत करने पर 50 रुपये से ऊपर का काम नहीं हो पाता है. इतने कम आय में मैंने पक्के घर का सपना देखना ही छोड़ दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना से अब मुझे पक्का मकान मिल गया है.

झोपड़ी में गुजारा जीवन

बृजलाल ने बताया कि मेरे पुरखे मेरे बाप-दादा ने झोपड़ी में ही अपना पूरा जीवन व्यतीत किया था. एक ईंट तक उनके द्वारा खरीदी नहीं गई थी, लेकिन इस सरकार के आने के बाद मुझे यह पक्का घर मिला है. मैं जिंदगी भर इस सरकार की प्रशंसा और नमन करता रहूंगा. जब तक मैं जिंदा हूं, मेरे मरने के बाद यह घर मेरे बच्चों के लिए काम आएगा. अब मेरे मरने के बाद कम से कम मेरे बच्चे भी छत के नीचे रहकर अपना जीवन सुखमय व्यतीत कर सकते हैं.

वित्तीय वर्ष 2019-20में 2018 आवासोें को 31 मार्च तक पूर्ण करने का लक्ष्य डूडा द्वारा दिया गया है.

वर्तिका सिंह, डूडा अधिकारी

चित्रकूट: चित्रकूट जो पहले से ही डकैतों के जुल्मों से जूझता रहा है. अशिक्षा, बेरोजगारी के बीच रोटी, कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी चीजें जुटाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं था. ऐसे हालात में एक अच्छा घर की चाहत यहां के लोगों के लिए किसी सपने जैसी थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री आवास योजना इनका सपना पूरा कर रही है.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को मिले आवास.


पीएम मोदी का सपना 'सबका घर हो अपना' आवास योजना से पूरा कर रहे हैं. घर बनाने में लोगों की जिंदगी बीत जाती है और कइयों के तो यह सपने पूरे भी नहीं हो पाते. ऐसे ही लोगों को घर देने की योजना का नाम है प्रधानमंत्री आवास योजना. सरकार का दावा है कि साल 2022 तक सभी का अपना एक घर होगा. अब तक 5 हजार लोगों को आवास दिए जा चुके हैं.


घर से पानी निकालते ही रात कट जाती थी
दूसरों के घरों में बर्तन झाड़ू करके पेट पालने वाली विधवा फातिमा ने कहा कि हमारी तो हिम्मत ही नहीं थी कि हम इतना बड़ा घर बनवा सकें. दो बच्चों को पालना ही मेरे लिए पहाड़ जैसे था. जब पानी बरसता था तो कच्ची छत से पानी मेरे घर में भर जाता था. मैं रात भर पानी बर्तनों से बाहर निकालती रहती थी और रात मेरी इसी तरह पानी फेंकने में कट जाती थी. लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना ने मेरी जिंदगी ही बदल दी है. मेरे पास रहने को पक्का मकान और मेरे सिर के ऊपर एक पक्की छत है.

पक्के घर का सपना देखना ही छोड़ दिया था
दोना पत्तल बना कर अपना जीवन-यापन करने वाली विधवा रानी पत्नी स्वर्गीय सोहबत अली ने बताया कि दोना पत्तल बना कर 10 से 20 रुपये ही कमा पाती हूं. ज्यादा मेहनत करने पर 50 रुपये से ऊपर का काम नहीं हो पाता है. इतने कम आय में मैंने पक्के घर का सपना देखना ही छोड़ दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना से अब मुझे पक्का मकान मिल गया है.

झोपड़ी में गुजारा जीवन

बृजलाल ने बताया कि मेरे पुरखे मेरे बाप-दादा ने झोपड़ी में ही अपना पूरा जीवन व्यतीत किया था. एक ईंट तक उनके द्वारा खरीदी नहीं गई थी, लेकिन इस सरकार के आने के बाद मुझे यह पक्का घर मिला है. मैं जिंदगी भर इस सरकार की प्रशंसा और नमन करता रहूंगा. जब तक मैं जिंदा हूं, मेरे मरने के बाद यह घर मेरे बच्चों के लिए काम आएगा. अब मेरे मरने के बाद कम से कम मेरे बच्चे भी छत के नीचे रहकर अपना जीवन सुखमय व्यतीत कर सकते हैं.

वित्तीय वर्ष 2019-20में 2018 आवासोें को 31 मार्च तक पूर्ण करने का लक्ष्य डूडा द्वारा दिया गया है.

वर्तिका सिंह, डूडा अधिकारी

Intro:चित्रकूट का पाठा जो पहले से ही डकैतों के जुल्मों से जूझता रहा है। अशिक्षा ,बेरोजगारी के बीच रोटी कपड़ा और मकान जैसी बुनियादी चीजें जुटाना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं थी ।और ऐसे हालात में एक अदद घर की चाहत किसी सपने जैसी थी ।लेकिन हर एक का वो सपना पूरा कर रही है प्रधानमंत्री आवास योजना ।अल्पसंख्यक परिवार से दोना पत्तल बनाने से लेकर दूसरे के घरों में काम करने वाली फातमा हो या खोमचे में बैठ कर बच्चों को टॉफी बेचकर ₹50 रोजाना कमाने वाला ब्रजलाल के सपनों को पूरा कर रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत चित्रकूट में गरीबों को 5000 आवास दिए जा चुके हैं ।जिससे सभी के सर के ऊपर रहने के लिए एक मजबूत छत हो ।प्रधानमंत्री ने सरकार बनने के बाद एक सपना देखा था कि सब सभी का घर हो अपना ।साल 2015 से घर अभियान शुरू हुआ और सरकार का लक्ष्य लगभग साल 2022 तक सभी के सर पर पक्की होगी ।


Body:पीएम मोदी का सपना -सबका घर हो अपना - 'आवास योजना से गरीबों के ख्वाबों को सच ' हर इंसान की ख्वाहिश होती है ।अपना घर एक ऐसा आशियाना जिसकी छत के नीचे वह अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रह सके। ऐसा घर बनाने में लोगों की जिंदगी बीत जाती है और कईयों के तो यह सपने पूरे भी नहीं हो पाते ।ऐसे ही लोगों को घर देने की योजना का नाम है प्रधानमंत्री आवास योजना। सरकार का दावा है कि साल 2022 तक हर सभी का अपना एक घर होगा और इसी कड़ी में लाभार्थियों से इस योजना का लाभ और लाभ पाने के बाद उनके जीवन में क्या परिवर्तन लाया है। तो लाभार्थियों ने कहा--

दूसरों के घरों में बर्तन झाड़ू करके पेट पालने वाली बेवा फातिमा ने कहा कि हमारी तो हिम्मत ही नहीं थी ।कि हम इतना बड़ा घर बनवा सके दो बच्चों को पालना ही मेरे लिए पहाड़ जैसे था। जब पानी बरसता था तो कच्ची छत से पानी मेरे घर में भर जाता था। जिसको मैं रात भर बर्तनों से बाहर निकालती रहती थी ।और रात मेरी इसी तरह पानी फेकने में कट जाती थी। पर प्रधानमंत्री आवास योजना ने मेरी जिंदगी ही बदल दी है। मेरे पास रहने को पक्का मकान और मेरे सर के ऊपर एक पक्की छत है
दोना पत्तल बना कर अपना जीवन यापन करने वाली बेवा रानी पत्नी स्वर्गीय सोहबत अली ने बताया कि दोना पत्तल बना कर 10 से ₹20 ही कमा पाती हूं ज्यादा मेहनत करने पर ₹50 से ऊपर का काम नहीं हो पाता है। इतने कम आय में मैंने पक्के घर का सपना देखना ही छोड़ दिया था पर प्रधानमंत्री आवास योजना से अब मुझे पक्का मकान मिल गया है।
स्लम बस्तियों में रहने वाला आदिवासी बृजलाल एक छोटे से खोमचे में बच्चों को टॉफी बेचकर अपना परिवार का भरण पोषण करता है ।बृजलाल ने बताया कि मेरे पुरखे मेरे बाप दादा ने झोपड़ी में ही अपना पूरा जीवन व्यतीत किया था। एक ही ईट तक उनके द्वारा खरीदी नहीं गई थी पर इस सरकार के आने के बाद मुझे यह पक्का घर मिला है ।मैं जिंदगी भर इस सरकार की प्रशंसा और नमन करता रहूंगा ।जब तक मैं जिंदा हूं मेरे मरने के बाद यह घर मेरे बच्चों के लिए काम आएगा अब मेरे मरने के बाद कम से कम मेरे बच्चे भी पक्की छत के नीचे रहकर अपना जीवन सुखमय व्यतीत कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश में शहरी आवास योजना में लाभार्थियों को आवास का लाभ पहुंचाने में चित्रकूट को दूसरे नंबर में स्थान दिया गया है प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 5000 लोगों को सिर्फ शहरी आवास योजना से आवास स्वीकृत हो चुके हैं 3972 आवासों की जियो टैगिंग हो चुकी है ।3712 लाभार्थियों को प्रथम किस्त जी दी जा चुकी हैं ।और निर्माण कार्य भी शुरू है। 2300 लाभार्थियों को दूसरी किस्त भी दी जा चुकी है ।हमारा वित्तीय वर्ष 2019 -20में 2018 आवास 31 मार्च तक पूर्ण करने का लक्ष्य शुडा द्वारा दिया गया है।

बाइट-फातिमा बेगम(बेवा लाभर्ती)
बाइट-रानी शोहबत अली( बेवा लाभर्ती)
बाइट-बृजलाल(आदिवासी)
बाइट-वर्तिका सिंह(डूडा अधिकारी)


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.