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बुलंदशहर: नई ई-स्टाम्प नीति लागू होने से वेंडर के सामने आ रहीं ये समस्याएं

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Published : Oct 8, 2020, 7:38 PM IST

यूपी में ई-स्टाम्प नीति लागू कर दी गई है. वहीं ई-स्टाम्प नीति से अच्छा खासा मुनाफा कमाने वाले वेंडर्स को अब भविष्य का डर सताने लगा है. क्योंकि जो कमीशन अब तक इन्हें मिल रहा है, वो कमीशन ई स्टाम्प की बिक्री से प्राप्त होने वाला नहीं है. क्योंकि सरकार ने निबंधन शुल्क को 2 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया है.

नयी ई-स्टाम्प नीति के लागू होने से वेंडर परेशान
नयी ई-स्टाम्प नीति के लागू होने से वेंडर परेशान

बुलंदशहर: प्रदेश में ई-स्टाम्प नीति लागू कर दी गई है. स्टाम्प की बिक्री का जिम्मा प्रदेश में एक कम्पनी को दिया जा चुका है. हालांकि अभी भी पुरानी नीति से बचे हुए स्टाम्प पेपर्स का क्रय-विक्रय जारी है. स्टाम्प बिक्री से अच्छा खासा मुनाफा कमाने वाले वेंडर्स को अब भविष्य का डर सताने लगा है. क्योंकि जो कमीशन अब तक इन्हें मिल रहा है, वह कमीशन ई-स्टाम्प की बिक्री से प्राप्त होने वाला नहीं है.

उत्तर प्रदेश सरकार की ई-स्टांप नीति ने न सिर्फ स्टाम्पों की छपाई, ढुलाई आदि खर्चों को कम कर दिया गया है, बल्कि माना जा रहा है कि इस नीति से राजस्व में भी वृद्धि हो रही है. गौर करने वाली बात यह हे कि देश में कार्यरत समस्त स्टांप विक्रेताओं में से इच्छुक स्टांप विक्रेताओं को एसीसी (प्राधिकृत संग्रह केंद्र) बनाया जा रहा है. ये कार्य स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन नामक एक कंपनी के द्वारा किया जा रहा है. क्योंकि यूपी में इसी कंपनी को ही अब स्टाम्प पेपर्स बिक्री के लिए अधिकृत किया जा चुका है. सरकार ने निबंधन शुल्क को 2 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया है. जानकार मानते हैं कि इससे न सिर्फ अल्प एवं मध्यम आय वर्ग के लाखों लोगों की बचत हुई, बल्कि राज्य के राजस्व में भी वृद्धि हुई.

नयी ई-स्टाम्प नीति के लागू होने से वेंडर परेशान.

पूर्व के कमीशन से काफी कम है वेंडर्स का कमीशन
स्टांप विक्रेताओं का कहना है कि फिजिकली तौर पर जो स्टाम्प पहले से चलन में हैं, उनकी बिक्री करने पर वर्तमान में एक लाख रुपये के स्टाम्प की बिक्री पर करीब 1000 रुपये का कमीशन उन्हें प्राप्त होता है. दूसरी तरफ अब अगर ई-स्टाम्प की बिक्री से मिलने वाला कमीशन देखा जाए, तो एक लाख रुपये के स्टाम्प बिक्री करने पर सिर्फ सभी कर लगाकर सिर्फ 100 रुपये के लगभग ही कमीशन स्टाम्प विक्रेताओं को मिलता है. इसके पीछे की वजह स्टाम्प वेंडर्स बताते हैं कि जिस कम्पनी को अधिकृत प्रदेश में किया गया है, वह कम्पनी स्टाम्प विक्रेताओं को इतना ही कमीशन दे रही है.

दोहरी मार मान रहे हैं ई-स्टाम्प बिक्री को स्टाम्प विक्रेता
गौर करने वाली बात यह है कि देश में इस तरह की व्यवस्था करने वाला उत्तर प्रदेश दूसरा राज्य बन गया है. सरकार निबंधन कार्यलयों का आधुनिकीकरण करा रही है, जिससे निष्पक्ष पारदर्शी और जन उपयोगी कार्य हो और किसी प्रकार का गलत कार्य न हो सके. वहीं स्टाम्प विक्रेताओं का कहना है कि ई-स्टाम्प से जहां उनके कमीशन में कमी आई है, वहीं अब उनके खर्चे भी बढ़ जाएंगे. वेंडर कोषागार से स्टाम्प लाते थे और बिक्री करते थे, लेकिन अब उन्हें न सिर्फ तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता पड़ेगी, बल्कि लैपटॉप कम्प्यूटर से लेकर प्रिंटर औऱ स्टेशनरी तक पर भी खर्च करना होगा. तभी जाकर ई-स्टाम्प उपभोक्ता को दिया जा सकेगा. यानी अब सिर्फ बक्सा रखकर बैठने से यह धंधा होने वाला नहीं है. फिर भी जो कमीशन प्राप्त होना है, वह भी एक लाख रुपये पर लगभग 100 रुपये.

स्टाम्प विक्रेता बोले, छोड़ देंगे यह काम
1982 से बुलंदशहर में स्टाम्प बिक्री का काम कर रहे लाखन सिंह से ईटीवी भारत ने बात की. लाखन सिंह का कहना है कि जिस 100 रुपये के स्टाम्प पर अब तक उन्हें एक रुपये कमीशन मिलता था, वहीं ई-स्टाम्प की बिक्री से उन्हें अब सिर्फ एक रुपये की जगह साढ़े ग्यारह पैसे 100 रुपये के स्टाम्प की बिक्री करने पर मिलने हैं. उन्होंने बताया कि जो कम्पनी स्टाम्प बिक्री के लिए अधिकृत है, वो 65 पैसे कमीशन ले रही है, जबकि वेंडर्स को साढ़े ग्यारह पैसे पर काम करना है. उन्होंने कहा कि इस काम में लगे लोगों के सामने बहुत दिक्कतें आ रही हैं.

स्टाम्प विक्रेता संजीव गर्ग का कहना है कि जब तक यह पुराने स्टाम्प पेपर उन्हें मिल रहे हैं, तब तक तो वह यह काम कर रहे हैं. उसके बाद वह यह धंधा अब आगे नहीं कर पाएंगे. स्टाम्प विक्रेता शोभित भटनागर ने इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उनकी मजबूरी है कि घर परिवार को पालना और रोजी-रोटी का जुगाड़ करना, इसलिए अगर इस उम्र में अब इस काम को छोड़ेंगे तो इससे भी जाएंगे.

इस बारे में प्रदेश में ई-स्टाम्प की बिक्री के लिए अधिकृत की गई कम्पनी के एक्जिक्यूटिव ऑफिसर उपेंद्र ने बताया कि सरकार की मंशा थी कि पारदर्शिता आए. उन्होंने बताया कि पूर्व में स्टांप घोटाले के दौरान काफी कुछ विसंगतियां थीं. उन्हें सरकार ने सुधारते हुए इस तरफ ध्यान दिया है, जो स्टाम्प विक्रेता हैं उन्हें जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. अब तक 40 स्टाम्प विक्रेताओं ने ई-स्टाम्प बिक्री करने के लिए आवेदन किया है, जिनमें से कई के तो लाइसेंस जेनरेट भी हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि ई-स्टाम्प के माध्यम से धोखाधड़ी की संभावना भी कम है.

बुलंदशहर: प्रदेश में ई-स्टाम्प नीति लागू कर दी गई है. स्टाम्प की बिक्री का जिम्मा प्रदेश में एक कम्पनी को दिया जा चुका है. हालांकि अभी भी पुरानी नीति से बचे हुए स्टाम्प पेपर्स का क्रय-विक्रय जारी है. स्टाम्प बिक्री से अच्छा खासा मुनाफा कमाने वाले वेंडर्स को अब भविष्य का डर सताने लगा है. क्योंकि जो कमीशन अब तक इन्हें मिल रहा है, वह कमीशन ई-स्टाम्प की बिक्री से प्राप्त होने वाला नहीं है.

उत्तर प्रदेश सरकार की ई-स्टांप नीति ने न सिर्फ स्टाम्पों की छपाई, ढुलाई आदि खर्चों को कम कर दिया गया है, बल्कि माना जा रहा है कि इस नीति से राजस्व में भी वृद्धि हो रही है. गौर करने वाली बात यह हे कि देश में कार्यरत समस्त स्टांप विक्रेताओं में से इच्छुक स्टांप विक्रेताओं को एसीसी (प्राधिकृत संग्रह केंद्र) बनाया जा रहा है. ये कार्य स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन नामक एक कंपनी के द्वारा किया जा रहा है. क्योंकि यूपी में इसी कंपनी को ही अब स्टाम्प पेपर्स बिक्री के लिए अधिकृत किया जा चुका है. सरकार ने निबंधन शुल्क को 2 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया है. जानकार मानते हैं कि इससे न सिर्फ अल्प एवं मध्यम आय वर्ग के लाखों लोगों की बचत हुई, बल्कि राज्य के राजस्व में भी वृद्धि हुई.

नयी ई-स्टाम्प नीति के लागू होने से वेंडर परेशान.

पूर्व के कमीशन से काफी कम है वेंडर्स का कमीशन
स्टांप विक्रेताओं का कहना है कि फिजिकली तौर पर जो स्टाम्प पहले से चलन में हैं, उनकी बिक्री करने पर वर्तमान में एक लाख रुपये के स्टाम्प की बिक्री पर करीब 1000 रुपये का कमीशन उन्हें प्राप्त होता है. दूसरी तरफ अब अगर ई-स्टाम्प की बिक्री से मिलने वाला कमीशन देखा जाए, तो एक लाख रुपये के स्टाम्प बिक्री करने पर सिर्फ सभी कर लगाकर सिर्फ 100 रुपये के लगभग ही कमीशन स्टाम्प विक्रेताओं को मिलता है. इसके पीछे की वजह स्टाम्प वेंडर्स बताते हैं कि जिस कम्पनी को अधिकृत प्रदेश में किया गया है, वह कम्पनी स्टाम्प विक्रेताओं को इतना ही कमीशन दे रही है.

दोहरी मार मान रहे हैं ई-स्टाम्प बिक्री को स्टाम्प विक्रेता
गौर करने वाली बात यह है कि देश में इस तरह की व्यवस्था करने वाला उत्तर प्रदेश दूसरा राज्य बन गया है. सरकार निबंधन कार्यलयों का आधुनिकीकरण करा रही है, जिससे निष्पक्ष पारदर्शी और जन उपयोगी कार्य हो और किसी प्रकार का गलत कार्य न हो सके. वहीं स्टाम्प विक्रेताओं का कहना है कि ई-स्टाम्प से जहां उनके कमीशन में कमी आई है, वहीं अब उनके खर्चे भी बढ़ जाएंगे. वेंडर कोषागार से स्टाम्प लाते थे और बिक्री करते थे, लेकिन अब उन्हें न सिर्फ तकनीकी ज्ञान की आवश्यकता पड़ेगी, बल्कि लैपटॉप कम्प्यूटर से लेकर प्रिंटर औऱ स्टेशनरी तक पर भी खर्च करना होगा. तभी जाकर ई-स्टाम्प उपभोक्ता को दिया जा सकेगा. यानी अब सिर्फ बक्सा रखकर बैठने से यह धंधा होने वाला नहीं है. फिर भी जो कमीशन प्राप्त होना है, वह भी एक लाख रुपये पर लगभग 100 रुपये.

स्टाम्प विक्रेता बोले, छोड़ देंगे यह काम
1982 से बुलंदशहर में स्टाम्प बिक्री का काम कर रहे लाखन सिंह से ईटीवी भारत ने बात की. लाखन सिंह का कहना है कि जिस 100 रुपये के स्टाम्प पर अब तक उन्हें एक रुपये कमीशन मिलता था, वहीं ई-स्टाम्प की बिक्री से उन्हें अब सिर्फ एक रुपये की जगह साढ़े ग्यारह पैसे 100 रुपये के स्टाम्प की बिक्री करने पर मिलने हैं. उन्होंने बताया कि जो कम्पनी स्टाम्प बिक्री के लिए अधिकृत है, वो 65 पैसे कमीशन ले रही है, जबकि वेंडर्स को साढ़े ग्यारह पैसे पर काम करना है. उन्होंने कहा कि इस काम में लगे लोगों के सामने बहुत दिक्कतें आ रही हैं.

स्टाम्प विक्रेता संजीव गर्ग का कहना है कि जब तक यह पुराने स्टाम्प पेपर उन्हें मिल रहे हैं, तब तक तो वह यह काम कर रहे हैं. उसके बाद वह यह धंधा अब आगे नहीं कर पाएंगे. स्टाम्प विक्रेता शोभित भटनागर ने इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उनकी मजबूरी है कि घर परिवार को पालना और रोजी-रोटी का जुगाड़ करना, इसलिए अगर इस उम्र में अब इस काम को छोड़ेंगे तो इससे भी जाएंगे.

इस बारे में प्रदेश में ई-स्टाम्प की बिक्री के लिए अधिकृत की गई कम्पनी के एक्जिक्यूटिव ऑफिसर उपेंद्र ने बताया कि सरकार की मंशा थी कि पारदर्शिता आए. उन्होंने बताया कि पूर्व में स्टांप घोटाले के दौरान काफी कुछ विसंगतियां थीं. उन्हें सरकार ने सुधारते हुए इस तरफ ध्यान दिया है, जो स्टाम्प विक्रेता हैं उन्हें जोड़ने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. अब तक 40 स्टाम्प विक्रेताओं ने ई-स्टाम्प बिक्री करने के लिए आवेदन किया है, जिनमें से कई के तो लाइसेंस जेनरेट भी हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि ई-स्टाम्प के माध्यम से धोखाधड़ी की संभावना भी कम है.

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